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IPS बनने की दौड़ में अमृत ने रचा ‘फर्जी ST’ का बड़ा खेल ?

पुरानी FIR के बाद अब UPSC के दरवाज़े पर अटका एएसपी अमृतलाल मीणा का प्रमोशन !

भोपाल 6 दिसंबर 2025। मध्य प्रदेश पुलिस सेवा के अधिकारी अमृतलाल मीणा का मामला एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। यद्यपि मीणा ने आईपीएस अवार्ड के सभी गठजोड़ के प्रयास अजमा लिए है परंतु फिर भी दो साल पहले दर्ज हुई फर्जी जाति प्रमाण-पत्र की एफआईआर अब UPSC स्तर की पदोन्नति प्रक्रिया पर सीधे असर डाल रही है। IPS बनने के लिए भेजी गई फाइल को विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) ने रोककर सीधे उच्च स्तरीय छानबीन समिति के पास भेज दिया है। समिति सोमवार को यह तय करेगी कि_मीणा वास्तव में अनुसूचित जनजाति के हैं या फिर IPS के लालच में फर्जी ST बन गए?

यह सवाल इसलिए और भी बड़ा है क्योंकि उनका पूरा परिवार—पिता, भाई, परिजन—सभी OBC श्रेणी में आते हैं। पिता रामदयाल मीणा OBC के वास्तविक लाभार्थी रहे, छोटा भाई गौरव मीणा OBC कोटे से ACTO पद पर चयनित है और परिवार का पूरा रिकॉर्ड चाचौड़ा के उसी OBC गांव का है। तो फिर अकेले अमृतलाल मीणा कब, कहाँ और कैसे “अनुसूचित जनजाति” बन गए?
क्या यह सिर्फ IPS पाने का रास्ता था या कोई असाधारण परिस्थिति जिसे अब तक कोई दस्तावेज सिद्ध नहीं कर पाया?

जांच में जाति (ST) प्रमाण पत्र को पाया संदिग्ध..

जांचों में कहानी और उलझती है। लटेरी तहसील में जो STजांच प्रतिवेदन प्रमाण-पत्र बनाया गया था, उसके संबंध में तहसील लटेरी ने ही लिखित रूप से कहा कि ऐसा प्रमाण-पत्र कभी जारी ही नहीं हुआ।
2016 में राज्य स्तरीय समिति ने भी इसे गंभीर अनियमितता माना था। लेकिन मीणा ने हाईकोर्ट से स्टे ले लिया और मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब जब IPS पदोन्नति की बारी आई, तो वह पुरानी फाइल फिर निकली… और संदेह फिर वही खड़ा हो गया—

“यदि पूरा परिवार OBC है, तो सिर्फ अफसर बेटा ST कैसे?”

विदिशा के आनंदपुर थाने में दर्ज FIR भी कहती है कि प्रमाण-पत्र संदिग्ध नहीं बल्कि फर्जी है। मूल निवासी के तौर पर जिन गांवों का उल्लेख मीणा ने किया, वे रिकॉर्ड में कहीं नहीं पाए गए।
जिस क्षेत्र का निवासी बताकर ST प्रमाण-पत्र लिया गया, उस क्षेत्र में उनका अस्तित्व तक नहीं पाया गया।

अब सवाल सीधे UPSC की मेज पर..
क्या UPSC एक ऐसे अधिकारी को IPS में भेज सकती है, जिसकी जाति का सत्यापन ही विवादित है?
क्या फर्जी प्रमाण-पत्र के आरोपों में घिरे अफसर को सर्वोच्च पुलिस सेवा में स्थान दिया जाना न्यायसंगत है? और क्या ऐसा होने से OBC और ST—दोनों वर्गों के वास्तविक अधिकारों पर कुठाराघात नहीं होगा?

राज्य पुलिस सेवा से IPS कैडर तक पहुँचने का यह रास्ता अब मीणा के लिए बेहद कठिन हो चुका है। DPC ने साफ कहा है कि “जब तक जाति सत्यापन स्पष्ट नहीं होता, IPS के लिए फाइल UPSC को नहीं भेजी जाएगी।”

सोमवार को होने वाली समिति की बैठक निर्णायक मानी जा रही है। वहीं तय होगा कि अमृतलाल मीणा की पहचान OBC परिवार का हिस्सा है या वे सच में ST श्रेणी में आते हैं।
या फिर यह पूरा मामला सिर्फ पदोन्नति पाने के लिए जाति बदलने का संगठित प्रयास था?

एक बात स्पष्ट है कि यह मामला अब सिर्फ एक अधिकारी का नहीं बल्कि UPSC की पारदर्शिता, आरक्षण व्यवस्था की विश्वसनीयता और पुलिस सेवा की ईमानदारी की परीक्षा बन चुका है। अब देखना यह होगा कि  उच्च स्तरीय छानबीन/जांच समिति और आयोग न्याय संगत और पारदर्शी हैं अथवा तथाकथित गठजोड़ सिस्टम से आच्छादित हो गया है ?