ग्वालियर के बाद अब भोपाल जंक्शन की हकीकत चौकाने वाली..
भोपाल 7 दिसंबर 2025। रेलवे बोर्ड की महत्वाकांक्षी “जनता भोजन योजना” क्या अब सिर्फ कागज़ों में ही चल रही है? युग क्रांति की टीम द्वारा एक सप्ताह में दो बड़े स्टेशनों—ग्वालियर (NCR) और भोपाल जंक्शन (WCR)—पर किए गए लगातार निरीक्षण ने इस योजना की असलियत उजागर की है।
ग्वालियर में पहले ही युगक्रांति की मीडिया पड़ताल के बाद रेलवे प्रशासन हरकत में आया था, लेकिन वही कहानी अब भोपाल जंक्शन में भी हू-ब-हू दोहराई जा रही है। शुक्रवार शाम 7:00 से 8:00 बजे के बीच टीम ने भोपाल जंक्शन के प्लेटफार्म 1, 2 और 3 का पूरा निरीक्षण किया। नतीजा—भयावह। वस्तु स्थिति की जानकारी संपादक बृजराज एस तोमर ने मौके पर से ही भोपाल रेलवे मंडल के सक्षम अधिकारियों में नवल अग्रवाल, एडीआरएम योगेंद्र बघेल, डीआरएम पंकज त्यागी, सीनियर डीएनको सौरभ कटारिय एवं सीनियर डीसीएम को दी।
भोपाल जंक्शन की पड़ताल: जनता भोजन… नाम तक नहीं..
प्लेटफार्म एक पर स्थित भोजनालय एवं अन्य खाद्य पदार्थों की यूनिटों शाहिद अन्य सभी प्लेटफार्म पर स्थित स्टालों पर रेट लिस्ट अलावा जनता भोजन कहीं देखने तक को नहीं मिला, उपलब्धता के नाम इन पर सिर्फ बहाने बाजी – “खत्म हो गया”, “अभी नहीं मिलता”, “सुबह मिलेगा”…सुनने मिली।
ताज इंटरप्राइजेज (PF 2-3): जनता भोजन का नाम तक नहीं
CJ चौधरी (PF 2-3): जनता भोजन नहीं, बोले- कम आता है खत्म हो गया है
HDS – हकमीचंद एंड संस: स्टॉलवालों को तो “जनता भोजन क्या होता है?” तक पता नहीं
Goyal & Goyal (PF 2-3): जनता भोजन उपलब्ध नहीं
स्तुति इंटरप्राइजेज एवं M/s Express Food Service (PF 1): जनता भोजन गायब, बोले- किसी ने भिजवाया नहीं
इतना ही नहीं—सभी प्रमुख स्टॉलों पर ₹5 वाली 150 ML चाय ₹10 में बेची जा रही है।
योजना का असली उद्देश्य कहां लापता है?
रेलवे बोर्ड की योजना के अनुसार हर बड़े स्टेशन पर यात्रियों को सस्ती, स्वच्छ और पौष्टिक ‘जनता भोजन’ उपलब्ध कराना अनिवार्य है। लेकिन भोपाल जैसे महत्वपूर्ण जंक्शन पर एक भी स्टॉल योजना का पालन करता नहीं दिखा।
क्या रेलवे बोर्ड ने यह योजना सिर्फ कागज़ों पर चलाई है?
क्या मंडल और जोन स्तर के अधिकारी इस योजना को जानबूझकर ठंडे बस्ते में डाल रहे हैं?
या फिर स्टाल ऑपरेटर्स की मनमानी पर रेलवे प्रशासन पूरी तरह चुप है?
युग क्रांति की पड़ताल ने खोली परतें..
ग्वालियर में भी युगक्रांति की खबरों के बाद ही कार्रवाई शुरू हुई थी।
अब सवाल यह है कि भोपाल जंक्शन पर किसका संरक्षण है, जिसके चलते जनता भोजन जैसी यात्री हितैषी योजना को खुलेआम कुचला जा रहा है ! और जबकि इसकी विधिवत सूचना मंडल के सक्षम अधिकारियों को दी जा रही है।
रेलवे बोर्ड से बड़ा सवाल_क्या रेलवे बोर्ड अपनी ही योजना
को लागू कराने में असमर्थ है? या यह योजना अब सिर्फ पीआर बयान और फाइलों में ही चल रही है ?
युग क्रांति इस पूरे मामले की रिपोर्ट रेलवे बोर्ड तक भेजेगा और आने वाले दिनों में देश के अन्य बड़े स्टेशनों पर भी पड़ताल जारी रहेगी। यात्रियों की सुविधा से जुड़ी इस योजना पर अब निर्णायक सवाल उठाने का समय आ गया है।
