IRCTC अनुमति के बिना निजी ब्रांड की सप्लाई, वेंडरों की मनमानी और निगरानी तंत्र पर सवाल..
ग्वालियर/भोपाल। भारतीय रेल में यात्रियों को केवल अधिकृत पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर ही बेचा जा सकता है। IRCTC के स्पष्ट नियमों के अनुसार रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में केवल Rail Neer (₹14 की बोटल) या फिर IRCTC द्वारा कॉन्ट्रेक्ट के तहत मान्यता प्राप्त ब्रांड ही बेचे जा सकते हैं।
लेकिन युग क्रांति की लगातार जारी पड़ताल में सामने आया है कि रेलवे स्टेशनों और ट्रेन के अंदर “Bisleri” एवं Aque” और “Rewa Pure” नामक निजी ब्रांड का पानी खुलेआम (₹20 की बोतल) बेचा जा रहा है, जबकि इसके पास कोई रेलवे अथॉराइजेशन नहीं है। 2 दिन पहले ग्वालियर से भोपाल की ओर जा रही पातालकोट एक्सप्रेस में bilsari और आज भोपाल से निजामुद्दीन की ओर जा रही गोंडवाना एक्सप्रेस में Rewa pure एवं एक्किवो की बोतल खुलेआम बेची जा रही थी जिसकी क्रमशः जानकारी/शिकायत तत्काल ट्विटर पर की गई।इसके बाद रेलवे ने सिर्फ अटेंशन के रूप में तत्परता दिखाई बाकी परिणाम कुछ नहीं हुआ। यह साधा-सीधा रेलवे नियमों का उल्लंघन है और रेलवे की पूरी व्यवस्था पर बड़ा सवाल भी है ?
लोकल स्तर बनाई और पैकिंग हो रही इन लोकल ब्रांडों की स्थानीय स्तर पर सप्लाई के क्रम में बैतूल के आसपास ”एक्किवो”, भोपाल से गंजबासोदा के बीच ”रीवा प्योर” और झांसी- ललितपुर के आसपास ”बिलसरी” ब्रांड की सप्लाई धड़ल्ले से है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार उक्त ब्रांड सप्लाई के बहुतायत एरिया में ही बनाए जाते हैं।
फोटो व वीडियो में स्पष्ट दिखता है कि यह ब्रांड सिर्फ FSSAI लाइसेंस के आधार पर बाजार में उपलब्ध है, लेकिन रेलवे परिसर में बिक्री के लिए IRCTC की अलग अनुमति अनिवार्य होती है। बिना इस अनुमति के किसी भी प्राइवेट ब्रांड का पानी बेचना अनधिकृत वेंडिंग माना जाता है।
रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुसार—
बिना अनुमति पैकेज्ड वाटर बेचने पर ₹10,000 से ₹25,000 तक जुर्माना
वेंडिंग लाइसेंस निलंबन
वेंडर पर कार्रवाई और ब्लैकलिस्टिंग संभव
यह मामला यात्रियों की स्वास्थ्य सुरक्षा, गुणवत्ता नियंत्रण और IRCTC राजस्व—तीनों पर सवाल खड़े करता है।
स्थानीय यात्रियों ने बताया कि स्टेशन पर कई बार निजी ब्रांड का पानी बेचने की शिकायतें आती रही हैं लेकिन पर्याप्त निगरानी नहीं होने से यह खेल लगातार जारी है। सवाल यह भी है कि आरपीएफ, जीआरपी और वेंडिंग सुपरवाइजर की मौजूदगी में यह अनियमितता कैसे चल रही है? अब देखना है कि रेलवे प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है।

