भोपाल 7 अगस्त 2025। सदा सुर्खियों में बना रहने वाला मध्य प्रदेश पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन एवं इसके खलीफा कहे जाने वाले प्रभारी मुख्य अभियंता का एक ताजा मामला सामने आया है। जिसके अंतर्गत किसी ठेकेदार को नियम विरुद्ध अनुचित लाभ पहुंचाने की नियत से इसने यह खेल खेला है।
शासन के द्वारा निर्धारित निविदा संबंधी नीतिगत नियमों के तहत सर्वप्रथम अमानत राशि की जांच होती है। इसके पश्चात् तकनीकी बिड का परीक्षण होता है। तत्पश्चात् वित्तीय ऑफर खोला जाता है। इस प्रक्रिया का अनुसरण ना करते हुए जे.पी. पस्तोर ने किसी लंबे भ्रष्टाचार का खेल खेलते हुए दिनांक 01.08.2025 को निर्माण कार्य 160 आरक्षक आवास गृह पुलिस लाईन देवास की निविदा की तकनीकी बिड में प्रस्तुत दस्तावेजों में भिन्नता पाई गई। अतः मेसर्स अग्रवाल कन्स्ट्रक्शन्स वर्कस की निविदा को निरस्त करके धरोहर राशि को राजसात कर नियमानुसार कार्यवाही करने का निर्णय लिया।
सवाल यह है कि यदि दस्तावेजों में भिन्नता थी तो तकनीकी बिड में चयन करने के पूर्व मुख्य परियोजना यंत्री के द्वारा यह भिन्नता संज्ञान में क्यों नहीं आई तथा निविदाकार का वित्तीय ऑफर क्यों खोला गया। सूत्रों का कहना है कि पुलिस हाउसिंग के तकनीकी खलीफा जे.पी. पस्तोर इस निविदा के मामले में कोई बड़ा खेल खेलने वाले हैं ये आने वाला समय ही बताएगा मगर आज इस प्रकार के बेतुके, पारदर्शिताहीन निर्णय लेने से दिन-प्रतिदिन पुलिस हाउसिंग की कार्यप्रणाली संदेहास्पद होती जा रही है और पता नहीं विभाग के मुखिया किस बात का इंतजार कर रहे हैं।