hacklink al
jojobet girişjojobetjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobet girişjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişholiganbetjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişholiganbetholiganbet girişpadişahbetpaşacasinograndpashabetjojobetjojobet girişcasibom girişcasibom girişcasibom girişcasibom girişkralbetkingroyalmatbetmatbet girişmatbet güncel girişmatbetmatbet girişmatbet güncel girişholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel girişholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel girişholiganbet girişnakitbahisnakitbahis girişnakitbahisnakitbahis girişnakitbahisnakitbahis girişmatbetmatbet girişcasibomcasibom girişkavbetkavbet girişkavbet güncel girişholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel giriş

मध्य प्रदेश में 230 करोड़ रुपए का सैलरी घोटाला, वित्त मंत्री खामोश !

प्रदेश में 50 हजार शासकीय कर्मचारी गायब, 6 माह से नहीं ले रहे है वेतन..

भोपाल 10 जून 2025। मध्य प्रदेश में पिछले 6 माह से तकरीबन 40 हजार स्थाई एवं 10 हजार अस्थाई शासकीय कर्मचारियों ने अपना वेतन आहरण नहीं किया है जबकि वे ना तो रिटायर हुए हैं और ना ही उनकी मृत्यु हुई है। सैलरी के रूप में शासकीय खजाने में इनका 230 करोड रुपए पड़ा हुआ है।

यह बड़ा मामला मध्य प्रदेश के कोष एवं लेखा आयुक्त भास्कर लक्षकार ने डाटा मिलान के दौरान पकड़ा। उन्होंने पोर्टल पर टेली करते वक्त डाटा मिलान के दौरान पाया कि प्रदेश भर में 40 हजार स्थाई एवं 10 हजार अस्थाई शासकीय कर्मचारी हैं जो पिछले 6 माह से अपनी सैलरी ड्रॉ नहीं कर रहे हैं और ऐसा तभी होना संभव है जब या तो इनकी मृत्यु हो गई हो अथवा रिटायरमेंट ले चुके हो। इस पर उन्होंने जब विभागों से जानकारी जुटाई तो कर्मचारियों के करने अथवा रिटायर होने की कोई पुष्टि नहीं हुई। फिर आखिरकार भला इतने लोग अपनी सैलरी ड्रॉ क्यों नहीं कर रहे हैं।
बता दे कि प्रदेश में कर्मचारियों की सैलरी IFMIS सॉफ्टवेयर के जरिए वितरित होती है। सभी कर्मचारियों कोकर्मचारी सैलरी घोटाला एम्पलाई कोड आवंटित किया जाता है और यह कोड आधार से लिंक होता है। इन सभी कर्मचारियों के कोड एक्टिवेट हैं लिहाजा सूत्रों की माने तो इस सॉफ्टवेयर के अपडेट होने/ नए खरीदे जाने की वजह से फर्जी लोगों/ कर्मचारी को पकड़े जाने का डर था और इसी भय से इन्होंने से अपनी सैलरी ड्रॉ नहीं की ! इसलिए इस पूरे मामले में यह आशंका जताई जा रही है कि इससे पहले यह सैलरी फर्जी तरीके से निकाली जा रही थी।
जब 50 हजार कर्मचारियों ने 6 महीने से अपना वेतन नहीं लिया तब जाकर कमिश्नर को पता चला है। भले ही पकड़े जाने के भय से अभी ये शासकीय कोष पड़े 230 करोड रुपए का प्रारंभिक मामला हो मगर पूरे प्रदेश हड़कंप मचाने वाला ये महा घोटाला सैकड़ों एवं हजारों करोड़ का हो सकता है! जो मामला आयुक्त लश्कारा ने पकड़ा है वह शासकीय कोष से पिछले 6 माह से भयवस तनख्वाह न लेने का है जबकि इससे पहले कितने महिनो अथवा सालों से यह सिलसिला चल रहा है यह बड़ी जांच से ही पता लगेगा। फिलहाल अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कितना बड़ा घोटाला है। इस पर हमें ही नहीं बल्कि सरकार को भी आशंका है कि कहीं ना कहीं बड़े स्तर पर गड़बड़ी हुई है। लिहाजा माना जा रहा है कि प्रदेश के तकरीबन छः हजार डीडीओ सरकार के रडार पर हैं। जिनकी मिली भगत अथवा लापरवाही से इतनी बड़ी अनियमित को अंजाम दिया जा रहा है। इस पूरे मामले में सरकार को ईओडब्ल्यू, लोकायुक्त अथवा एसआईटी माध्यम से बड़े स्तर पर जांच करनी चाहिए।

सरकार के वित्त मंत्री एवं मप्र के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा जवाब देने अथवा इसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। युग क्रांति ने इस मामले पर जब जनता से राय मांगी तो आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा को तत्काल मुख्यमंत्री मोहन यादव से बात करके बड़ा एक्शन लेना चाहिए क्योंकि वित्त मंत्री रहते हुए अपनी इस जवाबदेही से नहीं बचा जा सकता वरना उन्हें अपनी इस जिम्मेदारी से मुक्त हो जाना चाहिए।