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मुख्यमंत्री ने किया राज्य स्तरीय जैविक कृषि उत्पादन एवं मूल्य संवर्धन कार्यशाला का शुभारंभ

कृषि आधारित उद्योगों को विकसित करना राज्य सरकार की प्राथमिकता – मुख्यमंत्री डॉ. यादव

प्रदेश में जैविक और प्राकृतिक खेती पर केन्द्रित लगाएं जाएंगे

प्राकृतिक कृषि उत्पाद के लिए आदर्श जिले और विकासखंड किए जाएं विकसित

जैविक खेती करने वाले किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे सोलर पम्प

ग्वालियर 21 फरवरी 2025/ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि कृषि रसायनों के असीमित प्रयोगों के कारण पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। अत: जैविक एवं प्राकृतिक कृषि तकनीकों को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। प्रदेश में वर्तमान वर्ष में भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार प्राकृतिक कृषि विकास योजना के अंतर्गत लगभग 1 लाख एकड़ क्षेत्रफल में जैविक खेती का कार्यक्रम लिया जा रहा है। आगामी वर्षों में जैविक- प्राकृतिक खेती को पाँच लाख हैक्टेयर तक ले जाने का लक्ष्य रखा जाए। जैविक उत्पादों के बेहतर मूल्य किसानों को मिल सकें, इस उद्देश्य से प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर जैविक हाट-बाजार लगाए जाएं। प्रदेश में प्राकृतिक कृषि उत्पाद के लिए आदर्श जिले और विकासखंड विकसित किए जाएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश में जैविक और प्राकृतिक खेती पर आधारित मेले लगाने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि जैविक खेती करने वाले किसानों को सोलर पम्प उपलब्ध कराए जाएंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग की ओर से आयोजित राज्य स्तरीय जैविक कृषि उत्पादन तथा मूल्य संवर्धन कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अवसर पर एक जिला एक उत्पाद तथा विभिन्न विभागों और जैविक खेती के क्षेत्र में कार्य कर रही संस्थाओं द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपनी विदेश यात्राओं का उल्लेख करते हुए कहा कि पूरा विश्व प्रदूषण रहित, स्वास्थ्यकारी प्राक़ृतिक कृषि उत्पादों के लिए मध्यप्रदेश की ओर देख रहा है। नवीन तकनीकों से कृषि उत्पादन वृद्धि तो होना चाहिये किन्तु पर्यावरण संरक्षण के लिए जैविक एवं प्राकृतिक खेती से संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यह वर्ष यद्यपि उद्योग वर्ष घोषित किया गया है किन्तु कृषि प्रधान राज्य मध्यप्रदेश में खेती को साथ लेकर नीतियां लागू करना आवश्यक है। अत: राज्य सरकार कृषि आधारित उद्योगों को विकसित करने पर विशेष ध्यान दे रही है। जिन जिलों में औद्योगिक दर कम हैं, वहां कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना की जाएगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पशुओं की वर्तमान दुग्धोत्पादन क्षमता 9 प्रतिशत है जिसे 20 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश के किसानों की समृद्धि तथा आय वृद्धि के लिए राज्य सरकार भरसक प्रयास कर रही है। कृषि उत्पादकों को सब्जी उत्पादन निर्यात करने पर भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार के सहयोग से ट्रान्सपोर्ट व्यय दिया जा रहा है, किसानों तक इसकी जानकारी का प्रचार-प्रसार किया जाना आवश्यक है। इसके लिए कृषक उत्पादक संगठनों तथा स्वयं सेवी संगठनों की सहायता से चलाए जा रहे अभियान को गति दी जाए।

कृषि मंत्री श्री एदल सिंह कंषाना ने कहा कि आयोजित कार्यशाला के आधार पर प्रदेश के विभिन्न जिलों की कृषि जलवायु क्षेत्र के आधार पर जैविक उत्पादन नीति बनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि जैविक खेती प्रोत्साहन के लिए प्रदेश में 9 सेवा प्रदाताओं से एमओयू किये गए हैं। एपीडा के अनुसार प्रदेश में जैविक खेती का रकबा 11.48 लाख हैक्टेयर है। वन क्षेत्र मिलाकर प्रदेश में कुल 20 लाख 55 हजार हैक्टेयर क्षेत्रफल में जैविक खेती की जा रही है जो देश में सर्वाधिक है। प्रदेश में पराली जलाने से रोकने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं। किसानों को खेत में ही अवशेष प्रबंधन के लिए 42 हजार 500 से अधिक कृषि यंत्र भी वितरित किये गए हैं, जिससे पराली जलाने की प्रवृत्ति में कमी आई है।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव उद्यानिकी श्री अनुपम राजन विशेष रूप से उपस्थित थे। सचिव कृषि श्री एम सेल्वेन्द्रन ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। आभार प्रदर्शन संचालक कृषि श्री अजय गुप्ता ने किया। इस दो दिवसीय कार्यशाला में जैविक एवं प्राकृतिक खेती से जुड़े विभिन्न विषयों पर गहन विचार मंथन किया जाएगा जिसमें कृषि वैज्ञानिकों, जैविक खेती विशेषज्ञों, कृषक उत्पादक संगठनों, प्रगतिशील किसानों तथा कृषि अधिकारियों के बीच निष्कर्षात्मक संवाद से प्रदेश की जैविक नीति को विकसित करने के प्रयास किये जाएंगे।