भाजपा ने बताया “भ्रम फैलाने की राजनीति”..
भोपाल/नई दिल्ली 27 नवंबर 2025। केंद्र सरकार की एसआईआर (SIR) योजना/नीति को लेकर मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में आज विपक्ष ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों ने आरोप लगाया कि यह नीति जनता के अधिकारों को सीमित करने वाली, राज्यों के अधिकार क्षेत्र पर अतिक्रमण करने वाली और आम लोगों पर अतिरिक्त बोझ डालने वाली है। वहीं भाजपा ने विपक्ष के आरोपों को “तथ्यों से रहित और भ्रामक” बताते हुए पलटवार किया।
भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में कांग्रेस ने रैलियां निकालीं और एसआईआर नीति को “जनविरोधी” बताते हुए राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। कांग्रेस नेताओं का कहना था कि –एसआईआर लागू होने से नागरिक सुविधाओं पर असर पड़ेगा, स्थानीय निकायों और राज्यों के अधिकार कम होंगे और यह फैसला पर्याप्त सार्वजनिक चर्चा के बिना लिया गया है। पीसीसी अध्यक्ष ने कहा, “एसआईआर पूरी तरह से असंगत है। केंद्र सरकार इसे जबरन थोपना चाहती है। जनता इसका पुरजोर विरोध करेगी।”
राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र में भी विरोध तेज
राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी विपक्ष ने विभिन्न जिलों में धरना दिया। महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और एनसीपी (शरद पवार गुट) ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह नीति “राज्य व्यवस्था पर केंद्र का अनावश्यक दबाव बढ़ाती है”। हालांकि एसआईआर का विरोध कर रहे उत्तर प्रदेश के कद्दावर विपक्षी नेता अखिलेश यादव द्वारा आज अपना फार्म भर कर देश की सियासत में चर्चाओं को सुर्खियां दे दी है। जिसने विपक्षी गठबंधन गांठों पर सवाल खड़े कर दिए हैं !
भाजपा का पलटवार – “विपक्ष जनता को गुमराह कर रहा है”
विपक्ष के आरोपों पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। भाजपा प्रवक्ताओं ने कहा—एसआईआर नीति पारदर्शिता, तकनीकी सुधार और प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए है, इससे राज्यों को कोई नुकसान नहीं, बल्कि लाभ होगा। विपक्ष अपने राजनीतिक अस्तित्व की रक्षा के लिए हर मुद्दे को विवाद बनाता है। भाजपा ने दावा किया कि “एसआईआर से जनता को बेहतर सेवाएं, तेज़ समाधान और डिजिटल ट्रैकिंग का लाभ मिलेगा। विपक्ष सिर्फ विरोध के लिए विरोध कर रहा है।”
सूत्रों का कहना है कि बढ़ते विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार जल्द ही नीति के प्रावधानों पर विस्तृत स्पष्टीकरण जारी कर सकती है, जिससे लोगों की शंकाएँ दूर हों।

