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म प्र जीएसटी के एईबी ने इज़ाद किया धन लाभ का नया तरीका

ब्यूरो के कर्ताधर्ता- सर्कल को समझाइश देकर ट्रांसपोर्टरों से करा रहे हैं सेटिंग..

भोपाल 11 अक्टूबर 2025। मध्यप्रदेश के जीएसटी विभाग में आयुक्त धनराजू एस के पदस्थ होने के उपरांत उनके सख्त एवं पारदर्शी रवैये के चलते एंटी इवेजन ब्यूरो सहित अन्य कुछ कर्ता-धर्ता अधिकारी भले ही अपनी गाढ़ी कमाई न होने की वजह से बेहद नाखुश है मगर कमाई बढ़ाने की दिशा में इनकी नई-नई कवायत अभी लगातार जारी है।

आयुक्त धनराजू ने विभाग की कमान संभालते ही पुराने तमाम ढर्रे को दुरुस्त करने एवं पारदर्शी व्यवस्था लागू करने की दिशा में कई अहम फैसले लिए। जिसके अंतर्गत एंटी इवेजन ब्यूरो के चेकिंग के अधिकारों को सीमित किया गया था, जिसके चलते तमाम अधिकारियों की मोटी कमाई भी सीमित हो गई। इस पुराने ढर्रे को बदलने से जहां इन मठाधीश अधिकारियों की छटपटाहट अभी तक कम नहीं हो पाई थी कि अब पिछले दो महीने से चेकिंग के अधिकार सर्कल को मिलने से इनकी बौखलाहट और बढ़ गई है।

लिहाजा इन्होंने एक नया तरीका खोज निकाला है जिसके अंतर्गत एईबी के विशेष कर्ताधर्ता अधिकारी सर्किल (व्रत्त) के उन अधिकारियों से गठजोड़ करने का प्रयास कर रहे हैं जिन्हें चेकिंग की पावर दी जा रही है। गठजोड़ की इस प्रक्रिया में ब्यूरो के तथाकथित ये अधिकारी सर्कल के अधिकारियों को तमाम ज्ञात-अज्ञात कार्रवाइयों का भय दिखाकर अथवा धन लाभ का प्रलोभन देकर बड़े-बड़े ट्रांसपोर्टों के साथ संधि कराने की समझाइए दे रहे हैं। अथवा ये कहे कि साम दाम दंड भेद की नीति से ट्रांसपोर्टर और व्रत्त के जांच अधिकारीयों के बीच सशक्त एजेंट (दलाल) की भूमिका अदा कर रहे हैं। डील डन होने पर एंटी एवेजन ब्यूरो के विशेष कर्ताधर्ता अधिकारी अपनी गाढ़ी एवं बंधी कमाई वाले ट्रांसपोर्टर एवं गाडियां/बिल्टियों की डिटेल सर्कल के जांच अधिकारी को मुहैया करा देते है। इन ट्रांसपोर्टरों में मुख्य रूप से दीपक रोड लाइंस, मऊरानीपुर ट्रांसपोर्ट, दिल्ली- महाराष्ट्र ट्रांसपोर्ट, जय रोडलाइंस ट्रांसपोर्ट, विजेता ट्रांसपोर्ट, वेलकम ट्रांसपोर्ट इत्यादि शामिल है

ये प्रक्रिया जबलपुर से शुरू होकर भोपाल तक पहुंच गई है और आगे कहां तक कितना रंग लाती है अथवा ईमान की मिसाल आयुक्त के समक्ष दम तोड़ती है यह देखने वाली बात है !