hacklink al
padişahbetpaşacasinograndpashabetcasibom girişcasibom girişcasibom girişcasibom girişkralbetkingroyalmatbet girişmatbet güncel girişmatbet girişmatbet güncel girişholiganbetholiganbet girişdiyarbakır eskortholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel girişholiganbet girişnakitbahisnakitbahis girişnakitbahisnakitbahis girişnakitbahisnakitbahis girişmatbetmatbet girişcasibomcasibom girişholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel girişholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel girişcasibomcasibom girişjojobetjojobet girişpusulabetpusulabet girişholiganbetholiganbet girişpusulabetpusulabet girişpusulabet güncel girişvdcasinovdcasino girişholiganbetholiganbet girişkonya eskortvaycasinovaycasino girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişkavbetkavbet girişcasibomcasibom girişpusulabetpusulabet girişjojobetjojobet girişmatbetjojobet
ब्रेकिंग

पानी की कमी को ध्यान में रखकर ग्रीष्मकाल में धान के बजाय दलहनी फसलें उगाने की अपील

हरसी बाँध में काफी नीचे है जल स्तर

दलहनी फसलें कम लागत, कम समय व कम मेहनत में देती हैं अधिक उत्पादन

ग्वालियर 04 अप्रैल 2024/ मौजूदा साल में जिले में पानी की कमी है और हरसी जलाशय का जल स्तर भी काफी नीचे है। इस बात को ध्यान में रखकर कृषि विभाग ने किसान भाईयों से ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर कम पानी में अधिक पैदावार देने वाली गर्मी की दलहनी फसलें मसलन मूँग, तिल व सन ढेंचा उगाने की अपील की है। ये दलहनी फसलें किसानों के लिए फायदेमंद रहेंगीं। साथ ही ग्रीष्मकालीन धान से होने वाले पर्यावरणीय प्रदूषण से भी बचा जा सकेगा।
उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास श्री आर एस शाक्यवार ने बताया कि ग्रीष्मकालीन धान में पेस्टीसाइड एवं दवाओं का अधिक प्रयोग होने से पर्यावरण को काफी नुकसान होता है। साथ ही धान की लगातार दो फसलें लेने से एक ही प्रकार के पोषक तत्वों का भूमि से दोहन होता है, जिससे खेत की उर्वरता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर गर्मी में अच्छी पैदावार देने वाली दलहनी फसलें लेने से मृदा का उर्वरा संतुलन बना रहता है। साथ ही कम पानी, कम समय एवं कम लागत में किसानों को अच्छा फायदा होता है। गर्मी की दलहनी फसलें लेने के बाद किसान भाई खरीफ में समय पर धान रोपण कर सकते हैं। खरीफ की कटाई होने के बाद वे धान के खेतों में गेहूँ की फसल बोकर अच्छा लाभ कमा सकते हैं। ऐसा करने से फसल चक्र के सिद्धांत का पालन होता है और खेत का उपजाऊपन ऊँचा बना रहता है।
किसान भाईयों से यह भी अपील की गई है कि वे ग्रीष्मकाल में तिल की फसल लगाकर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा सन या ढेंचा उगाकर हरी खाद के रूप में खेतों में पलटने से मृदा उर्वरता उच्च स्तर पर पहुँच जाती है।