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छात्र नेता परमार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पोस्ट ग्रेजुएशन परीक्षा में शामिल होने की अनुमति मांगी

नर्सिंग घोटाले के व्हिसलब्लोअर परमार को एमएससी नर्सिंग करने से रोक रही सरकार, हाईकोर्ट पहुंचे परमार

भोपाल 15 अक्टूबर 2024। नर्सिंग घोटाले का पर्दाफाश करने वाले और एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार के अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) द्वारा आयोजित मास्टर ऑफ साइंस नर्सिंग (एमएससी नर्सिंग) में प्रवेश की परीक्षा में शामिल करने की अनुमति की मांग की हैं, कल इस मामले में सुनवाई होगी ।

मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल द्वारा पोस्ट बीएससी नर्सिंग और एमएससी नर्सिंग की प्रवेश परीक्षा के लिए जारी की गई नियमावली में यह स्पष्ट किया गया है कि कोई भी उम्मीदवार, जिसके विरुद्ध थाने में कोई (चाहे कोई राजनीतिक धरना प्रदर्शन के भी प्रकरण हो) एफआईआर या आपराधिक मामला न्यायालय में लंबित हैं या जिसे न्यायालय द्वारा दंडित किया गया है, वह परीक्षा के लिए अयोग्य होगा।

परमार, जिन्होंने नर्सिंग घोटाले का खुलासा किया और लाखों नर्सिंग छात्रों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी और निरंतर छात्रहित में लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन जब परमार ने छात्रहित में नर्सिंग घोटाले के खिलाफ आवाज उठाई तो उनके ऊपर भाजपा सरकार के इशारे पर कई असत्य या राजनीति से प्रेरित एफआईआर दर्ज की गई हैं इसी आधार पर उन्हें 26 सितंबर को आयोजित होने वाली एमएससी नर्सिंग की प्रवेश परीक्षा में बैठने से रोका जा रहा है जो कि पूर्ण रूप से अलोकतांत्रिक हैं यह भारतीय संविधान का स्पष्ट उलंघन हैं।

परमार के अधिवक्ता, अभिषेक पाण्डेय ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर यह तर्क दिया है कि केवल एफआईआर दर्ज होने के कारण परीक्षा में शामिल होने से वंचित करना अनुचित है। उन्होंने अदालत से आग्रह किया है कि परमार को परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाए ताकि वे अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर सकें I

रवि परमार ने कहा, “यह लड़ाई सिर्फ मेरी शिक्षा की नहीं है, बल्कि उन सभी छात्रों की है जिनके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। शिक्षा का अधिकार सभी के लिए समान होना चाहिए। मुझे पूरा विश्वास है कि भविष्य में राजनीति से प्रेरित इन मुकदमों में न्यायालय के समक्ष दोषमुक्त साबित होऊंगा, क्योंकि मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज किए गए सभी प्रकरण असत्य हैं और भाजपा सरकार की साजिश का हिस्सा हैं। इन प्रकरणों का कोई ठोस प्रमाण नहीं है; तो यह बस विपक्ष के छात्र नेताओं को डराने का एक पुराना हथकंडा है।

परमार ने आगे कहा कि देश की कानून व्यवस्था जटिल और लंबी है, जिसके चलते हम जैसे छात्र नेताओं को दशकों तक न्यायालय के फैसले का इंतजार करना पड़ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए मैं निवेदन करता हूं कि जब मैं निर्दोष साबित होऊंगा, तब शायद इस परीक्षा को देने का अवसर मेरे पास नहीं रहेगा। इसलिए, कृपया मुझे इस प्रवेश परीक्षा में बैठने की अनुमति प्रदान की जाए। यदि भविष्य में माननीय न्यायालय का निर्णय मेरे पक्ष में नहीं आता है, तो मेरे परीक्षा परिणाम को विलोपित कर विधि संवंत उचित कार्यवाही की जा सकती है। ”