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शिक्षक अटैचमेंट समाप्त करने में अपनाया जा रहा है दोहरा रवैया

अपने चहेतो को बचाने के किया जा रहा है पूरा प्रयास..

पूर्व में भी जारी हो चुका है आयुक्त गुप्ता का सख्त आदेश..

भोपाल/रतलाम 30 दिसंबर 2024। परीक्षाओं एवं अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं को मध्येनजर सभी संवर्ग के शिक्षकों का अटैचमेंट तत्काल समाप्त करने के क्रम में म प्र लोक शिक्षण आयुक्त शिल्पा गुप्ता के आदेश के परिपालन में उज्जैन संभाग की संयुक्त संचालक रमा नाहटे ने आदेश जारी किया है भले ही इनसे निर्वाचन विभाग में संलग्न लोक सेवकों को कार्य मुक्त करने के क्रम में संभागीय अधिकारी होने की हैसियतस से जिला कलेक्टरों को विभागीय पत्र भेजने में चूक हो गई हो।

इस आदेश में सभी शिक्षक संवर्ग के कर्मचारी के उपायोजन/संलग्नीकरण निरस्त कर अटैचमेंट नहीं होने की जानकारी मय प्रमाणीकरण के मांगी गई थी परंतु रतलाम जिले में सिर्फ डीपीसी, बीआरसीसी एवं संकुल प्राचार्य द्वारा किए गए उपायोजन /संलग्नीकरण समाप्त किए गए है जबकि कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत एवं जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा किए गए उपायोजन/ संलग्नीकरण (अटैचमेंट )समाप्त नहीं किए गए है। रतलाम के निर्वाचन विभाग में कार्यरत जनशिक्षक महेंद्र सिंह भाटी, शासकीय विद्यालय पीपलखूंटा के शिक्षक मनन कपूर, शासकीय प्रा वि कलमोड़ा के प्राथमिक शिक्षक अरविंद माहौर, उ मा वि नवीन कन्या के व्याख्याता नरेंद्र चौहान को कार्यमुक्त नहीं किया गया है। प्रभारी बीआरसीसी रतलाम प्रणव द्विवेदी भी व्यवस्था स्वरूप बी आर सी सी कार्यालय रतलाम में अटैच है जिनका वेतन उनकी मूल संस्था शा.उ मा वि पलसोडी से ही निकल रहा है। इनका अटैचमेंट आदेश जिला सीईओ द्वारा किया गया है इनका अटैचमेंट भी निरस्त नहीं किया गया है। द्विवेदी लोक सभा चुनाव से लगातार निर्वाचन कार्यालय में अटैच थे, दिसंबर 2024 से ये निर्वाचन कार्यालय से सीईओ के आदेश से बी आर सी सी रतलाम के पद पर व्यवस्था स्वरूप अटैच हो गए है जो की पूर्णतया नियम विरुद्ध है क्योंकि द्विवेदी ने न तो बीआरसी की परीक्षा उत्तीर्ण की है और न ही प्रतिनियुक्ति पर है और पहले से निर्वाचन में अटैच है।

इसी तरह सीईओ जिला पंचायत रतलाम के आदेश से रतलाम जिले में (प्रौढ़ शिक्षा) नवभारत साक्षरता कार्यक्रम में तकरीबन 70 शिक्षक अटैच है। ये सभी शिक्षक विकासखंड साक्षरता समन्वयक,संकुल साक्षरता सह- समन्वयक के पद पर अटैच है जोकि अपनी मूल संस्था से वेतन प्राप्त कर रहे है इन्हें भी कार्यमुक्त नहीं किया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय रतलाम में 5-6 शिक्षक अटैच है जिन्हें भी कार्यमुक्त नहीं किया गया है। इस तरह आयुक्त लोकशिक्षण के आदेश की सरासर अवमानना की जा रही है। रतलाम विकासखंड में सिर्फ 6 जनशिक्षकों को ही कार्यमुक्त किया गया है बांकी सभी को सुविधा शुल्क के एवज में अभयदान दे दिया गया है।ये सभी अटैच शिक्षक छात्रों को पढ़ाने के लिए नियुक्त हुए थे किंतु ये अपना मूल काम छोड़कर इधर उधर अटैच है। इनके अन्यत्र अटैच होने से छात्रों को पढ़ाने के लिए मूल संस्थाम में ना तो उनकी मौजूदगी रही और न हि इनके स्थान पर कोई और शिक्षक या अतिथि शिक्षक नियुक्त हो सकता क्योंकि पोर्टल पर उस मूल संस्था में इनकी ही पदस्थापना है और यहीं से वेतन आहरण हो रहा है।

जुलाई में जारी लोक शिक्षण आयुक्त का आदेश

मध्य प्रदेश के सामान्य प्रशासन, स्कूल शिक्षा विभाग एवं लोक शिक्षण के पत्रों के हवाले से दिनांक 22.7.2024 को लोक शिक्षण शिल्पा गुप्ता ने अपने पत्र क्र/स्था.3/सी 2/196/2019/2133 के माध्यम से प्रदेश के समस्त कलेक्टर, संभागीय संयुक्त संचालक लोक शिक्षण, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं समस्त जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया था कि “संदर्भित निर्देशों द्वारा शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 27 के प्रावधान एवं उद्भूत न्यायालयीन प्रकरण में पारित निर्णयों इत्यादि का उल्लेख करते हुये शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाये जाने के निर्देश समय-समय पर प्रदान किये गये है। इन निर्देशों के बावजूद भी प्रदेश के जिलों में शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में संलग्न / आसंजित किया जा रहा है। उक्त के संबंध में निर्देशित किया जाता है कि गैर शैक्षणिक कार्य में संलग्न / आसंजित सभी शिक्षको को मूल पदस्थापना हेतु कार्यमुक्त कर शिक्षण कार्य सुनिश्चित करावें। भविष्य में शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में लगाये जाने की स्थिति में संबंधित अधिकारी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।उपरोक्तानुसार निर्देशों का कडाई से पालन सुनिश्चित करें”।

सभी कक्षाओं की परीक्षा फरवरी में प्रारंभ होने जा रही है और सैकड़ों-हजारों की तादात मे शिक्षक बालकों को पढ़ाने की बजाय या तो अन्यत्र अटैच रहकर भ्रष्टता में लीन हैं या फिर प्रौढ़ शिक्षा के नाम पर फोफट के वेतन की फिराक में जोड़-तोड़ कर रहे है। शिक्षण और शिक्षा की परवाह न करते हुए निजी स्वार्थ के चलते जिला/ब्लॉक स्तर के तथाकथित शिक्षा अधिकारी/व्यापारी कैसे धड़ल्ले से आयुक्त के सख्त आदेश की लगातार धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे है। यह वाकई हैरत की बात है। क्या वाकई वरिष्ठ आईएएस अधिकारी इतने निस्तेज हो चुके हैं जो इनके समक्ष अदने से ये तथाकथित अधिकारी बेलगाम होकर अपनी मनमानी कर रहे हैं !