टेंडर के नियम और शर्तों को ताक पर रखकर स्टार ट्रैवल्स को दिया गया परिवहन संचालन का कांटेक्ट..
जीएसटी का अलग से भुगतान न करने की शर्त के बावजूद भी किया गया भुगतान..
ग्वालियर 26 मार्च 2025। अटल बिहारी वाजपेई अखिल भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं प्रबंध संस्थान ग्वालियर में कार्यरत स्थाई/स्थाई कर्मचारियों के नाम से असिस्टेंट प्रोफेसर द्वारा संस्थान को टैक्सी सेवा प्रदान करने के व्यवसाय करने का मामला सामने आया है। जिसमें टेंडर की तिथि से 3 दिन पूर्व आनन-फानन में आधी-अधूरी फर्म बनाकर न सिर्फ उसके पक्ष में परिवहन संचालन का कांटेक्ट दे दिया जाता है बल्कि निविदा नियमों एवं शर्तों के विपरीत जीएसटी का भुगतान कर अतिरिक्त लाभ भी पहुंचाया जाता है।
पूरा मामला यह है कि IIITM में टैक्सी सेवा संचालन के लिए वेंडर/विक्रेता के चयन के लिए दिनांक 29.9.2023 निविदा आमंत्रित की गई और दिनांक 6.10.2023 अपराह्न 3:30 बजे निविदा खोली गई। इस निविदा/ बोली में चार निविदाकारों मैसर्स स्टार ट्रैवल ग्वालियर, मै.खुशी ट्रैवल ग्वालियर, मैं.उदयराज एंटरप्राइजेज उरई उ.प्र. एवं मै. अंबिका ट्रैवल ग्वालियर ने भाग लिया। निविदा बोली में भाग लेने की पात्रता के लिए आवश्यक दस्तावेजों में फर्म का रजिस्ट्रेशन (यदि पार्टनरशिप फर्म है तो डीड), फर्म के पास वैद्य पैन नंबर, ट्रैवल एजेंसी का वैद्य पंजीकरण आदि की अनिवार्यता थी।
दिनांक 6.10.2023 को 3 सदस्यीय परिवहन समिति के प्रभारी सोमेश कुमार ने निविदा बोली खोलने की प्रक्रिया प्रारंभ की जिसमें उन्होंने बताया कि चार बोलियां प्राप्त हुई है, प्रथमतया तकनीकी बिट खोले जाने पर खुशी ट्रैवल एवं उदयराज इंटरप्राइजेज को अयोग्य घोषित कर दिया गया है और इसके उपरांत फाइनेंसियल बिट ओपन होने पर समिति के अध्यक्ष सोमेश कुमार ने मै.स्टार ट्रैवल को एल-1 पर आने की घोषणा की। जब टेंडर प्रक्रिया से अपात्र एवं आरोग्य घोषित हुई तीनों फर्मो के प्रतिनिधियों ने समिति से इसका कारण पूछते हुए स्टार ट्रैवल फर्म के कागजात देखने की मांग की तो सोमेश कुमार ने आक्रामक तेवर दिखाते हुए साफ इनकार कर दिया।
विश्वस्त सूत्रों एवं सबूतों की माने तो संस्थान को परिवहन सेवा प्रदान करने की योजना के साथ ही असि. प्रोफेसर सोमेश कुमार ने अपने शागिर्दों को फर्म रजिस्टर्ड करने की सलाह दी, जिसके अंतर्गत पार्टनरशिप फर्म मै. स्टार ट्रैवल्स का दिनांक 26.9.2023 को रजिस्ट्रेशन कराया गया और तीन दिन बाद बिना किसी दस्तावेज के टेंडर प्रक्रिया में इस फर्म ने भाग लिया। चूंकि 3 दिन में किसी को भी पैन नंबर जनरेट नहीं होता है लिहाजा इस फर्म में ने बिना पैन नंबर के निविदा बोली में भाग लिया,साथ ही पार्टनरशिप डीड के कागजात भी जमा नहीं कराए गए। टेंडर की शर्त अनुसार फर्म को जीएसटी सहित ऐस्टीमेटेड भुगतान किया जाना था लेकिन सोमेश कमार की फर्म होने की वजह से इन्होंने कमेटी बनाकर एक महीने बाद दस्तावेजों में हेरा फेरी कर नियम विरुद्ध 18% जीएसटी का अलग से भुगतान कर दिया। इस फर्म के दो पार्टनर है इनमें से एक संजय सिंह निवासी पॉकेट बी ऐबीवी ट्रिपल आईटीएम ग्वालियर जो कि इसी संस्थान में विगत दो-तीन साल से संस्थान के निदेशक एस एन सिंह की ड्राइवरी कर रहा है और दूसरा पार्टनर श्रीमती वंदना सिंह पत्नी भानु प्रताप सिंह चौहान निवासी चार शहर का नाका है। भानु प्रताप चौहान कई वर्षों से इसी संस्थान में फोटोग्राफर का काम करने के साथ-साथ संस्थान के असि. प्रोफेसर श्री कुमार प्रॉपर्टी व्यवसाय में पार्टनर है।
असिस्टेंट प्रोफेसर सोमेश कमार की रसूखदारी..
प्राप्त जानकारी अनुसार इस फर्म के पार्टनर श्रीमती वंदना के पति भानु पताप और वाहन टेंडर समिति के अध्यक्ष सोमेश कुमार ने संयुक्त रूप से 96 लाख रुपए की दो कमर्शियल प्रॉपर्टी भी खरीद रखी है।असिस्टेंट प्रोफेसर सोमेश कुमार की रसूखदारी के क्या कहने कि इनके पास BH (भारत सीरीज) सीरीज के अंतर्गत रजिस्टर नंबर 24BH3053D की महिंद्र स्कॉर्पियो है जो कि पूर्णता नियम विरुद्ध है। सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र शर्मा ने इस पर क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी ग्वालियर को शिकायत करते हुए उल्लेख किया कि सोमेश कुमार केंद्रीय कर्मचारी नहीं है और न ही ट्रिपल आईटीएम केंद्रीय सरकार का उपक्रम है। यह एक रजिस्टर्ड सोसाइटी है इसलिए सोमेश कुमार को भारत सीरीज के वाहन पंजीयन कराने की योग्यता नहीं है। इस शिकायत के आधार पर क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी विक्रमजीत सिंह कंग ने दिनांक 27.2.2025 को संस्थान के रजिस्ट्रार पंकज गुप्ता से जवाब मांगा है।
इस पूरे मामले पर जहां एक ओर परिवहन निविदा समिति के अध्यक्ष सहा. प्राध्यापक श्री कुमार गोल-गोल जवाब देते हुए मामले पर पर्दा डाल रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर संस्थान के कुलसचिव पंकज गुप्ता किसी भी तरह के जवाब देने से पूरी तरीके से बचते नजर आ रहे है जो कहीं ना कहीं बड़े सवालों को पैदा करता है?