नए आरटीओ द्वारा लागू होगीं आज से सुविधा शुल्क की नई दरें, प्रचलित दरों से दुगनी के आसार

सुविधा शुल्क की प्रचलित दरों से (सिर्फ लाइसेंस से) रोजाना की कमाई है: एक लाख आरटीओ की, 60 हजार बाबुओं की एवं 40 हजार रुपए ऐजेंटों की..

ग्वालियर 3 दिसंबर 2024। क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी ग्वालियर की पोस्टिंग के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर पिछले माह पदस्थ हुए आरटीओ विक्रमजीत सिंह ने पदभार ग्रहण करते ही काली कमाई के इजाफा में कबायत शुरू कर दी थी जिसे आज मूर्त रूप दिया जाएगा।

यू तो परिवहन ऑफिस द्वारा ड्राइविंग लाइसेंस, वाहनों का रजिस्ट्रेशन, परमिट, फिटनेस वगैरा कई कार्य होते हैं मगर विश्वस्त सूत्रों एवं स्त्रोतों के हवाले से अभी हल्के वाहनों के ड्राइविंग लाइसेंस पर रोशनी डालते हैं। ज्ञातव्य है कि नवीन ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए ₹450 फीस के साथ अप्लाई करने पर सर्वप्रथम एक माह के लिए लर्निंग लाइसेंस दिया जाता है तदुपरांत क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय पर बने ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर लाइसेंस ग्राहता को टेस्ट पास करना होता है। इस टेस्ट को पास करने के उपरांत 1050 रुपए की शुल्क जमा करने के उपरांत परमानेंट एलएमवी ड्राइविंग लाइसेंस जारी कर दिया जाता है।

मगर प्रावधान अनुसार लाइसेंस ग्राहता न तो ड्राइविंग टेस्ट को पास कर सकता है और न ही इरादतन तमाम अड़चनों के चलते वह पहाड़ी पर स्थित इस कार्यालय के अनगिनत चक्कर काट सकता इसलिए मजबूरन विभाग व दलालों की मिली भगत से बने हुए गैरकानूनी सिस्टम का हिस्सा बनना पड़ता है और इन तमाम असुविधाओं एवं अड़चनों बचने के लिए तथाकथित दलालों/एजेंटों अथवा इस सैक्शन के बाबुओं के माध्यम से सुविधा शुल्क के नाम पर खासी रकम अदा करनी पड़ती है। यह शुल्क चुकाने के बाद किसी को भी इस टेस्ट ड्राइविंग ट्रैक पर टेस्ट दने की जरूर नहीं पड़ती। इसी कारण यह ट्रैक हमेशा सुनसान खाली पड़ा रहता है इस पर कभी भी कोई टेस्ट ड्राइव नहीं होती जबकि इसी पहाड़ी के शीर्ष पर परिवहन विभाग का प्रदेश मुख्यालय है। युग क्रांति प्रतिनिधि द्वारा विभाग के कर्मचारियों से इस संबंध में पूछने पर वे कहते है कि नए साहब ड्राइविंग टेस्ट शुरू करेंगे और नए साहब से पूछे जाने पर उनका कहना है कि जैसे ही चालू करेंगे तो आपको बताएंगे

सूत्रों की माने तो आज दिनांक तक बहु प्रचलित इस गैर कानूनी तरीके से हर एक परमानेंट लाइसेंस ग्राहता को अतिरिक्त राशि के रूप में तकरीबन एक हजार रुपए देने पड़ते है जिसमें 500 रुपए आरटीओ के, 300 रु बाबू के एवं 200 रुपए दलाल के होते हैं। रोजाना 200 नवीन लाइसेंस बनने के हिसाब से एक लाख रुपए आरटीओ, 60 हजार रुपए लाइसेंस बाबू (दो- तीन) एवं 40 हजार रुपए दलालों की कमाई होती है। इसी तरह परिवहन विभाग से संचालित एवं संपादित अन्य कार्य एवं कार्यवाहियों के लिए काले धन की अर्थव्यवस्था में अलग-अलग कई तरकीबों का इस्तेमाल होता है जिन्हें हम आगे उजागर करेंगे।

लाखों रुपए रोजाना की भारी भरकम काली कमाई के बावजूद भी नवागत क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी विक्रमजीत सिंह असंतुष्ट हैं जबकि अभी उनके पास छतरपुर आरटीओ का भी चार्ज है। फिलहाल उनकी असंतुष्टि का कारण करोड़ों रुपए अदा कर ग्वालियर आरटीओ की पोस्ट को प्राप्त करना है? इतने बड़े इन्वेस्टमेंट के बाद पदस्थ हुए श्री सिंह ने इसकी वसूली एवं इसके एवज में कई गुना मुनाफा के क्रम में ग्वालियर का चार्ज लेते ही उन्होंने वस्तुस्थिति एवं प्रचलित सिस्टम का जायजा लिया और इसी दौरान प्रत्येक कार्य के एवज में आरटीओ की सुविधा शुल्क को डबल करने के संकेत दे दिए थे। विभाग के कर्मचारीयों एवं दलालों के अनुनय- विनय के चलते एक महीने यह सिस्टम खिंच गया मगर सोमवार को शाम 4:00 बजे आरटीओ सिंह ने अपने कार्यालय में संबंधित के साथ मीटिंग में साफ कर दिया कि अभी से मेरे द्वारा बताई गई नई दरें तत्काल प्रभाव से लागू की जाती है। अब नई टटिया पुरानी खटिया पर नहीं बिछेगी‌।