hacklink al
jojobet girişjojobetjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobet girişjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişholiganbetjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişholiganbetholiganbet girişpadişahbetpaşacasinograndpashabetjojobetjojobet girişcasibom girişcasibom girişcasibom girişcasibom girişkralbetkingroyalmatbetmatbet girişmatbet güncel girişmatbetmatbet girişmatbet güncel girişholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel girişholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel girişholiganbet girişnakitbahisnakitbahis girişnakitbahisnakitbahis girişnakitbahisnakitbahis girişmatbetmatbet girişcasibomcasibom girişholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel girişholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel girişcasibomcasibom girişjojobetjojobet girişpusulabetpusulabet giriş

पहली बार इंसान के दिल तक पहुंचा प्लास्टिक, सामने आया मामला, जानिए ऐसा कैसे हुआ

प्लास्टिक अब सिर्फ इंसान के ब्लड तक सीमित नहीं रहा. यह इंसान के दिल तक पहुंच गया है. पहली बार इंसान के हार्ट में प्लास्टिक के कण मिले हैं. मामला चीन का है. डेलीमेल की रिपोर्ट के मुताबिक, 15 मरीजों में 9 तरह के प्लास्टिक पार्टिकल्स मिले हैं. चीन के बीजिंग एंझेन हॉस्पिटल में हार्ट सर्जरी कराने वाले 15 मरीजों के ब्लड और हार्ट टिश्यू सैम्पल लिए गए. इनकी जांच में माइक्रोप्लास्टिक की पुष्टि हुई है.

इंसान के हार्ट में माइक्रोप्लास्टिक मिलने का मामला चौंकाने वाला है. यह दुनिया का पहला ऐसा मामला है. जानिए मरीजों के दिल तक कैसे पहुंचा माइक्रोप्लास्टिक, डॉक्टर्स की टीम ने कैसे इसका पता लगाया.

ऐसे दिखा माइक्रोप्लास्टिक?
जांच करने वाली टीम का कहना है कि हॉस्पिटल में 15 मरीजों की हार्ट सर्जरी की गई. इनकी सर्जरी से पहले और बाद में ब्लड और हार्ट के टिश्यू के सैम्पल लिए गए. जांच में पता चला कि माइक्रोप्लास्टिक के कणों का आकार 5 मिलीमीटर से कम था.ये ऐसे कण थे जो उनके शरीर में प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल करने और प्लास्टिक की पैकिंग में रखे भोजन को खाने से पहुंचे थे.

दिल तक कैसे पहुंचा माइक्रोप्लास्टिक?
मरीजों के दिल तक माइक्रोप्लास्टिक कैसे पहुंचा, इस पर डॉक्टर्स की टीम का कहना है कि जांच के दौरान ब्लड सैम्पल और हार्ट से लिए गए टिश्यू में यह पाया गया है. टीम का मानना है कि ये माइक्रोप्लास्टिक सांस या फिर या फिर भोजन या पानी के जरिए शरीर में पहुंचा.ब्लड में पहुंचने के बाद प्लास्टिक के कण RBCs की बाहरी पर्त से चिपक जाते हैं. ये शरीर में ऑक्सीजन को पहुंचाने का काम करती हैं. नतीजा, इनके काम करने पर असर पड़ता है.

कैंसर और हार्ट डैमेज से लेकर याद्दाश्त घटने का खतरा
प्लास्टिक के कण कितने खतरनाक हैं, इस पर टीम का कहना है कि इससे कैंसर, हार्ट डैमेज और याद्दाश्त घटने तक का खतरा है. भविष्य में यह नपुंसकता की वजह भी बन सकते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि प्लास्टिक RBCs तक पहुंचने के बाद कोशिकाएं इसे अलग नहीं कर पातीं. ये पूरे शरीर में पहुंचती हैं और सूजन और डैमेज होने की वजह बनती हैं.

रिसर्च में पहले ही सामने आ चुका है कि इंसान अंजाने में हर हफ्ते एक क्रेडिट कार्ड के बराकर माइक्रोप्लास्टिक खाता है.
मरीजों की जांच रिपोर्ट चौंकाती है. मरीजों के सैम्पल में एक नहीं, 9 तरह की प्लास्टिक के कण मिले हैं. लेजर और इंफ्रारेड इमेजिंग के जरिए इन पार्टिकल्स का पता चला है.माइक्रोस्कोपिक पार्टिकल्स क्या होते हैं, अब इसे भी समझ लेते हैं. शीशे की चीजों के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली आम प्लास्टिक को पॉली प्लास्टिक की कैटेगरी में रखा गया है. इसी के बारीक कण ही हार्ट तक पहुंच रहे हैं. इसके अलावा कुछ दूसरी तरह की प्लास्टिक के कण भी मिले हैं. जिसे आमतौर पर टेराफथेलेट के नाम से जाना जाता है. इसका इस्तेमाल फूड कंटेनर बनाने में किया जाता है. वहीं दूसरी तरह की प्लास्टिक को पॉलीविनायल क्लोराइड बताया गया है, जिसका इस्तेमाल खिड़कियों के फ्रेम, ड्रेनेज पाइप और पेंट में किया जाता है.

Leave a Reply