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प्रदेशव्यापी ज्वलंत मांग को लेकर मप्र आजाद शिक्षा परिषद ने स्कूल शिक्षा मंत्री एवं जनजातीयकार्य मंत्री को सौंपा ज्ञापन

महिलाओं को मिलने वाली 730 दिवस के संतान पालन अवकाश में पैदा की जाती है अड़चनें..

बोर्ड एवं स्थानीय परीक्षाओं को आगे बढ़ाया जाए..

भोपाल 1 दिसंबर 2024। आज आज़ाद शिक्षा परिषद् मध्यप्रदेश के प्रतिनिधि मंडल ने रतलाम दौरे पर आए स्कूल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री श्री राव उदयप्रताप सिंह और जिला रतलाम व झाबुआ के  प्रभारी मंत्री एवं जनजातीय कार्य विभाग मंत्री श्री विजय शाह से मिल कर उन्हें शिक्षा एवं जनजातीय कार्य विभाग के शिक्षकों व छात्रों से संबंधित विभिन्न समस्याओं को लेकर एक ज्ञापन सौंपा ।

ज्ञापन के माध्यम से परिषद ने प्रदेशव्यापी ज्लंवत मुद्दों का उल्लेख किया कि प्रदेश में विगत वर्ष से जारी उच्च पद प्रभार की व्यवस्था एवं इस वर्ष की अतिशेष की प्रक्रिया से विद्यालयों की शिक्षण व्यवस्था पर अत्यधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है साथ ही विद्यालयों में रिक्त पदों पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति में भी अत्यधिक विलंब किया गया। जिसके चलते अधिकांश स्कूलों का कोर्स अधूरा पड़ा हुआ है फिर भी माध्यमिक शिक्षा मण्डल एवं लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा बोर्ड एवं स्थानीय परीक्षा कराने की इतनी जल्दी क्या है? वर्तमान शिक्षा सत्र प्रारंभ होने के बाद अक्टूवर-नवम्बर तक सर्व प्रथम उच्च पद प्रभार और उसके बाद अतिशेष अन्तर्गत पारदर्शिता अपनाये बिना अधिकारियों द्वारा सिर्फ काउन्सलिंग- काउन्सलिंग का खेल खेला गया जिसके कारण स्कूलों में पढ़ाई व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गयी। इस प्रक्रिया में नियम विरुद्ध उच्च पद प्रभार में वरिष्ठों को छोड़कर अनेक कनिष्ठ लोक सेवकों के प्रभार संबंधी उदाहरण देखे गये है इसी तरह अतिशेष की प्रक्रिया में भी ऐसी कई विसंगतियाँ देखी गई है। उदाहरण के तौर पर” त्रुटिरहित वरिष्ठता सूची का अभाव तथा गोपनीय चरित्रावली को समय पर मतांकन अधिकारियों द्वारा मतांकन करके जानबूझकर नहीं भेजा जाना”‌। जिसके चलते संबंधित लोक सेवक को उच्च पद प्रभार / क्रमोन्नत या समयमान वेतनमान / पदोन्नति से वंचित रहना पड़ रहा है मगर इन गैर जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही नहीं की जाती है।

महिला कर्मचारियों के विशेष अवकाश अन्तर्गत 1 दिवस हरतालिका तीज 180 दिवस का मातृत्व अवकाश,7 दिवस का विशेष आकस्मिक अवकाश की स्वीकृति तो प्राचार्य द्वारा आसानी से हो जाती है मगर 730 दिवस का संतान पालन अवकाश की मंजूरी प्राचार्य द्वारा ना होकर जिला अधिकारी द्वारा करने से उनके द्वारा भिन्न-भिन्न तरह की अनेक अड़चने जानबूझकर नहीं पैदा की जाती है जबकि संबंधित का सेवा अभिलेख प्राचार्य के अधीन रहता है। मण्डल द्वारा आयोजित परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाओं के श्रमसाध्य मूल्यांकन कार्य पूर्ण होने के बावजूद आज दनांक तक मानदेय एवं भत्ते का  भुगतान नहीं किया गया। जनजातीय कार्य विभाग में लगभग दो वर्ष में भी उच्च पद प्रभार की प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो सकी है क्योंकि प्रदेश स्तर से प्राचार्य पद हेतु जारी सूचियों में लोक सेवकों की पदस्थापना हेतु काउन्सलिंग नहीं करायी गयी है साथ ही अनेक जिलों के सभी लोक सेवकों के नाम उक्त सूचियों से नदारद है किन्तु इसके लिए किसी भी जिम्मेदार अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही नहीं की गई है।

मंत्रीद्वय ने शीघ्र ही कार्यवाही कर मांगों को पूरा करने हेतु आश्वासन दिया। शिक्षा मंत्री श्री राव उदयप्रताप सिंह ने महिला शिक्षकों के संतान पालन अवकाश की स्वीकृति जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के स्थान पर संकुल प्राचार्य द्वारा किए जाने संबंधी आदेश शीघ्र ही जारी किए जाने हेतु आश्वस्त किया। इस अवसर पर आजाद शिक्षा परिषद् मध्यप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष अजय बख्शी, उपाध्यक्ष सीताराम शाक्ले, संयोजक श्री मधुबन मौर्य, महिला वाहिनी प्रांत संयोजक श्रीमती नंदिनी, जिला वाहिनी अध्यक्ष प्रीति गोठवाल, ब्लाक वाहिनी अध्यक्ष गिरिजा बैरागी, श्रीमती आशा दुबे आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे ।