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कलेक्टर की निगरानी के बावजूद भिंड के स्कूलों में मरम्मत कार्यों में हो रही लीपापोती

31 मार्च तक पूर्ण होने वाले कार्य आज तक अधूरे, ठेकेदारों को किया एडवांस पेमेंट..

कलेक्टर ने खबर पर लिया संज्ञान, दिए जांच के नर्देश..

ग्वालियर- भिंड। स्कूलों में मरम्मत कार्य को लेकर कलेक्टर के आसंकित और सचेत होने के बावजूद आदत से मजबूर शिक्षा विभाग एवं निर्माण एजेंसी के इंजीनियर गड़बड़ घोटाले से बाज नहीं आ रहे और स्कूलों की जर्जर हालत को ठीक करने की बजाय अपनी हालत को सुधारने में ज्यादा जुटे हुए है। जिस पर प्रकाशित खबर को संज्ञान में लेते हुए कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने पूरे मामले की जांच करते हुए संबंधित दोषी पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।

गौरतलब है कि विगत सत्र 2024-25 में शासन द्वारा संपूर्ण भिंड जिला के लिए वर्क हैड मेजर रिपेयर, टॉयलेट एमएस और टॉयलेट गर्ल्स के लिए 1,60,90068 रू की राशि स्वीकृत की गई। इन सभी कार्यों को हर हालत में मार्च में पूर्ण करते हुए 31 मार्च तक राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल को प्रतिवेदन सबमिट किया जाना चाहिए था। राज्य शासन द्वारा स्वीकृत राशि संबंधित स्कूल में प्रस्तावित कार्य अनुसार शाला प्रबंधन समिति के खाते में सही समय पर जमा कर दी गई‌ मगर 20 फरवरी तक किसी भी स्कूल में मरम्मत कार्य प्रारंभ नहीं किया गया। क्योंकि कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव को इस निर्माण एजेंसी व एसएमसी पर कार्यों में लेतलाली और खानापूर्ति करने का अंदेशा था इसलिए उन्होंने व्यक्तिगत रूप से पूरी तरह संतुष्ट होने के उपरांत आधा फरवरी के बाद यह स्वीकृति प्रदान की। ताबड़तोड़ कार्रवाइयों के लिए पहचाने जाने वाले कलेक्टर श्रीवास्तव के इस पर इतना अलर्ट और संजीदा रहने के बावजूद इंजीनियर एवं शिक्षा विभाग के कुछ कारिंदे उनकी आंखों से सुरमा चुराने जैसे कृत्य से बाज नहीं आ रहे हैं।

युग क्रांति टीम ने सतत निगरानी अभियान में कई स्कूलों का निरीक्षण एवं भौतिक सत्यापन किया जिसमें पूरे भिंड जिला में तकरीबन 2 लाख 93 हजार रुपए की लागत से बनने वाली तकरीबन सभी 30 टॉयलेट्स के निर्माण में लेआउट के विरुद्ध खानापूर्ति की जा रही है।

शा प्रा कन्या स्कूल कनावर (डाइस कोड 23030406802) अंतर्गत 157000 रु लागत का मेजर रिपेयर वर्क अभी तक प्रारंभ नहीं हुआ है। सूत्रों की माने तो यह कार्य कागजों में होकर इसके फंड का बंदरबांट होना बताया जा रहा है। प्रभारी प्रधानाध्यापक मजदूर न मिलने का बहान गढ़ रहे हैं तो पूर्व प्रधानाध्यापक खाते में पैसे आने की पुष्टि तो कर रही है मगर काम न होने के पीछे के कारण से अनिभिज्ञ है। शा.मि.स्कूल पांडरी (डाइस कोड 23030407604) अंतर्गत 278000 रु लागत से टॉयलेट निर्माण एवं 194000 रु लागत से मेजर रिपेयर वर्क होना प्रस्तावित है मगर यहां पर सिर्फ टॉयलेट के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है और दूसरे काम को सिर्फ कागजों में होना बताया जा रहा है। चूंकि इस कैंपस में काफी समय पूर्व स्वीकृत ग्राम पंचायत के बजट से अभी कुछ समय पूर्व आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण कराया गया है जिस पर अभी तक प्लास्टर तक होना शेष है। सूत्रों की माने तो साला प्रबंधन समिति एवं उपयंत्री की मिलीभगत से पंचायत द्वारा निर्मित इस कक्ष को मेजर रिपेयर में दिखाकर इसकी राशि का बंदरबांट हो जाएगा। इस क्रम में तमाम स्कूलों के निरीक्षण के दौरान पाया कि 31 मार्च तक कंप्लीट हो जाने वाले कार्य या तो हुए नहीं है अथवा अभी तक आधे अधूरे पड़े हुए हैं।

इस संदर्भ में युग क्रांति द्वारा प्रकाशित खबर के बाद कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने जिला शिक्षा अधिकारी मित्तल को निर्देशित करते हुए पूरे मामले पर गंभीरता से जांच करते हुए दोषी पाए जाने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई करने की बोला है। इस क्रम में तलब किये सभी कागजात 9 मई को अंतिम मूल्यांकन और दस्तावेज सभी उप यंत्री और smc जमा करेंगी उसके उपरांत कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

इस खबर पर हुआ असर..

 ठेकेदारों को एडवांस पेमेंट देकर भिंड के स्कूलों में कराऐ जा रहे हैं मरम्मत कार्य