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रजिस्ट्री नामांकन एवं स्टांप विभाग में हजार करोड़ से भी बड़ा भ्रष्टाचार..

काले धन की अर्थव्यवस्था के असली सूत्रधार हैं उपपंजीयक..

सर्विस प्रोवाइडर और दलाल है इसके प्रमुख माध्यम..

ग्वालियर 6 मार्च 2024। मध्य प्रदेश शासन के अधीन वाणिज्य कर विभाग के अंतर्गत पंजीयन एवं मुद्रांक शाखा है जहां पर अचल संपत्तियां जैसे भूमि एवं भवन के रजिस्ट्री पत्र संपादित किए जाते हैं।
राज्य सरकार से लेकर उप पंजीयन तक की विभागीय संरचना के अंतर्गत उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा वाणिज्य कर विभाग के कैबिनेट मंत्री है जिनके अध्यधीन नामांकन एवं स्टांप विभाग प्रमुख- महानिरीक्षक पंजीकरण- एम. शैलवैन्द्रम हैं ।इस विभाग में चार क्षेत्रीय उप महानिरीक्षक पंजीकरण कार्यालय है जिसमें सक्षम अधिकारी के रूप में भोपाल में सीव्हीआई.सोरते, इंदौर में बालकृष्ण मौर्य, जबलपुर में प्रभाकर चतुर्वेदी तथा ग्वालियर में के एस रावत पदस्थ है। इसी पंजीकरण महानिरीक्षक के नियंत्रण में राज्य में कुल 51 जिला पंजीयक कार्यालय एवं 234 उप जिला पंजीयन कार्यालयों का संचालन होता है जिनमें उप पंजीयकों के माध्यम से अचल संपत्तियां का रजिस्ट्रीकरण संपादन होता है।

काले धन की अर्थव्यवस्था के असली सूत्रधार हैं उपपंजीयक..

ज्ञात हो कि पूरे राज्य में भूमि एवं भवनों की रजिस्ट्री संपादन का कार्य उप पंजीयन कार्यालय के माध्यम से होता है जिनमें सक्षम प्राधिकारी उप पंजीयक होता है। महानगरीय एवं नगरीय क्षेत्र से प्राप्त जानकारी अनुसार भले ही जिला एवं तहसील स्तर पर महानगरों के मुकाबले कम रजिस्ट्रियां संपादित होती है मगर फिर भी मध्य प्रदेश के प्रत्येक जिले से प्रतिमाह (20 कार्य दिवस) औसतन 300 रजिस्ट्रियां पंजीकृत होती है। भूमि एवं भवन के प्रत्येक क्रेता को सुविधा शुल्क के नाम पर महानगरी क्षेत्र में 3000 रुपए से 5000 रु. तथा नगरी क्षेत्र में 1000 से 2000 रु तक रिश्वत देनी पड़ती है। रिश्वत के रूप में ये राशि साधारण से साधारण रजिस्ट्री में भी ली जाती है और यदि कोई पेचीदगी हो या मकान की रजिस्ट्री प्लॉट में करवानी हो अथवा लैंड यूज बदलकर स्टांप ड्यूटी बचानी हो.. बगैरा बागैरा कई पैंतरे बाजियों द्वारा क्रेताओं से अच्छी खासी रकम ऐंठी जाती है। इस तरह जिला स्तर पर हरेक माह तकरीबन एक करोड़ अस्सी लाख रुपए का भ्रष्टाचार होता है और जब प्रदेश स्तर पर नजर डाली जाए तो दिल दहलाने वाली तस्वीर सामने आती है। अर्थात पूरे प्रदेश में उप पंजीयन कार्यालय के माध्यम से होने वाले महाभ्रष्टाचार का आंकड़ा 1000 करोड़ से कहीं ज्यादा है।

सर्विस प्रोवाइडर और दलाल है इसके प्रमुख माध्यम..


इस पैंतरे बाजी के खेल में उप पंजीयक महोदय का साथ में  सर्विस प्रोवाइडर एवं दलाल की अहम भूमिका होती है। जिसका उदाहरण ग्वालियर पंजीयन कार्यालय के इस छायाचित्र में देखा जा सकता है, जिसमें प्रभारी उप पंजीयक महोदया के साथ लाल स्वेटर पहने हुए तथाकथित ये सर्विस प्रोवाइडर मनीराम को कुछ गुलाटी मारते हुए देखा जा सकता है, यही माहौल लगभग पूरे प्रदेश के अधिकांश कार्यालयों का है।

संपूर्ण मध्य प्रदेश में उप पंजीयक कार्यालयों के द्वारा हजार करोड़ से ज्यादा राशि के रूप में संचित कालेधन की अर्थव्यवस्था बहुत ही कुशलता से लगातार निरंकुश संचालित हो रही है। इस कार्यालय से मंत्रालय तक किसको क्या मिला या ना मिला.?.. इस पर से भी जल्द उठेगा पर्दा !