विभागों को सिंडिकेट की तरह ऑपरेट कर रहा हैं दिलीप राज द्विवेदी..
बृजराज एस तोमर, भोपाल। जहां एक ओर म प्र सरकार के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा का सेना को आहत करने वाला बयान पूरे प्रदेश व देश की सुर्खियों में है तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश के वित्त ,पंजीयन, आबकारी एवं जीएसटी विभाग के गलियारों में रिटायर्ड विशेष सहायक द्विवेदी की वजह से देवड़ा गहरी चर्चाओं में शुमार है कि दिलीप राज द्विवेदी द्वारा विभागों को सिंडिकेट की तरह चलाने की वजह से ये उपमुख्यमंत्री के लिए जरूरी है अथवा तमाम मामलों में गहरे राजदार होने के लिहाज से रिटायरमेंट के बाद भी इन्हें रखना माननीय की मजबूरी है।
केमेस्ट्री का असिस्टेंट प्रोफेसर दिलीप राज द्विवेदी पिछली सालों में 9 साल प्रतिनियुक्ति पर परिवहन विभाग में कार्यरत रहा एवं एक साल परिवहन मंत्री रहे जगदीश देवड़ा के विशेष सहायक के रूप में काम किया और तभी से द्विवेदी मंत्री जी को इतना भा गये कि रिटायरमेंट के बाद भी उन्हें जुदा नहीं कर पा रहे। बता दें कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में ईओडब्ल्यू में द्विवेदी के खिलाफ प्रकरण दर्ज था। इससे पहले ईओडब्ल्यू ने उच्च शिक्षा विभाग से द्विवेदी के संबंध में जानकारी भी मांगी थी और इतना ही नहीं चुनाव के दौरान उन्हें मंत्रालय वापस बुला लिया गया था।
साहेबान रिटायर्ड तो 30 नवंबर 2024 को ही हो गए पर इनकी “सेवा की निष्ठा और मंत्री जी का अवैधानिक रवैया” देखिए कि 20-21 दिसंबर 2024 को जैसलमेर में केंद्रीय वित्त मंत्री की मौजूदगी में आयोजित GST काउन्सिल में प्रदेश के प्रतिनिधि के रूप में वित्त मंत्री के साथ अवैध रूप से नजर आ रहे है!
कहते हैं कि इनका “जलवा” आज भी उप मुख्यमंत्री के कुनबे में बरकरार है और कई किस्सों में इनका हिस्सा होना चर्चित है! चर्चाओं में शुमार है कि मलाईदार विभाग के मंत्री के ओएसडी के तौर पर पदस्थ रहे द्विवेदी ने दुबई में करोड़ों रुपये का निवेश किया है। सियासी एवं आधिकारिक सूत्रों की माने तो इस शख्स ने न केवल मंत्री के बेटे को राजशाही शौक और शाही खिदमतगीरी के जरिए जबरदस्त मोह पास में जकड़ा हुआ है बल्कि उपमुख्यमंत्री को भी कुबेर के खजाने की पेशगी एवं गहरी राजदारी के बहाने वसीभूत/मजबूर कर रखा है।
विभागों को सिंडिकेट की तरह चला रहा हैं...
उप मख्यमंत्री के पास वित्त, पंजीयन, आबकारी एवं जीएसटी सहित सभी विभागों को ये रिटायर्ड दिलीप राज सिंडिकेट की तरह आज भी चला रहा है। हर विभाग में उसका अपना नेटवर्क है, पूरे प्रदेश के नेटवर्क को ऑपरेट करने के लिए जगदीश देवड़ा के बंगले में इसे अलग से दूसरी मंजिल पर सर्व सुविधा युक्त निर्वाध फैसिलिटेशन सेंटर मुहैया कराया गया है। यहां से द्विवेदी अपनी (शासकीय-अशासकीय) कॉरपोरेट टीम के माध्यम से प्रदेश भर के अधिकारियों से कभी ट्रांसफर की धमकी तो कभी मनचाही पोस्टिंग के प्रलोभन बहाने बसूली की जाती है और 31 मई को पूर्ण होने वाली ट्रांसफर पॉलिसी के चलते उगाही का ये सिलसिला चरम पर है।
मप्र के जीएसटी विभाग में एंटी इवेजन ब्यूरो वाइज दिलीप राज द्विवेदी के सिंडिकेट की टीम के रूप में इंदौर में आरके तिवारी (retd. sto), जबलपुर और सतना में संयुक्त आयुक्त दीप खरे, ग्वालियर में रिटायर्ड इंस्पेक्टर भदोरिया / इंस्पेक्टर हरेंद्र तोमर एवं भोपाल में संयुक्त आयुक्त नीरज श्रीवास्तव पूरी निष्ठा से जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
बड़े हैरत की बात यह है कि इन विभागों प्रमुख सचिव और विभाग प्रमुख बेहद सजग क्रियाशील एवं सत्यनिष्ठ होने के बावजूद ये दिलीप राज द्विवेदी की सरकार के समानांतर अवैधानिक कालीसत्ता को गांधी जी के चार बंदरों की तरह क्यों बर्दाश्त कर रहे हैं, क्या वाकई इन आला अधिकारियों की ओजस्विता इसके समक्ष असहाय होकर निस्तेज हो रही है यह बड़ा सवाल है!