hacklink al
casibompadişahbetjojobet girişjojobetjojobetjojobet girişholiganbetholiganbet girişjojobetjojobet girişjojobet girişjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişmatbetmatbet girişholiganbetholiganbet girişmeritkingmeritking girişmeritkingmeritking girişjojobetjojobet girişbetcio girişbetciojojobetjojobet girişmeritkingmeritking girişmeritkingmeritkingmeritking girişholiganbet girişholiganbet girişholiganbet girişprimebahisprimebahis girişbetpuanbetpuanbetpuanbetmarinobetmarinocasibomprimebahisprimebahis girişaresbet girişaresbet girişaresbetjojobetjojobet giriş

EWS कोटे पर करोड़पतियों का कब्जा, जांच एजेंसिंयों पर सवाल !

मप्र भवन विकास निगम में भारी फर्जीवाड़ा उजागर, EOW–PWD के सरकारी पत्रों से खुला सच..

एसबी राज तंवर भोपाल। मध्यप्रदेश भवन विकास निगम (MPBDC) में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के नाम पर करोड़ों की संपत्ति रखने वाले अधिकारियों को उच्च पदों पर समायोजित करने का बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। इस पूरे मामले की पुष्टि दो महत्वपूर्ण सरकारी पत्रों से भी हो चुकी है—एक आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) का और दूसरा लोक निर्माण विभाग (PWD) का।

दोनों विभागों ने निगम द्वारा जांच को टालने, योग्य कार्रवाई न करने और फर्जी EWS प्रमाणपत्रों के आधार पर की गई नियुक्तियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

EOW की पुष्टि – फर्जी EWS पर नियुक्तियाँ, जांच को दबाया गया

दिनांक 04 अप्रैल 2024 को जारी EOW के पत्र (क्रमांक 626-B/24) में यह स्पष्ट रूप से दर्ज है कि निदेशक तकनीकी के पद पर हुई संविदा नियुक्तियों में फर्जी EWS प्रमाणपत्रों का उपयोग हुआ। शिकायत अनुसार निगम के अधिकारियों ने भारी आर्थिक अनियमितताएँ कीं।

पहले मांगी गई जांच-प्रतिवेदन रिपोर्ट निगम ने नहीं भेजी, न ही संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया। लिहाजा EOW ने मामले को पुनः सक्रिय करते हुए लोक निर्माण विभाग और निगम दोनों को कार्रवाई हेतु वापस भेजा है।पत्र में स्पष्ट निर्देश दिए कि यह शिकायत “आपकी और प्रेषित की गई है तथा आवश्यक वैधानिक कार्रवाई की जानी चाहिए”।

इससे साफ है कि मामला सिर्फ आरोपों का नहीं बल्कि शासन के स्तर पर दर्ज आधिकारिक अनियमितता है।

PWD का कड़ा निर्देश—‘15 दिनों में विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत करें’

दूसरा अभिलेख: मंत्रालय वल्लभ भवन से 29 अप्रैल 2024 को जारी पत्र (क्रमांक 1826/1678294/2023/स्था./19) में राज्य शासन ने निगम को कड़े शब्दों में निर्देश दिया गया कि  EWS फर्जीवाड़े से संबंधित शिकायतें (क्रमांक 3203/23, 620/24, 620-I/24) पहले EOW द्वारा भेजी गई थीं परंतु MPBDC ने पूर्ण तथ्य, बिंदुवार विवरण और न ही जांच-प्रतिवेदन राज्य शासन को भेजा।

राज्य शासन ने निगम को आदेश दिया है कि सभी शिकायतों को समेकित कर, बिंदुवार प्रतिवेदन तैयार करके 15 दिनों के भीतर राज्य शासन को उपलब्ध कराएँ। PWD ने यह भी लिखा है कि निगम की ओर से पूर्व में भेजे गए दस्तावेज़ “अपर्याप्त और अपूर्ण” पाए गए हैं। शिकायत दस्तावेज़ों में ऐसे तकरीबन आधा दर्जन अधिकारियों के नाम और विस्तृत आरोप दर्ज हैं।

इन सभी मामलों में शिकायतकर्ता ने विस्तृत संपत्ति विवरण, नियुक्ति प्रक्रिया, अनुभव और फर्जी प्रमाणपत्रों के उपयोग के सबूत भी संलग्न किए हैं। इन दस्तावेज़ों में यह भी दर्ज है कि अधिकांश अधिकारी सिर्फ 3–4 वर्ष में ही 1 करोड़ से अधिक की संपत्ति अर्जित कर चुके हैं जिसके चलते EOW में इसके प्रति और भी संदेह गहमा गया है। लिहाजा यह कहना उचित होगा कि राज्य शासन ने स्वयं इस प्रकरण को गंभीर वित्तीय अनियमितता माना है। इसके बावजूद यह मामला अब तक विभागीय एवं जांच एजेंसियों के स्तर पर ठंडे बस्ते में पड़ा रहा।

अब मामला निर्णायक मोड़ पर

शिकायतकर्ता ने सवाल उठाया है कि अगर निचले स्तर पर यह हाल है तो CGM और GM स्तर के अधिकारी कितने बड़े ‘कीर्तिमान’ स्थापित कर रहे होंगे यह बड़ा सवाल है?शिकायत में जांच एजसियों पर यह भी सवालिया उल्लेख किया कि—“EOW और लोकायुक्त पंचायत सचिव, रोजगार सहायक और पटवारी जैसे छोटे कर्मचारी पकड़कर कोटा पूरा करते हैं, जबकि करोड़ों के EWS फर्जीवाड़े वाले बड़े अधिकारी सुरक्षित घूमते रहते हैं और  ईओडब्ल्यू–लोकायुक्त छोटी मछलियाँ पकड़कर कोटा पूरा कर रहे हैं”।

अब शिकायतकर्ता ने चेतावनी देते हुए EOW को दोबारा आवेदन देकर कहा है कि यदि तत्काल जांच शुरू नहीं हुई और आरोपी अधिकारियों की संपत्ति एवं EWS प्रमाणपत्रों की वैधता की जांच नहीं हुई तो यह पूरा मामला न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा।

फर्जी EWS के सहारे करोड़ों की संपत्तियों वाले  अधिकारियों का खुलासा अगले_ एपिसोड में