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भ्रष्टाचार के समुंदर मप्र आबकारी के बड़े मगरमच्छ

भ्रष्टाचार की अनवरत श्रृंखला से परत दर परत उजागर हुए कई आबकारी घोटाले..

उपायुक्त एवं सहायक आयुक्त लेवल के अधिकारियों की संलिप्तता में हो रहे हैं ये कारनामें..

भोपाल 22 अप्रैल 2024। मध्य प्रदेश के आबकारी विभाग में वित्तीय घोटालों एवं अनियमित्ताओ का लगातार सिलसिला जारी है जिनमें मुख्य रूप से दुकान आवंटन घोटाला, ट्रेजरी चालान हेरा फेरी घोटाला, एफडीआर घोटाला, बैंक गारंटी घोटाला आदि शामिल है। मप्र आबकारी विभाग के उपायुक्त एवं सहायक स्तर के अधिकारियों की भ्रष्टाचार की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि समय कम पड़ जाए ।

युग क्रांति आज ऐसे आबकारी अधिकारियों की का चेहरा बेनकाब कर रहा है जो व्हाइट कलर ऑफिसर है। आपको बता दे कि जिन पर न केवल भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप है बल्कि आरोप प्रमाणिक भी हो चुके हैं लेकिन इसके बावजूद भी आबकारी विभाग के मुखिया चुप्पी साधे हुए हैं ।

भ्रष्टता के काले समुंदर के बड़े मगरमच्छ..

सबसे पहले आपको बताते हैं ग्वालियर में पदस्थ सहायक आबकारी आयुक्त संदीप शर्मा के बारे में _____इन महोदय पर गबन का 10 करोड़ 18 लाख 36 हजार 29 रुपए के भ्रष्टाचार की प्रामाणिक आरोप है । यह घोटाला आयुक्त कोष एवं लेखा विभाग द्वारा जांच में सामने आया । मध्य प्रदेश के कोष एवं लेखा आयुक्त द्वारा आबकारी आयुक्त को भेजे गए पत्र में इसका पूरा विवरण है । संदीप शर्मा पर ठेकेदारों को पैसा लेकर लाभ पहुंचाने के गंभीर आरोप हैं साथ श्री शर्मा को लग्जरी गाड़ियों में घूमने का भी शौक है। ये स्टाफ समेत उन गाड़ियों में घूमते हैं जिसके वह पत्र  भी नहीं है। ये सारी गाड़ियां टैक्सी कोटे में नहीं होने के बावजूद भी श्री शर्मा ने सारे नियम व कानून को ताक पर रखकर वाहन स्वामियों को लाभ पहुंचाया रहे हैं और शासन के पैसे का दुरुपयोग कर लक्जरी गाड़ियों में घूमने का आनंद उठा रहे है । इतने गंभीर आरोपों के बाद आबकारी सहायक आयुक्त संदीप शर्मा 4 साल तक ग्वालियर में सहायक आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ रहे। 15 जनवरी 2021 में आयुक्त कोष एवं लेखा विभाग द्वारा दिए गए प्रतिवेदन पर श्री शर्मा से कोई सवाल जवाब नहीं किए गए उनकी रसूख अंदाजा का इसी बात से लगाया जा सकता है ।

संदीप शर्मा इतने रसूखदार अधिकारी हैं की 2019 में इन्हीं भ्रष्टाचारों के चलते इन्हें सस्पेंड किया गया और इसके कुछ समय बाद ही उन्हें बहाल कर दिया गया । बहाली के उपरांत उनकी पदस्थापना नियम वरुद्ध ग्वालियर ही कर दी गई क्योंकि नियम यह है कि सस्पेंशन के बाद उसी जगह पर पद स्थापना नहीं की जानी चाहिए । इसके बाद संदीप शर्मा सभी विभागीय अधिकारियों पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए कोर्ट गए जहां इन्हें फटकार मिली और कहा गया कि आपके द्वारा लगाए गए आरोप निराधार है इसे वापस ले अन्यथा आपके ऊपर फर्जी मुकदमा चलाने का मामला पंजीकृत किया जाएगा । संदीप शर्मा ग्वालियर के रहने वाले हैं और यहीं पर नौकरी कर रहे हैं। ठेकेदारों से मिली भगत के चलते करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं लेकिन यह आज भी शान के साथ नौकरी कर रहे हैं कोई भी आबकारी आयुक्त आए वह भी इन पर कार्रवाई करने से बचते ही नजर आते हैं

इसी क्रम में दूसरा नाम आता है राज्य उड़न दस्ता के प्रभारी वीरेंद्र सक्सेना का। यह डिप्टी कमिश्नर पद को सुशोभित कर रहे हैं इनकी ही देखरेख में भोपाल में सोम डिस्लेरी में अवैध टैंको निर्माण हुआ। 2010-11 से लेकर 2018 तक टैंक वहां बनते रहे और अवैध शराब बिकती रही । कोरोना काल के दौरान अवैध शराब सोम डिस्टलरी से लगातार बेची गई मगर  डिप्टी कमिश्नर वीरेंद्र सक्सेना को भनक तक नहीं लगी या कहें इन्होंने आंख बंद कर ली थी। सोम डिस्टलरी के अवैध टैंको को लेकर तत्कालीन आयुक्त राकेश श्रीवास्तव ने 2 लाख की पेनल्टी लगाकर मामले को रफा दफा कर दिया था और इसी मामले को लेकर विपक्ष के नेता डॉ गोविंद सिंह ने 2022_23 विधानसभा में सवाल भी पूछा था जहां आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा ने दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की बात कही थी लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

तीसरा नाम आता है रीवा उड़द दस्त के प्रभारी अरबपति आलोक खरे का, इन पर आय से अधिक संपत्ति (डेढ़ सौ करोड़) कमाने का आरोप है जिसमें लोकायुक्त ने उनके विरुद्ध मामला भी दर्ज किया है और इनकी अन्य कई विभागीय जांच भी चल रही है। आपको बता दें कि प्रबंध निदेशालय द्वारा भी आलोक खरे को पत्र भेजा गया था जिस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।मगर आय से अधिक संपत्ति मामले में इन पर शिकंजा कसता नजर आ रहा है। जिसकी विस्तृत जानकारी बहुत जल्द युग क्रांति टीम द्वारा अपनी पड़ताल पूरी होते ही अपने प्रिय पाठकों को दी जाएगी

अब बात करते हैं 2022-23 में उजागर हुए एफडीआर मामले की, जिसमें सजेद्र मोदी और असिस्टेंट कमिश्नर राकेश कुर्मी को एफडीआर घोटाले में आरोपित किया गया था । इन महोदय ने ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए एफडीआई तो बनवा ली और उन्हीं को वापस कर दी। इस गंभीर अनियमितता के लिए सजा के नाम इन्हें कैंप ऑफिस अटैच कर दिया गया था। अटैच करना शायद कोई सजा नहीं होती सिर्फ खाना पूर्ति होती है, इसी वजह से यह अधिकारी भ्रष्टाचार की नाव में सवार होकर करोड़ के बारे न्यारे कर रहे हैं ।

ऐसा ही मामला एक इंदौर में भी सामने आया था जिसमें असिस्टेंट सहायक आबकारी आयुक्त राज नारायण सोनी को ग्वालियर में अटैच किया गया था। इन पर भी फर्जी एफडीआई घोटाले का आरोप है जिसकी जांच अभी तक चल रही है । इसी क्रम एफडीआर घोटाले में डिप्टी कमिश्नर संजय तिवारी को इंदौर से हटाकर उज्जैन का डिप्टी कमिश्नर बना दिया गया जबकि तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर संजय तिवारी को इसमें बड़ा हाथ बताया जा रहा था ।

अब बात करते हैं आबकारी विभाग के दबंग अधिकारी अजय शर्मा की , निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के चलते इन्हें हेड ऑफिस ग्वालियर अटैक किया गया है । इनको पहले भी 6 साल के लिए हेड ऑफिस अटैक किया गया था तभी ठेकेदारों से रिश्वत मांगने का ऑडियो इनका वायरल हुआ था जिसमें तत्कालीन आबकारी मंत्री जयंत मलैया द्वारा अजय शर्मा को हटाया गया था।

आपको यह बता दे की आबकारी विभाग में छोटे-मोटे भ्रष्टाचार तो होते ही रहते हैं जिन्हें विभाग में भ्रष्टाचार नहीं माना जाता लेकिन 1 दर्जन से अधिक उपायुक्त व सहायक आयुक्त लेबल के अधिकारियो द्वारा मध्य प्रदेश के राजकोष को करोड़ों रुपए का चूना लगाना सामने आ चुका है मगर अभी तक इन पर कोई भी बड़ी कार्रवाई नहीं हुई । वर्तमान में प्रमुख सचिव और आबकारी कमिश्नर यह कह कर पल्ला झाड़ लेते हैं कि अभी विभाग में हमारी नई नियुक्ति हुई है और हमें इन भ्रष्टाचार के बारे में जानकारी नहीं है वहीं अगर आबकारी मंत्री से इस बारे में सवाल पूछे जाते हैं तो वह कार्रवाई का आश्वासन देकर मामले की इत श्री कर देते हैं। जग विदित है कि आबकारी विभाग में मलाईदार पद पाने के लिए के लिए पैसा और पॉवर दोनो का इस्तेमाल होता है और ये दबंग अधिकारी इसी दम पर भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार करते जा रहे हैं और राजकीय कोष को करोड़ों रुपए का घाटा उठाना पड़ता है। देखना यह होगा कि मोहन यादव की नई सरकार  और नवागत आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल आबकारी विभाग को भ्रष्टाचार का समंदर बनने से रोकने के क्रम में विभाग के इन मगरमच्छ अधिकारियों पर क्या कार्रवाई करते हैं ?