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झांसी रेलवे मंडल में हो रही यात्रियों को असुविधा के लिए किसे खेद और किसको चिंता ?

पूरे किराए के बदले घोषित सुविधाओं का न मिलना- उपभोक्ता (यात्री) के अधिकारों का हनन..

ग्वालियर 22 जुलाई 2025। ट्रेन के जराभर लेट होने पर स्टेशनों पर ‘यात्रियों को हुई असुविधा के लिए हमें खेद है’ का अनाउंसमेंट, जहां एक ओर यात्रियों की सुविधाओं के प्रति सरकार की संस्कारित संवेदना को दर्शाता है तो वहीं दूसरी ओर स्टेशनों पर व्याप्त तमाम समस्याएं भारत सरकार के रेल मंत्रालय की आदर्शवादी मंसा को पलीता लगाती नजर आ रही है।

उत्तर मध्य रेलवे के झांसी मंडल अंतर्गत ग्वालियर रेलवे स्टेशन का पुनर्विकास कार्य पिछले दो-तीन सालों से चल रहा है जिसके चलते वर्तमान में स्टेशन के सभी प्लेटफार्म अस्त- व्यस्त और ध्वस्त पड़े हुए हैं, जहां न तो यात्रियों को कड़ी धूप व गर्मी से बचने की जगह है तो ना ही झर- झर बारिश से बचने के लिए पर्याप्त छत, ऐसे में आखिरकार यात्री करें तो करें क्या, यह बिकराल समस्या है। चारों तरफ बिखरे हुए स्टेशन में प्रवेश करने व टिकट विंडो को खोजते- जूझते हष्ट-पुष्ट यात्रियों का जब बुरा हाल है तो फिर ऐसे हालातो में बुजुर्ग और दिव्यांगों का क्या स्थिति होगी इसका अनुमान लगाया जा सकता है। स्टेशन पुनर्विकास में लेटलतीफी का ठेका भले ही किसी के KPC कंपनी ने ले रखा हो मगर पूरा किराया चुकाने के बावजूद इन समस्याओं से जूझने का ठेका यात्रीगणों का नहीं है। लिहाजा विभाग को यात्रियों की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए वैकल्पिक इंतजाम करने चाहिए।

झांसी रेलवे मंडलझांसी मंडल मुख्यालय पर भी समस्याओं एवं अशुविधाओ का अंबार लगा हुआ है यहां आए दिन कहीं लिफ्ट बंद हो जाती है तो कहीं एस्केलेटर चलते-चलते अटक जाता है, यह बहुदा अंडर मेंटिनेस पर ही होता हैं मगर इससे मंडल के सीनियर डीसीएम, डीआरएम एवं अन्य सक्षम अधिकारियों पर कोई फर्क नहीं पड़ता। बुजुर्ग व्यक्तियों को प्लेटफार्म पर आवागमन की सुलभता हेतु पहले बैटरी चालित वाहन हुआ करते थे मगर अब वह भी नहीं दिखते। यहां दिव्यांगों के लिए तीन- चार घटिया स्तर की व्हीलचेयर तो है मगर बैटरी वाली अथवा अच्छी क्वालिटी की एक भी व्हीलचेयर पूरे झांसी मंडल में नहीं देखी जा सकती। यात्रियों की बढ़ती संख्या और घटते महिला शौचालयों के चलते न सिर्फ मोदी जी के स्वच्छता अभियान का फालूदा हो रहा है बल्कि स्टेशन के आसपास रेलवे ट्रैक को शौचालय के लिए इस्तेमाल का जोखिम उठाने पर महिलाओं को मजबूर कर रहा है।

महिला शौचायलयों की कमी तकरीबन सभी स्टेशनों पर देखी जा सकती है। यात्रियों की बढ़ती संख्या के चलते बड़े रेलवे स्टेशन पर प्लेटफॉर्म एंड पर एक शौचालय से काम नहीं चलेगा इसके लिए जरूरी है कि हरेक प्लेटफार्म के दोनों एंड पर एवं मध्य में एक- दो महिला शौचालय हों साथ ही दिव्यांग एवं वृद्धजनों के प्लेटफॉर्म गमन हेतु आधुनिक एवं गुणवत्तापूर्ण व्हीलचेयर एवं बैटरी चालित वाहन बेहद जरूरी है।