संजय कुमार उर्फ संजय बर्नवाल: पद, परिवार और कंपनियों के सहारे खड़ा किया गया बेनामी साम्राज्य
भोपाल बृजराज एस तोमर। कभी ₹2700 महीने की तनख़्वाह पाने वाला कर्मचारी आज करोड़ों की अचल संपत्तियों, मॉल की दुकानों, फार्महाउस और विदेशी यात्राओं का मालिक है। यह कोई प्रेरक सफलता की कहानी नहीं, बल्कि सरकारी पद के दुरुपयोग से खड़े किए गए एक सुनियोजित आर्थिक साम्राज्य की दास्तान है।
झारखंड के गिरिडीह निवासी संजय कुमार, जिसने बाद में खुद को संजय बर्नवाल के नाम से स्थापित किया, वर्तमान में मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम (MPRDC), भोपाल में उपमहाप्रबंधक – मानव संसाधन एवं प्रशासन के पद पर पदस्थ है। वर्ष 2004 से 2025 के बीच, इन 20 वर्षों में उसने अपने पद, प्रभाव और रिश्तेदारी के सहारे ऐसा नेटवर्क खड़ा किया, जिसकी जड़ें एमपीआरडीसी, एमपीबीडीसी और जल निगम तक फैली हुई हैं।
एक कमरे का ऑफिस और करोड़ों का टूर-ट्रैवल कारोबार..
भोपाल के विठ्ठल मार्केट, सरस्वती नगर, एमपी नगर में महज एक कमरे में “साई कृपा ट्रैवल्स” और “साई पूजा ट्रैवल्स” के नाम से टूर एंड ट्रैवल एजेंसियां संचालित दिखाई जाती हैं। कागजों में इनके नाम कमल मालवीय और नीरज यादव हैं, लेकिन सूत्र बताते हैं कि इन एजेंसियों के जरिए एमपीआरडीसी, एमपीबीडीसी और अन्य निगमों के अधिकारियों के भ्रमण हेतु वाहन लगाए जाते हैं, बिल बनते हैं और भुगतान होता है। हैरानी यह है कि इस पूरे निजी कारोबार का संचालन एमपीआरडीसी/एमपीबीडीसी में आउटसोर्स पर नियुक्त कर्मचारियों से कराया जाता है।
“मल्टी टास्क मैनेजर” नाम का कोई शासकीय पद स्वीकृत नहीं है, इसके बावजूद इन्हीं नामों से कर्मचारियों को 25 हजार रुपए मासिक वेतन पर रखकर वर्षों से पूरा काम कराया जा रहा है—वेतन सरकारी मद से, काम निजी लाभ के लिए।
आउटसोर्सिंग कंपनी में पत्नी और साला डायरेक्टर..
संजय बर्नवाल से जुड़ी एक प्रमुख कंपनी है—
MPSD Force Pvt. Ltd. आयशा अपार्टमेंट, राजधानी पेट्रोल पंप के पीछे, जहांगीराबाद, भोपाल। इस कंपनी में संजय बर्नवाल की पत्नी और साला बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स/पार्टनर हैं। यही कंपनी एमपीआरडीसी और एमपीबीडीसी में सफाई कर्मचारी, ऑफिस बॉय और कंप्यूटर ऑपरेटर उपलब्ध कराती है, जिसके एवज में हर साल करोड़ों रुपए का भुगतान किया जाता है।
पत्नी रीना बर्नवाल: कंपनियों और LLP का चेहरा..
संजय बर्नवाल की पत्नी रीना बर्नवाल न केवल व्यावसायिक गतिविधियों का मुख्य चेहरा हैं, बल्कि कई कंपनियों और एलएलपी में डायरेक्टर / डिज़िग्नेटेड पार्टनर भी हैं।
रीना बर्नवाल का DIN: 05223362 है। वे इन LLP में डिज़िग्नेटेड पार्टनर हैं—
Mint Lifestyle & Retail India LLP
Mint Buildcon LLP
Smoob Unity LLP
इसके अलावा -श्री राम महावीर सेल्स, स्टेशनरी, कंप्यूटर, प्रिंटर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण सप्लाई एवं मेंटेनेंस का कार्य करती है, जो रीना बर्नवाल के नाम से रजिस्टर्ड है।
साला रोहित बर्नवाल रंजन: बेनामी कंपनियों का संचालन
संजय बर्नवाल के साले रोहित बर्नवाल रंजन कई फर्मों और कंपनियों में डायरेक्टर अथवा CEO की भूमिका में हैं।
रोहित बर्नवाल रंजन का DIN: 05337078 है। सूत्रों का दावा है कि संजय की कई बेनामी कंपनियों और फर्मों का वास्तविक संचालन रोहित बर्नवाल के माध्यम से किया जाता है।
27 करोड़ से अधिक की अचल संपत्ति ब्यौरा..
जांच में सामने आई संपत्तियों का विवरण चौंकाने वाला है—
*फॉर्च्यून प्रेस्टीज सिटी, बावड़िया कला, कोलार रोड, भोपाल
दो मंजिला भवन – बाजार मूल्य ₹1 से 1.5 करोड़ है।
*प्लॉट क्रमांक 7, राजदीप कॉलोनी, भोपाल
2400 वर्गफुट – पत्नी रीना बर्नवाल के नाम – ₹50–70 लाख मूल्य है।
*प्लॉट क्रमांक 341, सेक्टर-20, सर्वधर्म कॉलोनी, भोपाल
1500 वर्गफुट – पत्नी और मां के नाम – ₹60–70 लाख
डीबी मॉल, भोपाल
*दो दुकानें—a-महावीर सेल्स (रीना बर्नवाल के नाम, संचालन साला रोहित द्वारा) b-अमेरिकन टूरिस्टर शोरूम
*राजीव गांधी कॉलेज के पास, तेलंगाना भोपाल
शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर बनी बहुमूल्य बिल्डिंग
अनुमानित मूल्य ₹10–12 करोड़ है।
नाम किसी वरिष्ठ IAS अधिकारी से जोड़ा जाता है, जबकि सूत्र बताते हैं कि वास्तविक नियंत्रण संजय बर्नवाल का है
*रातीबड़ एवं होशंगाबाद रोड, भोपाल में करोड़ों रुपए मूल्य के फार्महाउस
*सलैया क्षेत्र में नवनिर्मित आलीशान महल
विठ्ठल मार्केट
*“यूनिसेक पार्लर” के नाम से दुकान
सिंगापुर में होटल (संपत्ति होने की चर्चा, आधिकारिक पुष्टि शेष)
बेनामी खाते और लग्जरी जीवन..
सूत्रों के अनुसार संजय बर्नवाल और उसके नेटवर्क के पास—
SBI सहित कई बैंकों में बेनामी खाते और लॉकर
भारी रकम की FDR, सोना-चांदी, बीमा पॉलिसी, म्यूचुअल एवं लिक्विड फंड तथा कई लग्जरी गाड़ियां
भर्ती घोटाला: मध्यप्रदेश की सीटें, बाहर के रिश्तेदार
उपमहाप्रबंधक (HR) रहते हुए संजय बर्नवाल पर आरोप है
कि उसने साडू अमरेश सिंह – प्रबंधक (HR)
बहनोई सुनील सिंह – प्रबंधक (वित्त)
करीबी रिश्तेदार विष्णु जघेला – कंपनी सेक्रेटरी
को मध्यप्रदेश के लिए आरक्षित पदों पर नियुक्त कराया, जबकि ये सभी उत्तरप्रदेश, बिहार और झारखंड के मूल निवासी बताए जाते हैं।
विदेश यात्राओं का शाही शौक..
₹2700 महीने से करियर शुरू करने वाला यह कर्मचारी आज पूरे परिवार के साथ सिंगापुर, मिस्र, डिज़्नीलैंड शंघाई, थाईलैंड और यूरोप की यात्राएं करता है। सूत्र यहां तक दावा करते हैं कि सिंगापुर में होटल खरीदने तक की क्षमता इस नेटवर्क ने हासिल कर ली है।
अब सवाल सिर्फ आरोपों का नहीं और यह मामला अब केवल भ्रष्टाचार का नहीं, बल्कि आय से अधिक संपत्ति, हितों के टकराव, बेनामी संपत्ति, भर्ती घोटाले और शासकीय भूमि पर अतिक्रमण का है।
युग क्रांति पूछता है—जब एक कर्मचारी 20 वर्षों में अरबपति बन जाए तो क्या ईडी, लोकायुक्त और सीबीआई चुप रहेंगी?
या फिर यह भी फाइलों में दफन कर दिया जाएगा?
जांच की आंच अगर ईमानदार रही तो यह मामला प्रदेश की सबसे बड़ी प्रशासनिक लूट में दर्ज होगा ?
