राहुल गांधी बोले—“भारत में सांसद जनता की आवाज़ नहीं उठा पा रहे”
भाजपा का पलटवार—“विदेश जाकर भारत को बदनाम करना कांग्रेस की नीति”
नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी एक बार फिर विदेशी धरती से दिए गए अपने बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं। हालिया विदेश यात्रा के दौरान एक कार्यक्रम में बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा कि “भारत में लोकतांत्रिक संस्थाएं दबाव में हैं और कई सांसद जनता की वास्तविक आवाज़ संसद में नहीं उठा पा रहे हैं।”
राहुल गांधी के इस बयान को विपक्ष ने जहां “लोकतंत्र की चिंता” बताया है, वहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने इसे भारत की संसद और सांसदों का अपमान करार देते हुए तीखा पलटवार किया है।
भाजपा नेताओं ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा..
> “जो नेता खुद सांसद होकर संसद की गरिमा नहीं समझते, वही विदेशी मंचों से भारत के लोकतंत्र पर सवाल उठाते हैं। राहुल गांधी को स्पष्ट करना चाहिए कि वे किस सांसद को जनता की आवाज़ नहीं मानते।”

भाजपा प्रवक्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि राहुल गांधी की राजनीति अब देश के भीतर जनादेश स्वीकार करने की बजाय, विदेश जाकर भारत को कमजोर दिखाने तक सीमित रह गई है। पार्टी ने सवाल उठाया कि क्या लोकतंत्र पर चर्चा के लिए भारत में मंच नहीं बचे हैं?
कांग्रेस की ओर से बयान का बचाव करते हुए कहा गया कि राहुल गांधी ने किसी व्यक्ति विशेष पर नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में आ रही चुनौतियों पर चिंता जताई है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सच्चाई सामने रखना देशद्रोह नहीं हो सकता। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विदेशी मंचों से संसद और सांसदों पर की गई टिप्पणी सत्तापक्ष को राहुल गांधी पर हमला करने का एक और अवसर दे देती है। इससे पहले भी उनके ऐसे बयानों पर कांग्रेस को सफाई देनी पड़ी है।
देश में जैसे-जैसे राजनीतिक तापमान बढ़ रहा है, वैसे-वैसे राहुल गांधी के विदेश दौरे और वहां दिए गए बयान कांग्रेस के लिए राजनीतिक बोझ बनते जा रहे हैं। अब देखना होगा कि राहुल गांधी स्वयं इस बयान पर कोई स्पष्टीकरण देते हैं या कांग्रेस इसे एक बार फिर “गलत संदर्भ में प्रस्तुत” बता कर आगे बढ़ जाती है।
