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ब्रेकिंग

प्रदेश की 20 हजार 600 सुदूर बसाहटों को मुख्य मार्ग से जोड़ने के लिए 21 हजार 630 करोड़ रूपये की स्वीकृति

मुख्यमंत्री मजरा-टोला सड़क योजना अंतर्गत 30 हजार 900 किलोमीटर सड़क का होगा निर्माण

प्रदेश के बाहर से आयातित तुअर पर मंडी फीस से पूर्णतः छूट दिए जाने का निर्णय

मुख्यमंत्री डॉ. यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद का निर्णय

भोपाल 10 जून 2025/ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक मंगलवार को मंत्रालय में सम्पन्न हुई। मंत्रि-परिषद द्वारा मुख्यमंत्री मजरा-टोला सड़क योजना अंतर्गत प्रदेश के सुदूर बसाहटों मजरा/टोला/धोनी/पुरा इत्यादि को बारहमासी सम्पर्कता प्रदान करने 21 हजार 630 करोड़ रूपये की सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई। स्वीकृति अनुसार योजना का क्रियान्वयन 2 चरणों में किया जायेगा। वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2029-30 तक पहले चरण एवं वित्तीय वर्ष 2030-31 से 2034-35 तक दूसरे चरण में कुल अनुमानित 30 हजार 900 कि.मी. मार्ग का निर्माण होगा। योजना का क्रियान्वयन राज्य मद से किया जायेगा। योजना के संबंध में मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण की साधिकार समिति को निर्णय लिये जाने के लिए अधिकृत किया गया है।

स्वीकृति अनुसार न्यूनतम 20 आवास और 100 से अधिक जनसंख्या वाले 6 हजार वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले ऐसे क्षेत्र, जिसके 50 मीटर की दूरी में पूर्व से बारहमासी सड़क न हो, को बसाहट के अंतर्गत लिया जायेगा। इसके लिए बसाहट की जनसंख्या के घटते क्रम में विधानसभा क्षेत्रवार प्राथमिकता सूची तैयार की जायेगी। सांसद, क्षेत्रीय विधायक और जिला पंचायत सदस्यों के परामर्श पर ग्रामीणजनों की स्थानीय आवश्यकता जैसे – सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के आधार पर बसाहटों की प्राथमिकता में कलेक्टर द्वारा लिपिबद्ध कारणों से सूची में परिवर्तन किया जा सकेगा। अंतिम प्राथमिकता सूची का राज्य स्तर पर प्रकाशन किया जायेगा। योजना अंतर्गत 20 हजार 600 बसाहटों को मुख्य मार्ग से जोड़ने के लिए लगभग 30 हजार 900 किलोमीटर मार्ग का निर्माण किया जायेगा।

प्रदेश के बाहर से आयातित तुअर पर मंडी फीस से पूर्णतः छूट दिए जाने का निर्णय

मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश में तुअर दाल उद्योगों की आवश्यकता के दृष्टिगत प्रदेश में बाहर से आयातित तुअर पर मंडी शुल्क से पूर्णतः छूट दिए जाने का निर्णय लिया गया। छूट दिए जाने से प्रदेश में तुअर दाल की पर्याप्त उपलब्धता होगी। साथ ही परिवहन बढेगा और रोजगार में वृद्धि होगी।

झाबुआ, सिंगरौली, देवास, नर्मदापुरम में वर्किंग वूमन हॉस्टल निर्माण का सैद्धांतिक अनुमोदन

मंत्रि-परिषद द्वारा झाबुआ, सिंगरौली, देवास और नर्मदापुरम में कामकाजी महिलाओं के जीवन को आसान बनाने के उद्देश्य से SASCI (स्पेशल असिस्टेंस टू स्टेट्स फॉर कैपिटल इनवेस्टमेंट) 2024-25 योजना अंतर्गत स्वीकृत 350 सीट्स की क्षमता वाले 4 वर्किंग वूमन हॉस्टल के निर्माण का सैद्धांतिक अनुमोदन दिया गया है। योजना पी.पी.पी मोड में संचालित की जायेगी। योजना पर 40 करोड़ 59 लाख रूपये खर्च होंगे।

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में ”जिला विकास सलाहकार समिति” के गठन की स्वीकृति

मंत्रि-परिषद द्वारा जिले के विकास योजना के लिए रोडमेप तैयार करने और जिले की दीर्घकालीन विकास योजनाएं बनाने के लिए सभी जिलों में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में “जिला विकास सलाहकार समिति” का गठन किये जाने का अनुमोदन दिया गया। उल्लेखनीय है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट भाषण में मध्यप्रदेश के समस्त जिलों में जिला विकास सलाहकार समिति का गठन किये जाने संबंधी निर्देश दिये गये थे।

जिला विकास सलाहकार समिति में जिले के प्रभारी मंत्री उपाध्यक्ष होंगे। सांसद, जिले के समस्त विधायक, जिला मुख्यालय के महापौर या नगरपालिका अध्यक्ष, जिला पंचायत अध्यक्ष, जिले के सभी जनपद अध्यक्ष के साथ उद्योग, व्यापार, प्रगतिशील किसान, समाज सेवी, चिकित्सा, विधि आदि क्षेत्रों के 20 प्रतिनिधियों को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। कलेक्टर समिति के सदस्य सचिव होंगे।

समिति के उद्देश्यों में जिले की जनता, जनप्रतिनिधियों व अन्य हितधारकों की जरूरतों और सुझावों के अनुसार जिले के दीर्घकालीन विकास की योजनाएँ बनाना है। साथ ही समिति जिले के परंपरागत कौशल को चिन्हित कर प्रधानमंत्री के वोकल फॉर लोकल” के सिद्धांत के दृष्टिगत उन्हें राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देते हुए जिले की समृद्धि का रोडमैप तैयार करेगी। जिले की स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए शासकीय योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू करने के सुझावों पर समिति विचार करेगी।

जिले में स्थानीय प्रयासों से प्रचलित नवाचारों को एक योजना के रूप में मूर्त रूप देना। जिले में रोजगार सृजन एवं विकसित मध्यप्रदेश के लक्ष्यों के संबंध में सुझाव, उद्योग, व्यापार, जल संरचनाओं के संरक्षण, निर्यात, कृषि, खनिज आदि क्षेत्रों में जिले की कार्ययोजना के लिए सुझाव देना शामिल है।