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तलाक शब्द भारतीय संस्कृति में नहीं है – पं रामकृपाल त्रिपाठी (गुरुजी)

ग्वालियर। श्री द्वारकाधीश मंदिर थाटीपुर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिवस की कथा में श्री गुरु जी ने गृहणी के महत्व को समझाते हुए कहा कि जिस स्थान में पत्नी होती है वह स्थान घर कहा जाता है, बिना गृहणी के अत्यआधुनिक शानदार भवन भी घर नहीं कहलाता है, दंपत्ति यदि बट वृक्ष के नीचे भी रहते हो तो बट वृक्ष की छाया ही घर कहलाती है पति-पत्नी एक दूसरे के पूरक होते हैं इन्हें अलग नहीं किया जा सकता इसलिए हिंदी एवं संस्कृत साहित्य में तलाक शब्द का अर्थ बोध कराने वाला कोई पर्यायवाची शब्द ही नहीं है क्योंकि भारतीय प्राचीन संस्कृति सभ्यता में कभी तलाक को जानते ही नहीं थे।
श्री गुरु जी ने पूतना वध कथा के दौरान कहा कि लोग कार्ल मार्क्स, लेनिन एंजिल्स, फ्रेडरिक एंगेल्स मानवेंद्र राय आदि को कम्युनिस्ट विचारों का जनक कहते हैं किंतु मथुराधिपति कंस को प्रथम कम्युनिस्ट बताया जिसने एक दोषी को मारने के लिए साथ के सैकड़ो निर्दोष को भी मारने का आदेश दे दिया।
“पूतना छः कोस के बगीचे को मिटाती हुई मरते समय गिरी” की व्याख्या करते हुए कहा कि शरीर में ही छः कोस है ब्रह्मा कोश, अन्नमय कोष, प्राणमय कोष, मनोमय कोष, विज्ञानमय कोष, एवं आनंदमय कोष इन सब को मिटाते हुए जो शरीर छोड़ता है उसे भागवत धाम की प्राप्ति हो जाती है।
श्री गिर्राज पूजन के साथ आज की कथा का समापन हुआ..

भागवत कथा
आज की कथा में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के क्षेत्रीय कार्यकारिणी सदस्य यशवंत इंदापुरकर, वरिष्ठ प्रचारक सुरेंद्र तिवारी, राज्य सूचना आयुक्त डॉ उमाशंकर पचौरी, कथा वाचक भारत शास्त्री, को भाजपा नेता एवं पूर्व विधायक मन्नालाल गोयल, पूर्व भाजपा अध्यक्ष अभय चौधरी, उद्योगपति अशोक निगम , सत्य कुमार मिश्रा, मनीष श्रीवास्तव, श्याम सुंदर श्रीवास्तव, संजय चौहान, सुरेश पाठक, शैलेश कुशवाह, अतुल पांडेय सहित भागवत प्रेमी उपस्थित रहे।