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म प्र परिवहन विभाग की दुर्दशा के लिए दलाल एवं विभागीय राजनेता जिम्मेदार

चंद ठेकेदारों (दलालों) की कठपुतली रहा और है मध्य प्रदेश का परिवहन विभाग..

भोपाल/ग्वालियर। मध्य प्रदेश परिवहन विभाग में कार्यरत एवं सिस्टम से कुपोषित आरटीआई एवं टीएसआई के सूत्रों के हवाले से अतीत के झरोखों से वर्तमान सुर्खियों के साथ परिवहन विभाग की दुर्दशा की कहानी के कुछ अंश पाठकों की समक्ष प्रस्तुत हैं। जिसके अंतर्गत विभाग में पिछले 5 सालों में तथाकथित दलालों ने अवैध वसूली की खातिर सरकारी कर्मचारियों को ‘डमी’ बनाकर जमकर लूट-घसोट की। विभाग के बेरियलों/चौकियों पर अवैध वसूली की हाहाकार से लोग इतना त्रस्त हो गए कि आखिरकार सरकार को यह सभी नाके बंद करने पड़े और इज्जत बचाने के नाम पर गुजरात मॉडल की तथाकथित नई व्यवस्था लागू करनी पड़ी। इस बदली हई व्यवस्था के बागान मे क्या गुल खिलेंग फिलहाल ये भविष्य की गर्त मे है?

सन् 2014 से पहले रोटेशन सिस्टम लागू था जिसमें व्यक्ति की 6 माह के लिए फ्लाइंग, फिर 6 माह के लिए आरटीओ कार्यालय और 6 माह के लिए बेरियल पर पदस्थापना होती थी यही क्रम पूरी पोस्टिंग के दौरान चलता था। इस रोटेशन पद्धति से भ्रष्टाचार कम होता था मगर इसके बाद जब ये सिस्टम बंद हुआ तो चुनिंदा लोगों ने एक सूत्रीय बैरियर/परिवहन चेक पोस्ट में काम करते हुए करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार की काली कमाई से रियल एस्टेट, होटल, कॉलेज वगैरा खोलकर हजारों करोड़ रुपए काली कमाई एकत्रित की और इसी कमाई से डमी कैंडिडेट्स की खरीदी और पदस्थापना के गोरख धंधे की शुरुआत हुई और आज भी धड़ल्ले से चल रहा है। मात्र चार से पांच तथाकथित दलाल न सिर्फ प्रदेश की अधिकांश परिवहन चौकिया पर काबिज हुए बल्कि पूरे सिस्टम को अपने सिकंजे में लेते हुए विभाग के मंत्रियों पर भी अपना वर्चस्व कायम कर लिया। प्रदेश के परिवहन आयुक्त एवं अपर आयुक्त नाम मात्र के लिए पदस्थ रहकर मूकदर्शक बने रहे इनके पास अधीनस्थों की पदस्थापना एवं स्थानांतरण तक के अधिकार नहीं थे। यह अधिकार भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से इन्हीं तथाकथित चार- पांच उस्तादों (आरटीआई,टीएसआई, भूतपूर्वव आरक्षक) के पास थे और है।

डमी कैंडिडेट कौन और क्या है..

जो कर्मचारी/टीएसआई/आरटीआई अपनी पोस्टिंग के लिए बोली अनुसार पैसे नहीं दे पाता तब उसकी पोस्टिंग जिस दलाल के द्वारा कराई गई तो यह कर्मचारी /टीएसआई/ आरटीआई इसी का डमी कैंडिडेट माना जाएगा जिसने पोस्टिंग कराई। इनकी लागू नियम और शर्तों अनुसार इसके एवज में निर्धारित अवैध वसूली की अच्छी खासी राशि अदा करनी होती। इन डमी कैंडिडेट्स द्वारा परिवहन चेक पोस्टों से अवैध वसूली का नंगा नाच प्राइवेट लोगों (कटर) से करवाया गया। शर्तानुसार फिक्स अमाउंट से अतिरिक्त जो भी ऊपर की उगाई होती वह भी संबंधित तथा कथित दलाल के पास पहुंचने की जिम्मेदारी इन्हीं डमी कैंडिडेट की हुआ करती थी। इस वृत्तांत में आगे भी बहुत कुछ…

किसकी रही परिवहन विभाग पर अवैध सत्ता, कौन कौन डमी, किसका डमी और कैसे चलती थी काले धन की अर्थव्यवस्था जानिए कल के अगले एपिसोड में..?