ग्वालियर 22 अक्टूबर 2024। मध्य प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की जनसेवा और लोकनायकी से जहां एक ओर उनकी ग्वालियर विधानसभा अजेय और अभेद्य दुर्ग बनती जा रही है तो वहीं दूसरी ओर उनके बंगले पर तैनात ओसडी/सचिव मंत्री जी की जड़े खोदने में जुटे हुए हैं।
ऊर्जा मंत्री के ग्वालियर स्थित 38 नंबर बंगले पर जिम्मेदार स्टाफ के मुंह से पार्टी, संगठन और समाज की दृष्टि से विषाक्त वक्तव्यों का सुना जाना आम बात हो गई है। इस कला की निपुणता बंगले पर शिक्षा विभाग से ताल्लुक रखने वाले पंडित जी में सहजता से देखी जा सकती है। उनकी बातों में ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर के बीच गुटबाजी और स्वयं से विजातीय वर्गों के प्रति नकारात्मकता साफ नजर आती है। उनके मुंह से अक्सर यह सुना जा सकता है कि” लोग नरेंद्र सिंह तोमर के बंगले पर भी जाते हैं और यहां भी मुंह उठा कर आ जाते हैं, लोगों में सभी जगह मुंह मारने की आदत सी हो गई है मौका मिले तो विधायक सतीश सिकरवार के यहां भी जाने से नहीं चूकते हैं”।
सोचने वाली बात यह है कि यदि कोई भाजपा का कार्यकर्ता या समर्थित व्यक्ति है तो भला वो दोनों जगह क्यों नहीं जाएगा और यदि क्षत्रिय समाज का कोई आम प्रतिनिधि है तो भला समाज के प्रतिनिधि इन तीनों नेताओं के पास जाने में कौन सी मर्यादा का उल्लंघन है जिससे इन पंडित जी के पेट में दर्द होता है। इस तरह के नकारात्मक रवैया की वजह से ऊर्जावान मंत्री के विरुद्ध एक अलग तरह की नकारात्मकता का माहौल जैसा बनता जा रहा है और जिसकी मंत्री जी को भनक तक नहीं है। मंत्री जी को इतिहास के पन्नों में दर्ज प्लासी की लड़ाई के उस महत्वपूर्ण तथ्य को ध्यान में रखना होगा कि बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को हराने में उन्हीं का कारिंदा मीर जाफर जिम्मेदार था लिहाजा जन सेवा में समर्पण के साथ- साथ उन्हें मीरजाफरों पर नजर रखने की भी अहमियत रखनी होगी।
✒️ बृजराज सिंह तोमर