घटिया गुणवत्ता पर गंभीर आरोप..
उज्जैन/शाजापुर 18 दिसंबर 2025। मध्य प्रदेश भवन विकास निगम (MPBDC) के उज्जैन संभाग अंतर्गत निर्माणाधीन शासकीय कार्यों में भारी भ्रष्टाचार और गुणवत्ता से समझौते के आरोप एक बार फिर सामने आए हैं। हाल ही में प्रमुख सचिव श्री सुखबीर सिंह द्वारा शाजापुर–शुजालपुर क्षेत्र का दौरा कर निर्माण कार्यों में अनियमितताओं पर कार्रवाई किए जाने के बावजूद निगम के अधिकारी सबक लेते नजर नहीं आ रहे हैं। इस क्रम में नया मामला सामने आया है।
ताजा मामला गुलाना, जिला शाजापुर स्थित शासकीय कॉलेज गुलाना की बाउंड्रीवाल निर्माण से जुड़ा है, जहां निर्माण कार्य अत्यंत घटिया स्तर का होने के गंभीर आरोप लगे हैं। इसका निर्माण कार्य ठेकेदार फर्म M/S Shyama Developers Indore द्वारा किया जा रहा है।
ड्राइंग के विपरीत निर्माण, मटेरियल की खुली चोरी..
सूत्रों, परीक्षण और तकनीकी जानकारों के अनुसार—
*फुटिंग/फाउंडेशन का साइज स्वीकृत ड्राइंग से कम रखा गया
है।
*20 मिमी गिट्टी के स्थान पर बड़े आकार के बोल्डर का उपयोग किया जा रहा है।
*PCC (बेस कंक्रीट) की गुणवत्ता अत्यंत निम्न स्तर की बताई जा रही है।
*रेत की जगह स्टोन डस्ट / एम-सैंड का प्रयोग किया गया है, वह भी निर्धारित मोटाई में नहीं।
*लोहे के रिंग (स्टिरप्स) की दूरी मानक से अधिक रखी गई है।
इन अनियमितताओं से स्पष्ट है कि निर्माण में मटेरियल की कटौती कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है, जिससे कॉलेज परिसर की सुरक्षा से जुड़ी बाउंड्रीवाल की मजबूती पर ही सवाल खड़े हो गए हैं।
निरीक्षण तंत्र पर सवाल..
आरोप है कि यह सब निरीक्षणकर्ता प्रबंधक तरुण मित्रा और उपमहाप्रबंधक निशांत पचौरी की खुली छूट के बिना संभव नहीं हो सकता। निर्माण की निगरानी में गंभीर लापरवाही अथवा ठेकेदार से मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।
मंदसौर में भी वही कहानी: इसी तरह का एक और मामला शासकीय कॉलेज पिपलिया मंडी, जिला मंदसौर में सामने आया है—कार्य का नाम: Construction of Boundary Wall at Govt. College Pipaliy Mandi, Mandsaur
मैनेजर: नरेंद्र मीणा, ठेकेदार: M/S Hydro India Project, Indore
यहां भी निर्माण गुणवत्ता को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि समस्या किसी एक स्थल तक सीमित नहीं, बल्कि प्रणालीगत है।
सवालों के घेरे में भवन विकास निगम
लगातार सामने आ रहे मामलों के बाद यह प्रश्न उठना लाजमी है कि—प्रमुख सचिव स्तर की कार्रवाई के बाद भी सुधार क्यों नहीं?
क्या ठेकेदारों और अधिकारियों के बीच सांठगांठ जारी है?
घटिया निर्माण की जांच कब और किस स्तर पर होगी?
इस पूरे मामले में स्थानीय नागरिकों, अभिभावकों और जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि दोनों कार्यों की स्वतंत्र तकनीकी जांच कराई जाए, दोषी अधिकारियों व ठेकेदारों पर कठोर कार्रवाई हो और गुणवत्ता से समझौता कर बनाए गए कार्यों को तोड़कर पुनर्निर्माण कराया जाए।
