लोकतंत्र में अत्याचार का नया चेहरा भाजपा सरकार-अजीत भदोरिया

राहुल गांधी और जीतू पटवारी के नेतृत्व में उठती प्रतिरोध की आवाज़

भारत को आज़ाद हुए 75 से अधिक वर्ष हो चुके हैं, लेकिन आज भी देश में कई तबके ऐसे हैं जो अन्याय, शोषण और लेखभेदभाव का सामना कर रहे हैं। अंग्रेजों के राज में जिन अत्याचारों का सामना स्वतंत्रता सेनानियों ने किया था, वही स्वरूप आज फिर से नए रूप में सामने आ रहा है — फर्क बस इतना है कि अब दमनकारी ताक़तें विदेशी नहीं, बल्कि देश की सत्ता में बैठी हुई हैं।

राजनीतिक दमन: लोकतांत्रिक विरोध की कीमत

भारतीय जनता पार्टी की केंद्र और मध्यप्रदेश की सरकार पर यह आरोप बार-बार लगते रहे हैं कि वे विपक्ष की आवाज़ को दबाने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर रही हैं। FIR दर्ज़ कराना, जांच एजेंसियों का डर दिखाना, और सोशल मीडिया पर ट्रोल आर्मी के जरिए चरित्र हनन — ये सभी हथकंडे विपक्षी नेताओं के खिलाफ़ इस्तेमाल हो रहे हैं।

हाल ही में मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी पर दर्ज की गई FIR इस बात का उदाहरण है कि किस तरह सत्ता में बैठे लोग लोकतांत्रिक असहमति को अपराध मानकर उसका दमन कर रहे हैं।

राहुल गांधी: जनहित की लड़ाई का राष्ट्रीय चेहरा

श्री राहुल गांधी, जो लगातार केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों पर सवाल उठाते रहे हैं – चाहे वह बेरोजगारी का मुद्दा हो, महंगाई की मार, या फिर सामाजिक न्याय से जुड़ी नीतियाँ – वे भाजपा की आंखों की किरकिरी बने हुए हैं। उन पर मुकदमे दर्ज़ किए जाते हैं, संसद से निलंबित किया जाता है, लेकिन उन्होंने कभी झुकने का नाम नहीं लिया। भारत जोड़ो यात्रा के जरिए उन्होंने करोड़ों भारतीयों की पीड़ा को राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बनाया।

शोषित, दलित और वंचित वर्ग की लड़ाई

आज की सत्ताधारी राजनीति में जिस तरह से दलित, आदिवासी, पिछड़ा और वंचित वर्ग को योजनाओं से बाहर किया जा रहा है, उनकी आवाज़ को दबाया जा रहा है, वह बेहद चिंताजनक है। इन तबकों की पीड़ा को आवाज़ देने वाले नेता — चाहे वह राहुल गांधी हों या जीतू पटवारी — उन पर हमले बढ़ रहे हैं।

जीतू पटवारी: मध्यप्रदेश की सड़कों से संसद तक संघर्ष की आवाज़

मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी न सिर्फ़ एक सशक्त नेता हैं, बल्कि वे उन चंद नेताओं में से हैं जो प्रदेश की जनता के मुद्दों को लेकर लगातार सड़क पर उतरते रहे हैं। छात्र, युवा, किसान, महिलाएं — हर वर्ग के साथ उनका जुड़ाव रहा है। FIR, दमन और धमकी उन्हें रोक नहीं पाई है। उनका नेतृत्व प्रदेश में कांग्रेस को नई ऊर्जा दे रहा है।

निष्कर्ष: आज़ादी के बाद की नई लड़ाई

अंग्रेजों के दौर की तरह आज़ादी की यह दूसरी लड़ाई लोकतंत्र को बचाने की है। यह लड़ाई सत्ता के ज़ुल्म के खिलाफ़ है, यह लड़ाई उस भारत के लिए है जहाँ हर आवाज़ सुनी जाए, जहाँ किसी को सत्ता से असहमति रखने के लिए अपराधी न बनाया जाए।

राहुल गांधी और जीतू पटवारी जैसे नेता इस लड़ाई के सेनानी हैं — जो बिना हथियार, लेकिन सत्य और संविधान के बल पर अत्याचार के खिलाफ़ खड़े हैं। जनता को चाहिए कि वे इन आवाज़ों को और मजबूत करें, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक सशक्त, न्यायपूर्ण और समावेशी भारत मिल सके।

लेखक: मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता हैं ।