एसबी राज तंवर 15 नवंबर 2025। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों ने भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय लिख दिया है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने 243 सदस्यीय विधानसभा में लगभग 202 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत हासिल कर लिया, जबकि महागठबंधन केवल 35 सीटों के आसपास सिमट गया। यह सिर्फ एक चुनावी जीत नहीं, बल्कि बदलते सामाजिक समीकरणों और नए मतदाता-विचार का संकेत है।
महिला–युवा–EBC: नया ‘एमवाई’ फार्मूला बना NDA की जीत का आधार
पहले बिहार की राजनीति ‘एमवाई’ (मुस्लिम-यादव) समीकरण के इर्द-गिर्द घूमती थी, लेकिन इस बार चुनावी मैदान में एक नया एमवाई उभरा —
महिला + युवा + EBC (अत्यंत पिछड़ा वर्ग)।
इन तीन वर्गों ने NDA को निर्णायक समर्थन दिया। महिलाओं में सुरक्षा-सुविधा और योजनाओं पर भरोसा, युवाओं में स्थिर नेतृत्व की चाह और EBC में सामाजिक प्रतिनिधित्व की भावना ने वोट दिशा तय की।
संगठन और नेतृत्व की ताकत: मोदी-नीतीश की संयुक्त पकड़
BJP और JDU के बीच सीट-साझेदारी से लेकर बूथ-मैनेजमेंट तक, NDA की संगठन शक्ति इस चुनाव में पूरी तरह दिखाई दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय लोकप्रियता और नीतीश कुमार की क्षेत्रीय पकड़ ने जमीन पर तालमेल बनाया।
NDA के सभी सहयोगी — JDU, BJP और LJP(RV) — तीनों ने इस बार अधिक समन्वित और तालमेल-युक्त रणनीति अपनाई।

विकास और योजनाओं की राजनीति ने बदला दिशा-मानचित्र
इस चुनाव में जातीय समीकरणों से ज्यादा विकास, बुनियादी ढाँचा और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दे निर्णायक रहे।
महिला मतदाताओं के बीच उज्ज्वला, रोजगार, शिक्षा और सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं का प्रभाव स्पष्ट दिखा।
गांव-स्तर पर केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं के लाभार्थियों की संख्या बड़ी और जागरूक दोनों रही — जिससे NDA को सीधा लाभ मिला।
महागठबंधन की रणनीति विफल – पुरानी जमीन पर अटका अभियान
महागठबंधन इस चुनाव में न नए संदेश दे पाया, न नए समीकरण बना पाया।
RJD-केंद्रित नेतृत्व पुराने सामाजिक आधार पर ही टिका रहा, जबकि जमीन पर मतदाता बदल चुका था।
तीसरे मोर्चे और छोटे दलों ने विपक्षी वोटों में विभाजन पैदा किया, जिससे कई सीटें सीधे NDA की झोली में चली गईं।
कौन रहा विजेता – कौन पिछड़ा?
BJP: लगभग 89 सीटों के साथ सबसे बड़ा घटक दल
JDU: मजबूत वापसी, कई पारंपरिक सीटें वापस
LJP(RV): पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन, लगभग 19 सीटें
महागठबंधन (RJD-Congress-Left) का अब तक का यह सबसे कमजोर प्रदर्शन है। यह परिणाम बताता है कि बिहार का मतदाता अब विकास, स्थिरता और दीर्घकालिक योजनाओं पर आधारित राजनीति को प्राथमिकता देने लगा है।
बिहार के नतीजों ने NDA को बड़ा नैतिक और राजनीतिक बल दिया है। यह परिणाम सिर्फ राष्ट्रीय राजनीति पर असर नहीं डालेगा बल्कि आने वाले चुनावों का नक्शा भी बदलेगा।
यह जीत आगामी राज्यों – विशेषकर पश्चिम बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश आदि में NDA को रणनीतिक लाभ देगी।

विपक्षी दलों के लिए यह एक बड़ा संकेत है कि वोटर बदल चुका है — रणनीति भी बदलनी होगी।
