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शिवराज और सिंधिया समेत मध्य प्रदेश के हिस्से आए पांच मंत्री

मध्य प्रदेश से शिवराज सिंह चौहान, डॉ. वीरेंद्र खटीक, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली। इसके अलावा दुर्गादास उईके और सावित्री ठाकुर ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली है। आइए जानते हैं इनके बारे में…

शिवराज सिंह चौहान

प्रदेश के चार बार सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान ने मोदी कैबिनेट में पांचवें नंबर पर शपथ ली है। विदिशा से छठवीं बार सांसद चुने गए। उन्होंने देश में सबसे बड़ी जीत दर्ज की है। शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में भाजपा के सबसे कद्दावर नेता हैं। वह मध्य प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला है। शिवराज सिंह चौहान को मध्य प्रदेश में ‘मामा’ नाम से भी पुकारा जाता है। उनका पेशा राजनीति और कृषि रहा है। सीहोर जिले के बुधनी में 5 मार्च 1959 को जन्मे शिवराज अब 64 के हो चुके हैं। लेकिन ऊर्जा से अब भी किसी युवा को मात देने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल से शिक्षा हासिल की है। एमए (दर्शनशास्त्र) कर चुके हैं। पिता प्रेम सिंह चौहान हैं, तो माता का नाम सुंदर बाई चौहान है। साधना सिंह से उनका विवाह हुआ है। उनके दो पुत्र कार्तिकेय चौहान, कुणाल चौहान हैं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया

ज्योतिरादित्य सिंधिया एक बार फिर केंद्र सरकार में मंत्री बने हैं। उन्होंने शपथ ले ली है। वे रविवार सुबह पीएम नरेंद्र मोदी की संभावित मंत्रियों के साथ हुई चर्चा में शामिल थे। सिंधिया पांचवीं बार सांसद बने हैं। पहली बार भाजपा से चुनाव लड़कर वे लोकसभा पहुंचे हैं। भाजपा में शामिल होने के बाद वे राज्यसभा सांसद बने और केंद्र में मंत्री बने थे। 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में वह सिंधिया राजघराने की परंपरागत सीट से भारी बहुमत से विजयी रहे और पांचवीं बार लोकसभा में पहुंचे हैं। ग्वालियर के सिंधिया राजघराने के वंशज ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को बखूबी आगे बढ़ा रहे हैं। आजाद भारत में राजमाता विजयाराजे सिंधिया, उनके बेटे माधव राव सिंधिया, बेटियां वसुंधरा राजे सिंधिया, यशोधरा राजे सिंधिया और पोते ज्योतिरादित्य सिंधिया का राजनीति में दबदबा रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हार्वर्ड कालेज, हार्वर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक किया। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए डिग्री हासिल की। इसके उपरांत उन्होंने एक बैंकर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। हालांकि 30 सितम्बर 2001 को पिता माधवराव सिंधिया की एक विमान हादसे में आकस्मिक निधन के बाद परिस्थितियों ने कुछ ऐसा मोड़ लिया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया भी राजनीति में आ गए और उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करते हुए अपने पिता की सीट गुना से चुनाव लड़ा और पहली बार संसद पहुंचे।

ज्योतिरादित्य सिंधिया को मई 2004 में फिर से इसी सीट से चुना गया और 2007 में केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री के रूप में केंद्रीय मंत्री परिषद में शामिल किया गया। इसके बाद 2009 में हुए चुनाव में वह लगातार तीसरी बार गुना सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचे और इस बार उन्हें वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री बनाया गया। 2014 में, सिंधिया गुना से फिर चुने गए थे। लेकिन 2019 में उन्हें भाजपा के डा. कृष्णपाल सिंह यादव के मुकाबले हार झेलनी पड़ी। इसके बाद कांग्रेस पार्टी में ही एक गुट लगातार साइडलाइन करने की साजिश रचते रहा। आखिरकार 2020 में उन्होंने अपने समर्थकों के साथ भाजपा ज्वाइन कर ली और भाजपा के टिकट पर राज्यसभा में पहुंच गए। इसके बाद 2021 में हुए मोदी कैबिनेट के विस्तार में उन्हें जगह मिली और नागरिक उड्डयन मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया।बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया पहली बार भाजपा के टिकट से लोकसभा चुनाव लड़े हैं। उन्होंने ये चुनाव 540929 वोटों से जीता है। गुना शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र उनका गढ़ माना जाता है, हालांकि 2019 के चुनावों में भाजपा के केपी यादव से चुनाव हारे थे।

डॉ. वीरेंद्र खटीक
डॉ. वीरेन्द्र खटीक एक बार फिर से मोदी सरकार में मंत्री बने हैं। टीकमगढ़ संसदीय क्षेत्र से आठवीं बार सांसद चुने गए वीरेंद्र खटीक लोकप्रिय नेता हैं। सागर में जन्मे वीरेंद्र खटीक को पिछली सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली थी। वीरेंद्र कुमार ने चार लोकसभा चुनाव प्रदेश की सागर लोकसभा सीट और चार लोकसभा चुनाव टीकमगढ़ लोकसभा सीट से जीते हैं। पहली बार वो साल 1996 में हुए 11वें लोकसभा चुनावों में निर्वाचित हुए। जिसके बाद उन्होंने साल 1998, 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में अपने प्रतिद्वंदियों पर जीत हासिल की। 2024 के चुनाव में वे चार लाख मतों से जीते हैं। उन्होंने कांग्रेस के पंकज अहिरवार को हराया था।

सावित्री ठाकुर

मध्य प्रदेश के धार लोकसभा सीट से दो लाख से अधिक वोटों से जीतने वालीं सांसद सावित्री ठाकुर को मोदी कैबिनेट में जगह मिली है। मोदी 3.0 में उन्हें मंत्री बनाया गया है। चुनाव में सावित्री ने कांग्रेस उम्मीदवार राधेश्याम मुवेल को करारी शिकस्त दी थी। सांसद सावित्री ठाकुर ने राजनीति में अपने दम पर जगह बनाई है। उनके परिवार का दूर-दूर तक राजनीति से कोई नाता नहीं था। उनके पति तुकाराम ठाकुर किसान है और पिता राज्य वन विभाग के कर्मचारी रह चुके हैं। एनजीओ में को-ऑर्डिनेटर बनने के दौरान सावित्री आरएसएस के संपर्क में आईं थी। इसके बाद उससे जुड़ गईं। आदिवासी समाज से और पढ़ी लिखी महिला होने का फायदा सावित्री को मिला और धीरे-धीरे उन्होंने राजनीति में अपनी जगह बनाई।

दुर्गादास उईके

मध्य प्रदेश के बैतूल से लोकसभा सांसद दुर्गादास उईके को भी मोदी कैबिनेट में जगह मिली है। दुर्गादास उइके का जन्म  29 अक्टूबर 1963 में ग्राम मीरापुर जिला बैतूल में हुआ था। उनके पिता  स्व.सूरतलाल उइके, माता स्व. रामकली उइके, पत्नी ममता उईके हैं। उनकी शैक्षणिक योग्यता एमए, बीएड है। पेशे से शिक्षक दुर्गादास उइके 2019 में इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए थे और पहली बार उन्हें भाजपा ने सांसद पद का प्रत्याशी बनाया था। वह लंबे समय से गायत्री परिवार से भी जुड़े हुए हैं। वे  राजनीति में आने से पहले वे एक शिक्षक थे। उईके आदिवासी वर्ग से आते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि जातिगत समीकरणों को साधने के लिए उन्हें कैबिनेट में शामिल किया गया है।