पूर्व मुख्य सचिव के चहेते अपर/उप आयुक्त या आबकारी मंत्री का आशीर्वाद अथवा दिलीप राज द्विवेदी की सिंडिकेट का सदस्य..!
भोपाल- मंदसौर। आबकारी मंत्री के गृह जिले में पदस्थ प्रभारी जिला आबकारी अधिकारी बीएल दांगी पर मासिक बंदी के लिए रंगदारी का न सिर्फ आरोप लगाया है बल्कि कल पिपलिया मंडी चौपाटी की दुकान के मैंनेजर ने थाने में लिखित शिकायत भी की है।
देखा जाए तो जिस अधिकारी को इंदौर में घटित 42 करोड़ के आबकारी फर्जी चालान घोटाले में आपराधिक दुष्कृत एवं प्रत्यक्ष जिम्मेदारी का गंभीर कारण बताओ नोटिस देने के बाद भी चेतावनी देकर इस सिस्टम की अंधेरगर्दी के चलते छोड़ा दिया गया। और अब इसका पुनः विवादों में आना फील्ड पोस्टिंग में “NOT FIT FOR FIELD POSTING” को दर्शाता है।
यह घटना उपमुख्यमंत्री एवं आबकारी मंत्री के गृह क्षेत्र में हो रही है तो क्या इस मामले से जगदीश देवड़ा अनिविज्ञ है अथवा यह सब उनके मार्गदर्शन में हो रहा है! सेना पर बयानबाजी के बाद तो मानो सुर्खियों में रहना देवड़ा जी की आदत में सुमार हो गया है।
ठेका रिन्युवल करवाने वाले ठेकेदारों द्वारा ऑडियो/वीडियो साक्ष्यों के साथ तमाम आरोप के पश्चात क्या इन्हें हटाया नहीं जाना चाहिए। सूत्रों की माने तो विभागीय मंत्री तो इन्हें हटाना चाहते हैं परंतु क्षेत्र के प्रभारी अपर आयुक्त (पूर्व मुख्य सचिव के चेहेते थे) का खुला संरक्षण है और साथ ही बीएल दांगी को रिटायर्ड ओएसडी दिलीपराज दवेदी के नेटवर्क का सक्रिय सदस्य बताया जा रहा है जो द्विवेदी रिटायरमेंट के बाद भी मंत्री जी के बंगले से सिंडिकेट के रूप में काली सत्ता चला रहे हैं।
आबकारी के इतिहास में यह बड़ी घटना है जिसमें 10 लाख रुपए का आरोप लगाकर दुकान बंद की गई है और इस पर संबंधित जिम्मेदार अफसर का बयान सार्वजनिक ना होना कई सवाल खड़े करता है !