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गुटबाजी की शिकार हुई हरदा उत्कृष्ट उ मा वि की प्रभारी प्राचार्या डॉ सरिता

प्राचार्य के प्रभार से मुक्त कर नगर पालिका हाई स्कूल में किया पदस्थ

हरदा 8 दिसंबर 2024। जिले का सबसे प्रतिष्ठित एवं छुटपुट गुटबाजियों के लिए चर्चित डॉ भीमराव अंबेडकर उत्कृष्ट हाई स्कूल विगत कई माह से गुटबाजी की राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है जिसमें शुक्रवार को वरिष्ठ अधिकारियों के कोप भाजन के अनोखे अंदाज में कामचोरों के साथ कर्तव्य परायणता भी शिकार हो गई।
गौरतरल है कि आमतौर पर गुटबाजी में दो खेमें बन जाते हैं जैसे बेईमान- ईमानदार, चोर- साहूकार, बुरे -अच्छे, कामचोर- कर्मठ बगैरा। हरदा उत्कृष्ट विद्यालय में भी बिगत कई महिनों से स्कूल के काम से जी चुराने वाले और अपने दायित्व के प्रति निष्ठावानो के रूप में गुटबाजी चल रही थी। निष्ठावान महकमें में विद्यालय की प्रभारी प्राचार्य डॉ सरिता तोमर एवं उनके सहयोगी अरविंद शर्मा के साथ कुछ अन्य अध्यापकगण और दूसरी तरफ सोनाली भरोचे, हेमलता अग्रवाल,श्रीलता कुट्टी एवं जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ ऑपरेटर सौरभ कुरैशिया सहित दृश्य-अदृश्य तथाकथित महानुभाव के बीच दांव- पेच का खेल तब शुरू हुआ जब प्रभारी प्राचार्य डॉ तोमर ने अपने विद्यालय के शैक्षणिक कार्यों के विधिवत्त संचालन को लगातार बाधित कर रही उक्त तीनों शिक्षिकाओं की शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों से की गई।

“ये शिक्षिकाएं आए दिन अवकाश पर जाने के कारण एवं कोई कार्य देने पर लिखित में अपने आप को कार्य करने में असमर्थ बताती रही और बिना प्राचार्य की अनुमति के अवकाश पर भी जाती रही और उपस्थिति पंजी में सी एल लगने पर वे प्राचार्य से झगड़ा करने पर उतारू हो जाती थी”।सूत्रों क माने तो उत्कृष्ट विद्यालय में पदस्थ कतिपय इन महिला शिक्षिकाओं द्वारा पूर्व में की गई अनुशासनहीनता की प्राचार्या द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत की गई। अधिकारियों के मौखिक आदेशनुसार कारण बताओ नोटिस जारी करने पर इन महिला शिक्षिकाओं द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से प्राचार्य को गायब करने एवं उल्टी सीधी जांच बिठलवाने की धमकियां दिलवाई गई, जिसकी शिकायत प्राचार्य द्वारा कलेक्टर महोदय को की गई। इसके उपरांत वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इस मामले की जांच कराई गई। जांच अधिकारी के रूप में जिले के दो वरिष्ठ प्राचार्य नियुक्त किए गए जिसमें से एक प्राचार्य जिन्हें पूर्व में उत्कृष्ट विद्यालय की शिक्षिकाओं की शिकायत पर स्थानांतरित किए गया था, इनके जांच अधिकारी बनाए जाने पर प्राचार्य डॉ सरिता द्वारा अधिकारियों के समक्ष आपत्ति जताई कि यह जांच के लिए सही नहीं है फिर भी उन्हीं के द्वारा जांच कराई गई। दूसरे पक्ष एवं सूत्र अनुसार इस दोषपूर्ण जांच के परिणामस्वरूप प्राचार्य को ही समन्वय से काम न करने का दोष दिया गया लेकिन फिर भी मामला थमा नहीं। कुछ दिन बाद फिर पुलिस थाने से फोन आता है कि कुछ महिलाओं द्वारा शिकायत की गई है कि प्राचार्य एवं एक शिक्षक पर प्रताड़ना एवं अभद्रता के आरोप लगाए गए हैं इसके लिए अपना पक्ष रखने थाने आना है।

लगातार तूल पकड़ रहे मामले पर विराम लगाने के क्रम में जिला शिक्षा अधिकारी डीएस रघुवंशी एवं जिला समन्वयक अधिकारी बलवंत पटेल ने विद्यालय का निरीक्षण किया और अनुशासनहीनता के लिए  दोनों पक्षों को दोषी माना गया। नतीजतन प्रभारी प्राचार्य डॉ सरिता, शिक्षक अरविंद शर्मा एवं उक्त तीनों शिक्षिकाओं को अनुशासनहीनता का दोषी मानते हुए अन्य विद्यालयों में असंजित कर दिया गया।