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माननीयों की क्या नाराजगी है ग्वालियर शहर से ?

राजीव सक्सैना
वैसे तो पुराने समय से आम नागरिक की परेशानी सड़क पानी बिजली प्रदूषण बनी ही रही है लेकिन ग्वालियर में एक आम नागरिक के लिए मुख्य चुनौती यातायात की बन चुकी है । यदि अन्य समस्याओं से हम परेशान भी हैं तब वे हमारे लिए जानलेवा साबित नहीं होंगी लेकिन यातायात की अराजकता एक आमजन की जान ले सकती है एक परिवार को बरबाद कर सकती है । ग्वालियर का ट्रैफिक वर्तमान में जंगलराज को मात दे रहा है सड़कों पर सारे नियम कायदे समाप्त हो चुके हैं । घर से वाहन लेकर यदि आप ग्वालियर की सड़कों पर निकल रहे हैं और सारे नियम कायदे से ड्रायविंग करते हैं तब भी इस जंगलराज यातायात से आप घर सुरक्षित आजाएं यह आवश्यक नहीं है । बाएं हाथ को रोक कर अराजक वाहन चालक खड़े रहते हैं । रोंग साइड वाहन चलाना अपना अधिकार समझा जाने लगा है , ग्वालियर शहर के अधिकांश वनवे समाप्त प्राय: हो चुके हैं उल्टी दिशा से धड़ल्ले से वाहन चल रहे हैं । ओवर स्पीडिंग के चलते शहर के कुछ मार्ग रेसिंग ट्रैक बन रहे हैं तो कुछ पर स्थाई जाम के हालात बने रहते हैं ।
यहां रही सही कसर पूरी कर रहे हैं ऑटो और ई-रिक्शा इनके कई चालक तो लगता है भारतीय परिवहन नियम कानून मानते ही नहीं । जहां मर्जी रोक देते हैं जब मन होता है मोड़ देते हैं मजे की …नहीं दुर्भाग्य की बात है कि कई ऑटो चालक स्मैक व अन्य नशा कर ग्वालियर शहर की सड़कों पर यमदूत बन दौड़ रहे हैं और यह बात खुद ट्रैफिक कर्मी कह देते हैं कि यह स्मैकची होंगे आदतन झगडा़लू होते हैं । यहां पर आश्चर्य यह है कि जब स्टाफ को पता है कि सड़कों पर कई ऑटो स्मैकची दौड़ा रहे हैं तब वे कार्यवाही क्यों नहीं करते ? अधिकारी प्रशासन निर्देश क्यों नहीं देता ? और हमारे शहर के माननीय नेता विधायक मंत्री सांसद शहर की इस दुर्दशा पर मौन क्यों हैं ? विकास की वह कौन सी बैठकें होती हैं जिनमें इतने महत्वपूर्ण मुददे छूट जाते हैं ? क्या सड़क खोदने बनाने को ही विकास माना जाने लगा है ? यह ग्वालियर का दुर्भाग्य है कि जिस शहर नें इतने मंत्री सांसद दिए हों अटल जी जैसे विद्वानों की मातृभूमि ग्वालियर शहर आज लावारिसों जैसा उपेक्षित है यहां केवल और केवल व्हीआईपी की सुरक्षा ही सब कुछ है आम नागरिक अपने भाग्य भरोसे है ।