AC-DC त्रिपाठी बंधु की जुगलबंदी में खेला गया यह खेल..
तकरीबन 40 लाख की बजाए 7.5 लाख का कटा चालान..
बृजराज एस तोमर, भोपाल- सतना। कोलकाता से सागर जा रहे कपड़े से लदे कंटेनर को मऊगंज जिले के पन्नी क्षेत्र में GST सतना की टीम ने 4 मई शाम को चेकिंग के दौरान पकड़ा और बिना बिल एवं ईवे बिल के रेडीमेड गारमेंट्स से लदे इस कंटेनर को थाना लौर में पकड़ कर पुलिस अभिरक्षा में खड़ा करवा दिया दिया।
गौरतलब है कि गाड़ी के पकड़े जाने के बाद कार्रवाई के नाम पर ये टीम शुरुआत में ढुल-मुल रवैया अपनाए हुए थी मगर युग क्रांति के साथ अन्य मीडिया की दखलंदाजी से पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए जॉइंट कमिश्नर दीप खरे ने मुस्तैदी दिखाई। पकडे गए वाहन क्र.GJ06 AZ 1248 को खुलवा कर देखा गया तो उसमें तकरीबन 88 बैग लोड थे जबकि वाहन प्रभारी राजभान जैस्वाल से बरामद बिल्टी में इन बैगों की संख्या 60 दर्शाई गई है। बिल्टी में माल को भेजने वाले एवं प्राप्त करने वाले व्यवसायीओं का नाम तक उल्लिखित नहीं है, इस बिल्टी में सिर्फ कोलकाता के ट्रांसपोर्टर आईएस कार्गो (interactive solutions) का नाम लिखा हुआ है।
बता दे कि कार्रवाई की प्रारंभिक जवाबदेही की भूमिका में सहायक आयुक्त अभिनव त्रिपाठी ने शुरुआत से ही साजिशाना खेल खेलना आरंभ कर दिया था जब उन्होंने माल से भरी गाड़ी की अभिरक्षा हेतु पुलिस को दिए गए सुपुर्दगी लैटर में अपने मोबाइल नंबर के रूप में आउट ऑफ आर्डर वाला नंबर दिया साथ ही उन्होंने वीडियो में साफ कहा है कि “इस माल की कीमत इनवॉइस (बिल) के आधार पर डिसाइड की जाएगी,” जबकि माल सहित यह गाड़ी बिना इनवॉइस ( बिल) के कारण ही जप्ती में ली गयी।
प्रावधानों से हटकर यह अनियमितताएं हुई..
प्रावधान यह है कि जब कोई मालयुक्त गाड़ी बिना बिल/ईवे बिल के पकड़ी जाती है तो इसका माल के मूल्य के बराबर राशि का चालान काटा जाता है। ऐसी स्थिति व्यापारी को और यदि बिल्टी में इनका उल्लेख नहीं है तो ट्रांसपोर्टर और उसके बाद वाहन प्रभारी पर यह दंड सास्ति लागू होती है। कारवाई के क्रम में सर्वप्रथम उक्त पार्टी की मौजूदगी में विधिवत फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी के साथ माल का बारीकी से परीक्षण व भौतिक सत्यापन किया जाता है। तदुपरांत कारवाई से तटस्थ अधिकारी की निगरानी में बनी कमेटी द्वारा इस माल की कीमत का अनुमान किया जाता है और फिर इसी आधार पर माल की कीमत के बराबर चालान कटेगा।
जेसी दीप खरे की सख्त निगरानी की वजह से डीसी और एसी अपनी मनमानी करने में सफल नहीं हो पा रहे थे मगर कहानी में ट्विस्ट तब आया जब 14 मई को जेसी खरे सात दिवस की छुट्टी पर चले गए। मौके का फायदा उठाते हुए एसी-डीसी त्रिपाठी बंधु की जुगलबंदी ने आनन-फानन में कोलकाता से ट्रांसपोर्टर को बुलवाया और पूरे दिन की शौदेबाजी के बाद उससे नकली बिल एवं इसकी निशानदेही पर माल के एक दो बैग खोलकर देखने को सत्यापन को सत्यापन मानते हुए इसी आधार पर खाना पूर्ति की गई। सूत्रों की माने तो 40 लाख के रेडीमेड गारमेंट की कीमत 7.5 लाख तय करते हुए इसी राशि का चालान काट कर वाहन को छोड़ दिया गया। अतएव यहां साफ तौर पर देखा जा सकता है कि विवाह के कुछ करिंदों ने खुद के बड़े लालच में शासन को कैसे 25- 30 लाख का फटका लगा दिया !
युग क्रांति द्वारा इस पूरे मामले को मुख्यालय के संज्ञान में भी लाया गया है अब देखने वाली बात यह होगी कि मुख्यालय के मुखिया ईमानदारी की मिसाल धनराजू एस इस पर क्या एक्शन- रिएक्शन दिखाते हैं अथवा सतना में इस कदर बह रही भ्रष्टता की गटर गंगा को यूं ही अनदेखा करते हैं?