सिर्फ चुनिंदा जगहों पर गमले लटका कर की गई खानापूर्ति, पौधों के नाम पर दिखेगी मिट्टी या घास..
वर्टिकल गार्डन डेवलपमेंट की राशि का हो रहा है बंदरबांट..
ग्वालियर 12 अगस्त 2024। एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चिंता एवं दिलीय मंसा से संपूर्ण भारतवर्ष को हरा भरा बनाने के लिए “एक वृक्ष मां के नाम अभियान” चला रहे है तो वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार के चंद भूखे भेड़िए इस तरह के महा अभियानों की बाट लगाने पर आमादा है। ऐसा ही एक मामला ग्वालियर नगर निगम में सामने आया है।
ग्वालियर शहर में सौंदर्यीकरण के चलते नालो एवं नदियों के पुल के ऊपर लोहे की जाली लगाकर उन पर गमले में पौधारोपण करते हुए वर्टिकल गार्डन बनाने का प्रस्ताव बना और इसका टेंडर दिसंबर 2023 में ठेकेदार फर्म एसडी बालाजी एंड संस को अवार्ड हुआ। 73 लाख से अधिक राशि के इस टेंडर की शर्तानुसार इस कार्य को दो चरणों में पूर्ण करना सुनिश्चित है, जिसके प्रथम चरण में शहर की विभिन्न लोकेशनों पर बने पुलों पर लोहे के जाल लगाते हुए पौधों के साथ विधिवत गमलों की स्थापना करते हुए 6000 वर्ग मीटर एरिया में वर्टिकल गार्डन डेवलपमेंट का कार्य निर्धारित समय सीमा तीन से चार माह में पूर्ण करना था जोकि अप्रैल में माह में समाप्त हो चुकी है। कार्य के दूसरे चरण में 2 से 3 साल तक इसका रखरखाव ठेकेदार को करना है।
युग क्रांति की टीम ने जब शहर का मुआइना किया तो पाया कि वर्क आर्डर में निर्धारित तमाम लोकेशनों में से चुनिंदा चंद लोकेशन पर वर्टिकल गार्डन डेवलपमेंट के नाम पर महज एक औपचारिकता की गई है इन चुनिंदा लोकेशनों में आकाशवाणी तिराहा, विक्टोरिया मार्केट के पास बोट क्लब फूलबाग, गुरुद्वारा पुल बाग एवं लक्ष्मीबाई प्रतिमा के सामने पुलिया शामिल है। सूत्रों की माने तो 6000 वर्ग मीटर की जगह सिर्फ 1000 से 1500 वर्ग मीटर (लगभग) एरिया में ही गमले लगा लगाकर पहले चरण को पूरा किया जा चुका है और इस एवज में 60 से 70 प्रतिशत भुगतान निगम के अधिकारियों की मिली भगत से ठेकेदार को किया जा चुका है। इसी तरह शेष राशि का बंदरबांट इन गार्डनो के रखरखावों के नाम पर फर्जी तरीके से होना है।
चुनिंदा 4-5 लोकेशनों पर शाफ तौर पर देखा जा सकता है कि लोहे के नए जालों की जगह पर पुरानी पेंट किए हुए जालों पर खाली अथवा मिट्टी से भरे हुए टूटे-फूटे प्लास्टिक के गमले लटके हुए हैं जिनमें घास को देखा जा सकता है मगर पौधों को नहीं। इससे यह तो स्पष्ट है कि वास्तविकता में नतो अभी तक इनका रखरखाव हुआ और न ही भविष्य में होना है सिर्फ कागजों में खानापूर्ति के साथ बिलों का फर्जी भुगतान होना अवश्यसंभावी है।
ये कार्य समन्वयक अधिकारी अपर आयुक्त, कार्यपालन यंत्री पवन सिंघल एवं साइट इंजीनियर अभिषेक प्रसाद की देखरेख में संपादित हो रहा है और सूत्रों की माने तो इस पूरे गड़बड़ घोटाले के मास्टरमाइंड की भूमिका में पार्क अधीक्षक एवं प्रभारी उपायुक्त मुकेश बंसल के साथ एक अन्य अपर आयुक्त शामिल है। इस संबंध में निगम अधिकारियों से पूछे जाने पर खानापूर्ति भरा गोल-मोल जवाब मिला। अब देखना यह होगा कि नवागत आयुक्त अमन वैष्णव पूरे मामले को कैसे संज्ञान में लेते हैं और उनका क्या एक्शन होता है?