भ्रष्टाचार की नींव पर खड़े हो रहे CM राइज स्कूल और अस्पताल..
मुख्य संवाददाता-भोपाल/सागर। मध्य प्रदेश में लोक निर्माण विभाग (PWD) और भवन विकास निगम (MPBDC) के गलियारों में इन दिनों ‘ओवर-डिजाइनिंग’ और ‘आर्किटेक्चरल लापरवाही’ का एक ऐसा खतरनाक खेल चल रहा है, जिसने न केवल सरकारी खजाने को करोड़ों की चपत लगाई है, बल्कि आम जनता की जान को भी जोखिम में डाल दिया है। मामला मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाले ‘सीएम राइज स्कूल’ और प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना ‘क्रिटिकल केयर हेल्थ ब्लॉक’ से जुड़ा है।
‘हार्ड रॉक’ पर गहरी नींव: तकनीक या कमीशनखोरी?
इंजीनियरिंग सिद्धांतों (IS 456:2000) को ताक पर रखकर निगम के डीजीएम (डिजाइन) विक्रम सोनी पर गंभीर आरोप लगे हैं। मानक के अनुसार सुरक्षा गुणांक (Factor of Safety) 1.5 होना चाहिए, लेकिन इसे बढ़ाकर 3.5 तक कर दिया गया है।
चौंकाने वाला तथ्य: जहाँ जमीन के नीचे कड़ी चट्टान (Hard Rock) है, वहां भी 4 मीटर गहरी खुदाई और भारी-भरकम फुटिंग दी जा रही है।
खेल: दो मंजिला भवन के लिए 1 मीटर चौड़े कॉलम सिर्फ इसलिए दिए जा रहे हैं ताकि ठेकेदार को अतिरिक्त कंक्रीट और स्टील का भारी-भरकम भुगतान कराया जा सके। इसी ‘ओवर-डिजाइनिंग’ के कारण कई स्कूलों का बजट फेल हो गया है और काम अधर में लटका है।
अस्पताल डिजाइन में ‘जानलेवा’ चूक: ICU में धूल और सिर काटते पंखे
निगम की आर्किटेक्ट टीम (नितिन गोली, आयुषी श्रीवास्तव व अन्य) की प्लानिंग ने मेडिकल प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ा दी हैं:
संक्रमण का खतरा: पूरी तरह वातानुकूलित (AC) रहने वाले ICU में 5-5 बड़ी खिड़कियां दे दी गई हैं, जिससे संक्रमण फैलने का सीधा खतरा है।
मौत को न्योता: कमरों की ऊंचाई इतनी कम (8 फीट प्रभावी) रखी गई है कि डॉक्टर का हाथ ऊपर उठते ही चलते हुए सीलिंग फैन की चपेट में आ सकता है।
OT प्रोटोकॉल फेल: ऑपरेशन थिएटर की डिजाइन ऐसी है कि सर्जरी के बाद डॉक्टर को संक्रमित स्थिति में सार्वजनिक गलियारों से गुजरना पड़ेगा।
‘WMS’ पोर्टल को ठेंगा: ऑनलाइन के दौर में ‘ऑफलाइन’ फाइलों से मोह
भवन विकास निगम में पारदर्शिता के लिए ऑनलाइन सिस्टम (WMS) है, लेकिन महाप्रबंधक नितिन गोली और उनकी टीम पर आरोप है कि वे जानबूझकर ‘ऑफलाइन’ फाइलों पर तकनीकी स्वीकृति (TS) दे रहे हैं।
फर्जी सर्वे: बिना मौके पर जाए पुरानी रिपोर्ट्स को ‘कॉपी-पेस्ट’ कर DPR तैयार की जा रही है।
भुगतान का खेल: सुल्तानिया अस्पताल (भोपाल) और गजराज मेडिकल कॉलेज (ग्वालियर) जैसे प्रोजेक्ट्स में बिना ड्राइंग पोर्टल पर डाले चहेते कंसल्टेंट्स को करोड़ों का भुगतान करने के मामले सामने आए हैं।
हादसों की इनसाइड स्टोरी: बांदरी और केवलारी में क्यों गिरे स्कूल के पोर्च?
हाल ही में सागर के बांदरी और सिवनी के केवलारी में स्कूलों के पोर्च गिरने की घटनाओं ने सनसनी फैला दी थी। घटना एक समान थी डिजाईन पर ध्यान नहीं जाने दिया गया क्योंकि डिजाइनर और ऑर्किटेक्ट ही जॉच अधिकारी थे सूत्रों का दावा है कि यह ‘ओवर-रिनफोर्समेंट’ (जरूरत से ज्यादा सरिया) का परिणाम था, जिससे छत का वजन असंतुलित हो गया। जांच दल ने मुख्य डिजाइनरों को बचाने के लिए छोटे फील्ड अफसरों को बलि का बकरा बना दिया।
भाई एवं पार्टनर के नाम पर बनी फर्म से डिजाइन तैयार कराते हैं महाप्रबंधक
मप्र कांट्रेक्टर एसोसिएशन भोपाल द्वारा पूर्व में विक्रम सोनी (उप महाप्रबंधक डिजाइन) के विरुद्ध ईओडब्ल्यू /लोकयुक्त में आर्थिक अनियमितता की शिकायत की गई जिसकी जांच के लिए महाप्रबंधक आर्किटेक्ट, नितिन गोले की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई। शिकायत में कहा कि विक्रम सोनी द्वारा एक स्ट्रक्चर डिजाइन कंसल्टेंसी फर्म चलाई जा रही है, जो विक्रम के भाई और पार्टनर द्वारा बीडीसी में धड़ल्ले से कार्य कर रही है। जिन ठेकेदारों को काम मिलता है उन्हें इसी फर्म से स्ट्रक्चर डिजाइन तैयार कराने के लिए फोर्स किया जाता है और अगर ठेकेदार नहीं कराता तो उसके काम रोके जाते हैं। इस मामले में करोड़ों रुपए की अनियमितता के आरोप लगाए गए हैं।

इस भ्रष्टाचार की गूंज अब ऑडिट रिपोर्ट में भी सुनाई दे रही है। छतरपुर, घंसौर और सागर संभाग के सीएम राइज स्कूलों में ‘हार्ड रॉक’ के बावजूद हैवी डिजाइन दिखाकर किए गए अतिरिक्त भुगतान की रिकवरी (वसूली) के आदेश महालेखाकार द्वारा जारी किए जा चुके हैं।
बड़े सवाल: आखिर मौन क्यों है प्रशासन?
क्या बच्चों और मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वाले अधिकारियों (विक्रम सोनी, नितिन गोली, आयुषी श्रीवास्तव) की संविदा समाप्त होगी?
क्या स्वतंत्र तकनीकी एजेंसी से इन सभी डिजाइनों का थर्ड पार्टी ऑडिट कराया जाएगा?
क्या ठेकेदारों और अधिकारियों के इस वित्तीय गठजोड़ की जांच EOW या लोकायुक्त को सौंपी जाएगी?
मध्य प्रदेश के बच्चों का भविष्य और जनता का स्वास्थ्य आज खराब इंजीनियरिंग और कमीशनखोरी की भेंट चढ़ रहा है। अब देखना यह है कि सरकार इन ‘कुर्सीधारी इंजीनियरों’ पर क्या एक्शन लेती है?
