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बाली में मोदी-जिनपिंग ने की थी बॉर्डर विवाद पर बात, 8 महीने बाद MEA का खुलासा

भारत और चीन के बीच पिछले कुछ समय से रिश्ते तनावपूर्ण बने हुए हैं. बॉर्डर पर हालात अभी भी पूरी तरह सुधरे नहीं हैं, इस बीच भारत सरकार की ओर से जानकारी दी गई है कि पिछले साल नवंबर में हुई जी-20 की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रिश्ते सुधारने के लिए विस्तृत चर्चा हुई थी. अभी तक इस मुलाकात को औपचारिक ही माना जा रहा था, लेकिन अब सरकार ने विस्तृत चर्चा की जानकारी दी है.

दो दिन पहले ही जोहानिसबर्ग में एनएसए अजित डोभाल की चीनी विदेश नीति के अहम किरदार वांग यी से मुलाकात हुई थी, इसी के बाद बयान दिया गया है कि दोनों देश के नेता रिश्तों को सामान्य करने के करीब हैं. भारत के विदेश मंत्रालय ने बयान दिया है कि बाली जी-20 समिट के दौरान पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई थी, दोनों ने पड़ोसी मुल्कों के रिश्तों को स्थिर करने पर बात की थी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि दोनों देश LAC पर बने हुए तनावपूर्ण हालात को दूर करने और बॉर्डर इलाकों में शांति स्थापित करने की ओर अग्रसर हैं. बता दें कि इससे पहले जब नवंबर 2022 में जी-20 समिट हुई थी, तब दोनों देशों ने इस मुलाकात को सिर्फ औपचारिक मीटिंग बताया था.

पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच गलवान मामले के बाद यह हुई पहली सार्वजनिक मुलाकात थी. इसी के बाद अब जोहानिसबर्ग में हुई ब्रिक्स देशों के एनएसए की बैठक में अजित डोभाल और वांग यी की मीटिंग हुई. यहां भी बातचीत का मुख्य मुद्दा एलएसी पर हालात को नॉर्मल करना ही रहा.
बता दें कि भारत और चीन की सेनाएं जून 2020 में गलवान में आमने-सामने आई थीं, तभी से ही हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. ईस्टर्न लद्दाख के इलाके में बड़ी संख्या में सैनिक जमा हो गए थे और दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने थीं, चीन-भारत तभी से इस मसले पर भिड़े हुए हैं और कोशिश की जा रही है कि बॉर्डर पर हालात को सुधारा जाए.

जून 2020 में भारत-चीन के सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ था, जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे जबकि चीनी सैनिकों को भी नुकसान पहुंचा था. भारत ने इसके बाद चीन के खिलाफ कड़े एक्शन लिए थे, दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष तब से सार्वजनिक मंच पर नहीं दिखे थे और ना ही कोई द्विपक्षीय वार्ता हुई थी.

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