सौरभ शर्मा की कोर्ट में पेशी, कोर्ट ने उसे 14 दिन के लिए भेजा जेल

ईडी की पूछताछ में हुए बड़े खुलासे..

भोपाल 17 फरवरी 2025। परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा काली कमाई का धनकुबेर तो बन गया लेकिन ऐसा बनने के लिए उसे मध्यप्रदेश के तत्कालीन मंत्री एवं परिवहन अधिकारियों का पूरा सहयोग मिलता रहा है। विभागीय मंत्री एवं आला अधिकारियों के संरक्षण में सिंडिकेट की तरह चलाए जा रहे परिवहन विभाग में चेकपोस्टों से होने वाली अवैध कमाई को सौरभ शर्मा अपने राजदार तुमराम, किशोर सिंह बघेल एवं अन्य के साथ विभाग के अधिकारियों को भी पहुंचाता था।

अवैध वसूली का ये पूरा लेन-देन नकदी में होता था इसलिए इसका हिसाब न तो सौरभ और उसके करीबियों के बैंक खातों से मिला है और न ही परिवहन विभाग के अधिकारियों के बैंक ट्रांजेक्शन में मिलेगा। यह खुलासा ईडी की जांच में हुआ है। ईडी की पूछताछ में खुलासा हुआ है कि सौरभ शातिराना तरीके से नकदी में लेनदेन करता था ताकि पैसों के लेनदेन के दस्तावेजीकरण से बचा रह सके। नकदी का हिसाब वह अपनी डायरियों में करता था। लोकायुक्त पुलिस की छापेमारी के दौरान जब्त की गई एक डायरी में भी इसका खुलासा हुआ है।जांच एजेंसियों की मानें तो सौरभ के ठिकानों से एक नहीं कई डायरियां बरामद हुई हैं, जिसमें परिवहन चेक पोस्टों से होने वाली वसूली का हिसाब, नेताओं-अधिकारियों के बीच बांटी गई राशि का हिसाब के साथ हर महीने फिक्स राशि जाने वाले परिवहन अधिकारियों व कुछ चुनिंदा नेताओं व राजनीतिक संरक्षण के लिए टोकन मनी के रूप में जाने वाली राशि का पूरा अलग-अलग ब्यौरा है।

भले ही ईडी और अन्य जांच एजेंसियां किसी भी नाम का खुलासा नहीं कर रही हैं कि किन नेताओं-अधिकारियों को सौरभ अब तक नकदी पैसा पहुंचा चुका है मगर सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार सौरभ शर्मा एवं कैंप ऑफिस में पदस्थ आरटीआई तुमराम द्वारा चेक पोस्टों पर डमी कैंडिडेट्स के रूप में नियुक्त आरटीआई रवि, आरटीआई जगदीश उईके,टीएस आइ प्राची शर्मा, आरटीआई/टीएसआइ रितु रघुवंशी, आरटीआई अजय मार्को, आरटीआई रत्नाकर उइके, टीएसआई कृष्णकांत पुरोहित, टीएसआई आकाश शितौले, टीएसआई अश्विनी खरे सहित कुछ अन्य सहयोगियों के नामों की आशंका जताई जा रही है। साथ ही बता दें कि लेन-देन की पूरी गुत्थी सुलझाने के लिए बीच की कड़ी अर्थात इस सिंडिकेट के प्रबंधक आरटीआई किशोर सिंह बघेल (हाल रिटायर्ड) की डायरी खंगालना बहुत जरूरी है क्योंकि इन्हीं के मार्फ़त मध्य प्रदेश की सभी चेक पोस्ट से हर 6 माह में तकरीबन 100 करोड़ की अवैध वसूली का कलेक्शन संबंधित नेताओं एवं अधिकारियों तक पहुंचाया जाता था।

सोमवार को रिमांड अवधि समाप्त होने पर ईडी की टीम ने सौरभ शर्मा, शरद जायसवाल और चेतन सिंह गौर को भोपाल की विशेष अदालत में पेश किया, जहां से तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भोपाल केंद्रीय जेल भेज दिया गया है।

लेनदेन में संलिप्त को नोटिस जारी कर सकती है लोकायुक्त पुलिस..

लोकायुक्त पुलिस ने जांच में कई ऐसे नामों को चिन्हित किया है, जिन्हें सौरभ शर्मा हर माह एक निश्चित राशि परिवहन विभाग के अधिकारियों एवं कुछ नेताओं को देता था। जिसका ब्योरा छापे में जब्त हुई डायरी में मौजूद है। भले ही लोकायुक्त अब तक सौरभ से जुड़े हुए दर्जन भर लोगों से पूछताछ कर चुकी है मगर जांच के बाद अब शर्मा की डायरी में दर्ज नामों को नोटिस जारी कर पूछताछ की तैयारी में है।

अवैध कमाई का बड़ा हिस्सा सोने में निवेश किया..

बता दें कि ईडी अब तक सौरभ शर्मा और उसके सहयोगी चेतन व पार्टनर शरद से मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूछताछ कर चुकी है। पूछताछ में सौरभ ने पूछताछ कर्ता अधिकारीयों के समक्ष कई खुलासे किए हैं। शर्मा ने छापे में मिली डायरी में दर्ज कई नाम की पुष्टि की है जो उसका साथ दे रहे थे। इसने बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए भ्रष्टाचार इस मोटी रकम को हम प्रॉपर्टी और गोल्ड में निवेश करवाते थे। इसके अलावा सौरभ ने ग्वालियर के कारोबारी सहित 4 रिश्तेदारों के नाम भी गिनाए हैं जिनके संरक्षण में वह काली कमाई खपा रहा था।