इस्तीफा की असली अंदरुनी बजह कुछ और भी…?
जगदीप धनखड़ ने अपने त्यागपत्र में लिखा..
मुझे संसद के सभी माननीय सदस्यों से जो स्नेह, विश्वास और सम्मान मिला, वह जीवनभर उनके हृदय में संचित रहेगा.’ उपउपराष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘इस महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में मिले अनुभव और दृष्टिकोणों के लिए मैं गहराई से आभारी हूं. भारत के आर्थिक विकास और अभूतपूर्व परिवर्तनकारी दौर का साक्षी बनना मेरे लिए सौभाग्य और संतोष का विषय रहा है.’ उन्होंने भारत के वैश्विक उदय और उज्ज्वल भविष्य पर अटूट विश्वास जताते हुए अपना त्यागपत्र समाप्त किया।
संवैधानिक पद पर रहते हुए धनखड़ के इस्तीफा की असली वजह यही माननी पड़ेगी जो उन्होंने बताया है मगर उपराष्ट्रपति के पद पर जलवा जुलूस के साथ उनकी आसंदी से लेकर आज की सदन की कार्यवाही तक उन्हें हमेशा बड़े प्लेयर की तरह बिंदास रहना और अचानक से उनका त्यागपत्र देना अंदरुनी बड़ी वजहों की ओर संकेत देता नजर आ रहा है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि श्री धनखड़ बेहद खुद्दार और अपने निर्णय पर अडिग रहने वाले व्यक्तित्व के धनी है लिहाजा किसी बड़े मुद्दे को लेकर राजनीतिक दबाव पर इस्तीफा के रूप में उन्होंने प्रतिक्रिया व्यक्ति की है। श्री धनखड़ इस अहम मुद्दे पर बेहद संजीदा थे कि कैसे कोई व्यक्ति/नेता सदन में 10 साल रहने पर उसकी संपत्ति में सैकड़ो गुना इजाफा हो जाता है अतएव सदन में इस पर आवश्यक प्रतिबंधात्मक प्रावधान लाना चाहिए।