LNCT के संचालकों पर ईओडब्ल्यू ने की एफआईआर..
भोपाल/ इंदौर, बृजराज एस तोमर। आस्था फाउंडेशन सोसायटी में तक़रीबन 200 करोड़ के घोटाले में भोपाल के एलएनसीटी ग्रुप का करीब पूरा चौकसे परिवार घिर गया है। इस मामले में पूर्व प्रेसीडेंट अनिल संघवी की रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनी एडहॉक कमेटी की फाइनेंशियल ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर एलएनसीटी ग्रुप के चौकसे परिवार समेत अन्य के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 61, 316, 318, 338 और 336 (3) आर्थिक अपराध की धाराओं में प्रकरण दर्ज हुआ है। इस मामले में चौकसे परिवार ने जिस तरह घोटाला किया है वह चौंकाने वाला है। इन्होंने आस्था फाउंडेशन सोसाइटी और इसके खातों को निजी मिल्कियत समझकर जमकर लूटा है।
फॉरेंसिक ऑडिट कमेटी ने 1 अप्रैल 2021 से फरवरी 2025 तक कनाडिया रोड इंदौर में रजिस्टर्ड श्री आस्था फाउंडेशन फॉर एजुकेशन सोसायटी सोसायटी के खातों की पूरी जांच की। इस सोसायटी के तहत एलएनसीटी मेडिकल कॉलेज, सेफ इंस्टिट्यूट ऑफ नर्सिंग कॉलेज, एलएनसीटी स्कूल ऑफ फार्मेसी, एलएन पैरामेडिकल कॉलेज, एलएनसीटी विद्यापीठ यूनिवर्सिटी, सेफ स्कूल ऑफ नर्सिंग, सेवाकुंज हॉस्पिटल और स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर का संचालन होता है।
अगस्त 2025 में अनिल संघवी द्वारा आर्थिक अपराध ब्यूरो को दी गई शिकायत में आरोप लगाया गया कि श्री आस्था फाउंडेशन फॉर एजुकेशन सोसायटी में इंदौर के पदाधिकारियों- जय नारायण चौकसे (अध्यक्ष), अनुपम चौकसे (सचिव), पूजा श्री चौकसे (कोषाध्यक्ष), पूनम चौकसे, श्वेता चौकसे, धर्मेंद्र गुप्ता व आशीष जायसवाल ने संस्था की निधियों का दुरुपयोग कर करोड़ों रुपये का गबन किया है। शिकायत के अनुसार छात्रों से प्राप्त हॉस्टल व बस फीस को सोसायटी खाते में दर्ज न कर कल्चुरी कॉन्ट्रैक्टर्स लिमिटेड में डायवर्ट किया गया, निर्माण कार्यों के नाम पर भारी ऋण लेकर उसका उपयोग एचके कल्चुरी एजुकेशन ट्रस्ट की देनदारियाँ चुकाने में किया गया, डॉ. रमेश बदलानी को कॉर्पस फंड व लोन प्रविष्टियों के माध्यम से लाभ पहुँचाया गया, लक्की कंस्ट्रक्शन व स्विफ्ट कंस्ट्रक्शन को अनुचित भुगतान किए गए, अस्तित्वहीन संस्था वर्धमान LNCT को राशि दी गई, डायरेक्टरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन की छात्रवृत्ति को KCL खाते में ट्रांसफर किया गया, अहिल्या समूह को भूमि खरीदी के नाम पर भुगतान हुआ, अनन्जय फार्मास्यूटिकल्स व संबद्ध इकाइयों को दवाइयों व पुस्तकों की खरीद के नाम पर राशि दी गई, कर्मचारियों को PF/ESI में पंजीकृत किए बिना नकद वेतन दिया गया और LNCT यूनिवर्सिटी में फर्जी जर्नल एंट्री कर हेरफेर करते हुए भारी नकद निकासी की गई। साथ ही इन आरोपों पर हुई स्वतंत्र फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट (ABMS & Associates तथा राजवंशी एंड कंपनी द्वारा) भी संलग्न की गयीं। शिकायतकर्ता अनिल संघवी द्वारा विस्तृत दस्तावेज़, ऑडिट रिपोर्ट एवं फोरेंसिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए यह भी बताया गया कि रिपोर्ट में पाया गया है कि फीस संग्रह और बैंक खातों में अंतर, बिना अनुमोदन लोन प्रविष्टियाँ, निर्माण कार्यों में अधूरे वाउचर, अस्तित्वहीन संस्थाओं को भुगतान, छात्रवृत्ति व आयुष्मान राशि का डायवर्जन, PF/ESI का गंभीर उल्लंघन एवं भारी मात्रा में नकदी निकालने के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं।
शिकायत जांच में पाया गया कि श्री आस्था फाउंडेशन फॉर एजुकेशन सोसायटी वर्ष 2006 में पंजीकृत की गई, जिसका उद्देश्य शैक्षणिक एवं परोपकारी गतिविधियाँ संचालित करना था। शुरुआत में अध्यक्ष/सदस्य अभय छजलानी, बाद में 2016 में रमेश बदलानी अध्यक्ष बने और इसी वर्ष अनिल संघवी एवं चौकसे परिवार भी सदस्य बने। संस्था के संचालन में समय-समय पर प्रबंधन विवाद उत्पन्न हुए। वर्ष 2025 में शिकायत प्राप्त हुईं कि संस्था की निधि का सुनियोजित दुरुपयोग कर करोड़ों रुपये संबंधित कंपनियों एवं ट्रस्ट को अवैध लाभ पहुँचाने हेतु डायवर्ट किए गए।
फॉरेंसिक/सत्यापन एवं जांच में पाए गए तथ्य..
HK कल्चुरी एजुकेशन ट्रस्ट को लाभ पहुँचाने हेतु 02.04.2024 से 23.04.2024 (21 दिन में) ₹21.90 करोड़ का ऋण लेकर HK ट्रस्ट के लोन चुकाए गए।
SBI से LNCT मेडिकल कॉलेज के नाम पर ₹12.15 करोड़ का टर्म लोन भी ट्रस्ट को चुकाने में इस्तेमाल किया गया।
कल्चुरी कॉन्ट्रेक्टर्स लिमिटेड में छात्रों से ली गई बस/हॉस्टल फीस ₹8.22 करोड़ सोसायटी खाते में जमा न कर कंपनी व परिवार के खातों में डायवर्टकी गई।
डॉ. रमेश बदलानी के कुल ₹34.28 करोड़ (अनसिक्योर्ड लोन) को फर्जी तरीके से कॉर्पस फंड में दिखाया गया। बाद में बिना बोर्ड रेजोल्यूशन इसे अनसिक्योर्ड लोन मानकर आंशिक रकम लौटायी गई।
लक्ष्मी नारायण कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी में ₹50.67 करोड़ का भुगतान दर्शाया, वापसी मात्र ₹14.56 करोड़की दिखायी गयी। ₹85.67 लाख फर्जी जर्नल एंट्री मिली।
वर्धमान LNCT को ₹2.25 करोड़, पार्थ सूर्यवंशी को ₹2 करोड़ और विजय सूर्यवंशी को ₹1 करोड़ जैसे फर्जी भुगतान पाये गए।
अहिल्या ग्रुप (जिसके नाम कोई संपत्ति नहीं है) को ₹3.18 करोड़ जमीन खरीदी के नाम पर दिए गए।
लक्की कंस्ट्रक्शन को ₹33.46 करोड़ और स्विफ्ट कंस्ट्रक्शन को ₹8.75 करोड़ भुगतान अधूरे वाउचर और बिना हस्ताक्षर के निर्माण कार्यों हेतु दिए गए।
DME से मिली ₹49.74 लाख राशि सीधे कल्चुरी कॉन्ट्रेक्टर्स लिमिटेड खाते में डालकर स्कॉलरशिप राशि का दुरुपयोग किया गया।
ESI/EPF उल्लंघन करते हुए 600 कर्मचारियों में केवल 4 का PF/ES। पंजीयन कराया गया।
अपने ही प्रतिष्ठान अनन्जय समूह को अवैध भुगतान करते हुए दवाइयाँ-₹1.88 करोड़ अनन्जय फार्मास्युटिकल्स से खरीदी, किताबें ₹38.42 लाख अनन्जय बुक्स सेलर्स से, खरीदी गई।
आयुष्मान योजना के अंतर्गत ₹36.73 लाख फर्जी रिइम्बर्समेंट लिया गया।
LNCT यूनिवर्सिटी में लेन-देन ₹20.17 करोड़ का लोन दिखाया गया, खर्च मात्र ₹2.5 करोड़ दिखाया गया।
मई 2025 में कोटक महिंद्रा बैंक से 1 माह में ₹35 करोड़ नकद निकाले गए।
जांच के दौरान यह प्रमाणित हुआ कि संस्था के फंड का उपयोग शिक्षा/स्वास्थ्य सेवाओं में न होकर निजी लाभ के लिए किया गया एवं संस्था के अध्यक्ष जय नारायण चौकसे, सचिव अनुपम चौकसे, कोषाध्यक्ष पूजा श्री चौकसे, सदस्य पूनम चौकसे, श्वेता चौकसे, धर्मेंद्र गुप्ता एवं आशीष जायसवाल ने संस्था की निधियों का दुरुपयोग करते हुए स्वयं एवं अपनी संबद्ध कंपनियों/ट्रस्टों को अवैध लाभ पहुँचाया। लिहाजा प्रथम दृष्टया दोषी पाये जाने पर एलएनसीटी ग्रुप के चौकसे परिवार के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धाराएँ 61 (धोखाधड़ी), 316 (अमानत में खयानत), 318, 338 एवं 336 (3) में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है।
फिलहाल इस पर जवाब देने से बचते हुए जय नारायण चौकसे ने इतना ही कहा कि हमारे खिलाफ जो भी मामला दर्ज हुआ है अभी उसमें कोई जजमेंट नहीं हो गया और जिन्होंने यह सब किया है वह दूध के धुले नहीं है। बता दें कि चौकसे को पैसे की इतनी हवश है कि शुरुआती दौर में एमपीसीटी (इंजीनियरिंग कॉलेज) ग्वालियर में राम सिंह धाकरे के साथ इनकी पार्टनरशिप इसी के चलते खत्म हुई जिसका विवाद न्यायालयीन स्तर पर अभी भी लंबित है।