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नई सौगात के रूप में “ग्वालियर- बेंगलुरु” रेल से यात्रियों में नीरसता

जर्नी टाइम अधिक लेने की वजह से यंगस्टर पसंद नहीं कर रहे हैं यात्रा..

बुकिंग में रिग्रेट व्यवस्था से यात्रियों में खासी परेशानी..

ग्वालियर। भले ही केंद्रीय मंत्री सिंधिया सहित अन्य वरिष्ठ भाजपा नेता पिछले सप्ताह नई सौगात के रूप में ग्वालियर से बेंगलुरु रेल को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने में बेहद उत्साहित दिखे मगर ग्वालियर से बेंगलुरु की दूरी तय करने में अधिक समय लेने की वजह से यात्रियों में इस ट्रेन से यात्रा करने में नीरसता देखी जा रही है। साथ ही पिछले माह टिकट बुकिंग में चालू हुई रिग्रेट व्यवस्था से लोगों को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि ग्वालियर- बेंगलुरु के बीच पहले से 6 ट्रेनग्वालियर बेंगलुरु रेल चल रही है और एसएमवीबी एक्सप्रेस अर्थात नई ट्रेन ग्वालियर- बेंगलुरु के चालू होने से अब सात ट्रेन की सुविधा यात्रियों को मिल रही है। इन सभी सातों ट्रेनों में यात्रा के दौरान सर्वाधिक समय संपर्क क्रांति -40.45 घंटे और नई ट्रेन 40.35 घंटे समय ले रही है। इसके चलते बेंगलुरु में आईटी एवं कॉरपोरेट अथवा अन्य क्षेत्रों में कार्य करने वाले यंगस्टर्स इस नई ट्रेन से यात्रा करना बिल्कुल भी पसंद नहीं कर रहे हैं। इस नीरसता का ग्राफ टिकट बुकिंग पोर्टल पर खाली पड़ी सीटों से साफ तौर पर देखा जा सकता है।

बुकिंग में रिग्रेट व्यवस्था से यात्रियों में खासी परेशानी..

“रिग्रेट अर्थात क्षमा” का मतलब है कि यात्रीगण के लिए ट्रेनों के कोटा अनुरूप अब स्लीपर में 10 वेटिंग के बाद बुकिंग बंद हो रही है (अर्थात अब क्षमा करिए) जबकि इससे पहले 100 वेटिंग तक (जैसे ग्वालियर -मथुरा) क्लियर हो जाती थी। ऐसी स्थिति में अब यात्रियों के पास तत्काल टिकट के अलावा कोई भी विकल्प नहीं बचता है। लिहाजा (उदाहरण के तौर पर) ग्वालियर से मथुरा स्लीपर का सामान्यतया जो टिकट ₹180 में मिल जाता था वही टिकट अब तकरीबन 120% अधिक किराया चुका कर ₹430 में लेना पड़ रहा है।

रिग्रेट खुलवाने का विकल्प:

रेलवे प्रावधान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है मगर सूत्रों की माने तो रेलवे के अधिकारियों द्वारा उपकृत करने का ये एक नायाब तरीका है। इसके अंतर्गत रेलवे अधिकारियों के पास राजनेता अथवा अन्य वीआईपी के नाम पर तथाकथित अपरिभाषित कोटा होता है जिसे वह मन चाहे तरीका से इस्तेमाल कर रहे हैं। किसी यात्री के लिए रिग्रेट खुलना रेलवे के सक्षम अधिकारी से जान पहचान के स्तर पर निर्भर करता है।

युग क्रांति द्वारा सैकड़ो यात्रियों एवं आमजनों से की गई चर्चा के उपरांत एक ही राय सामने आई कि हमारे नेताओ को नई-नई योजनाओं एवं सौगातों के नाम पर दिखावे की राजनीति ज्यादा पसंद है, जमीनी स्तर की वास्तविक समस्याओं से इन्हें कोई सरोकार नहीं है।