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नई आपदाओं को जन्म दे रहा दुनिया भर में होता ‘जलवायु परिवर्तन!

दुनिया भर में हो रहे जलवायु परिवर्तन अब कोई नया विषय नहीं है और ना ही दुनिया इस से अनजान है. बावजूद इसके इस पर जितना किया जा रहा है वो काफ़ी नहीं है. यह बात हम नहीं बल्कि हाल ही में जारी हुई विश्व मौसम विज्ञान संगठन की वैश्विक रिपोर्ट बताती है. रिपोर्ट बताती है कि मौसमी घटनाओं के कारण 70 के दशक से वर्ष 2021 के बीच मानव संसाधन और अर्थव्यवस्था को गहरा नुक़सान पहुंचा है.

रिपोर्ट बताती है कि जलवायु परिवर्तन के कारण विगत पांच दशकों में 12 हज़ार प्राकृतिक आपदाओं में लगभग 20 लाख लोगों की जान चली गई है. इसके इतर इन्हीं आपदाओं के चलते वैश्विक अर्थ अर्थव्यवस्था को 4.3 खरब डॉलर का नुक़सान उठाना पड़ा. चरम मौसम की आवृति और उससे होने वाले भारी नुक़सान का दायरा बढ़ता ही जा रहा है, जो अपने आप में चिंता का विषय है.

जलवायु परिवर्तन से होते बदलाव
हाल में कनाडा के जंगल में लगी आग हो या पाकिस्तान में आई बाढ़, जिसने वहां तीन करोड़ लोगों के जीवन को उजाड़कर रख दिया. यूरोप के देशों में पड़ रही भीषण गर्मी जलवायु परिवर्तन में होते बदलाव का बड़ा उदाहरण है. बीते वर्ष सुपरपावर अमेरिका ने एक रिपोर्ट में बताया था कि जलवायु परिवर्तन के कारण पैदा हुए आपदाओं से उसे 165 अरब डॉलर से ज़्यादा का नुक़सान झेलना पड़ा है.

भारत के मौसम में भी चेंज
कुछ ऐसा ही हाल भारत में भी है, जहां मानसून चक्र में बदलाव, गर्म होता तापमान, बाढ़ और सूखा, भू जल स्तर में गिरावट आम सी बातें हो चली हैं. विश्व मौसम विज्ञान संगठन के मुताबिक़, भारत में पिछले 50 वर्षों में 1,38,778 लोगों ने अपनी जान गवाई. पूरी दुनिया में होती यह ग्लोबल वार्मिंग की घटनाएं आने वाली तबाही की झलक दे रही हैं.

जलवायु परिवर्तन का खतरा
वक़्त आ गया है कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए अपने व्यवहार में बदलाव लाना होगा. जलवायु परिवर्तन का ख़तरा कम करने के लिए ठोस प्रयासों की दरकार है. अन्यथा यह संकट मानव सभ्यता के अंत का सबसे बड़ा कारण बन जाएगी.

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