भोपाल, 16 नवम्बर 2025। राजा राम मोहन राय पर दिए गए मंत्री इंदर सिंह परमार के कथित बयान को लेकर मध्य प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने जहां मंत्री पर इतिहास-विरोधी, असंवेदनशील और लोकतंत्र विरोधी मानसिकता का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री से बर्खास्तगी की मांग की, वहीं भाजपा ने पटवारी की प्रतिक्रिया को “बढ़ा-चढ़ाकर बयानबाजी” बताते हुए कड़ा पलटवार किया।
कांग्रेस का आरोप – “महान समाज-सुधारक का अपमान भाजपा की आदत”
जीतू पटवारी ने कहा कि भाजपा अब लोकतंत्र से लेकर संविधान और देश के महान सुधारकों तक, हर उस व्यक्तित्व को निशाना बना रही है जिसने आधुनिक भारत की नींव रखी।
उन्होंने कहा- > “राजा राम मोहन राय को ‘अंग्रेजों का दलाल’ कहना इतिहास के साथ अपराध है। भाजपा के मंत्री नारी उत्थान और सामाजिक सुधार के महानायक पर हमला कर रहे हैं, यह उनकी मानसिकता का आईना है।”
पटवारी ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से स्पष्ट जवाब की मांग करते हुए कहा—
> “यदि मुख्यमंत्री इस बयान से सहमत नहीं हैं, तो मंत्री को बर्खास्त करें और देश से माफी दिलवाएँ, वरना माना जाएगा पूरी सरकार इसी सोच को बढ़ावा दे रही है।”
कांग्रेस ने चेतावनी दी कि इस मुद्दे पर वह सड़क से सदन तक संघर्ष करेगी।
भाजपा का पलटवार – “पटवारी राजनीतिक ठगी के ‘स्थायी ठेकेदार’, बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे”
कांग्रेस के आरोपों पर भाजपा ने कड़ा जवाब देते हुए कहा कि जीतू पटवारी “राजनीति में भ्रम फैलाने और बयानों को तोड़ने-मरोड़ने के विशेषज्ञ” हैं।
भाजपा प्रवक्ता ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा—
> “पटवारी जी ने हमेशा की तरह आधी बात समझी और आधी जनता को गलत बताई। मंत्री इंदर सिंह परमार ने इतिहास के प्रसंग का संदर्भ दिया था, उसे कांग्रेस ने जानबूझकर विकृत कर प्रस्तुत किया।”
भाजपा ने पलटवार करते हुए आगे कहा—
> “कांग्रेस का इतिहास ही महान भारतीय व्यक्तित्वों के अपमान से भरा पड़ा है—नेहरू ने सुभाष बोस को कभी उचित सम्मान नहीं दिया, इंदिरा गांधी के दौर में कई क्रांतिकारियों को हाशिए पर धकेला गया। जो पार्टी खुद इतिहास के साथ राजनीति करती रही हो, उसे आज अचानक समाज-सुधारकों की याद आना सिर्फ राजनीतिक नौटंकी है।”
भाजपा ने इसे कांग्रेस की “निर्देशहीन राजनीति” बताते हुए कहा कि पटवारी पहले खुद भाषणों के तथ्य पढ़ें फिर बयान दें। भाजपा ने पूछा—“कांग्रेस बताए, राजा राम मोहन राय के खिलाफ ब्रिटिश सरकार के दौर में किसने गलत व्याख्याएँ फैलाईं?”
भाजपा ने पलटवार को और तीखा करते हुए कहा—
> “कांग्रेस भूल रही है कि राजा राम मोहन राय के सुधारों का सबसे ज्यादा विरोध उस समय किस ओर से आया था। पटवारी इतिहास पढ़ लें—आज जिस सुधारक का नाम लेकर राजनीति कर रहे हैं, वही कांग्रेस शासन में किताबों और पाठ्यक्रमों से लगातार हाशिए पर किए गए।”
मंत्री इंदर सिंह परमार ने भी दी प्रतिक्रिया – “मेरे बयान को राजनीतिक रंग दिया गया”
मंत्री परमार ने अपनी सफाई में कहा—
> “मैंने इतिहास में उस वर्ग का उल्लेख किया था जिसने ब्रिटिश शासन में राजा राम मोहन राय के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। कांग्रेस जानबूझकर इसे मेरे नाम से जोड़ रही है। मेरे शब्दों को काटकर गलत ढंग से पेश किया गया।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस बिना संदर्भ के राजनीति करने की आदी है
राजनीति में ‘इमोशनल नैरेटिव’ की जंग तेज
राजा राम मोहन राय जैसे महान समाज-सुधारक का नाम जुड़ने से मामला और संवेदनशील हो गया है।
कांग्रेस इसे भाजपा की “विचारधारात्मक विफलता” बता रही है, जबकि भाजपा इसे कांग्रेस की “राजनीतिक हताशा” करार दे रही है।
फिलहाल बयानबाजी तेज है और आने वाले दिनों में यह मुद्दा विधानसभा से लेकर सड़क तक राजनीतिक टकराव को और बढ़ा सकता है।
