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देश की सबसे आधुनिक ट्रेन कही जाने वाली वंदे भारत भी चढ़ी अव्यवस्थाओं की भेंट

विभाग की मिली भगत से आधुनिक ट्रेनों में भी यात्रियों को मिल रहा है सड़ा हुआ खाना

नागपुर 8 अक्टूबर 2025। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में जहां एक ओर रेलवे मंडल एवं जोन स्तर पर पूरे देश में स्वच्छता- सेवा पखवाड़े के नाम पर ढोल बजा रही है तो वहीं दूसरी ओर नागपुर- रायपुर वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेन में यात्रियों को पारोसे जाने वाले सड़े हुए खाने ने पूरे ढोल की पोल खोल दी है। जिसके अंतर्गत वंदे भारत ट्रेन में बासे खने का ताजा मामला सामने आया है।

सर्वविदित है कि भारतीय रेल नेटवर्क एवं यात्री परिवहन के मामले मे विश्व प्रसिद्ध है। जिसके लिये भारत सरकार ने रेल मंत्रालय को भारी भरकम बजट और कार्यबल मुहैया कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। यात्रियों की सुविधाओं में सुधार के बड़े बड़े दावे करने के बावजूद भारत सरकार एवं रेल मंत्रालय अपने ही दावों और वादों को पूरा करने में लगातार विफल साबित हो रहे हैं। रेलवे स्टेशनों एवं रेलों के अंदर यात्रियों को होने वाली असुविधाओं की चर्चा युगक्रान्ति समाचार पहले भी कई लेखों में कर चुका है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि ज़िम्मेदारों ने यह ठान रखा है कि रेल सुविधाओं को गर्त में ले जाकर ही मानेंगे । आज की ख़बर किसी साधारण ट्रेन या घटना से संबंधित नहीं है बल्कि उस ट्रेन से संबंधित है जिसे रेल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा अब तक की सबसे अधिक यात्री सुविधाओं वाली प्रीमियम ट्रेन का दर्जा देकर प्रचारित किया गया है ।

यह मामला है बंदे भारत एक्सप्रेस एवं उसमें दी जाने वाली यात्री सुविधाओं की ! सभी पाठक जानते हैं कि प्रीमियम ट्रेनें जैसे राजधानी, शताब्दी, हमसफ़र एवं वंदेभारत एक्सप्रेस में आईआरसीटीसी द्वारा यात्रा के दौरान नाश्ता एवं खाना उपलब्ध कराया जाता है जिसका शुल्क टिकट के साथ ही ले लिया जाता है। यात्री नाश्ते और खाने का पैसा टिकट के साथ चुकाकर निश्चिंत हो जाते हैं कि उन्हें सफ़र के दौरान भारतीय रेल द्वारा ताजा, स्वच्छ एवं स्वस्थ भोजन परोसा जाएगा लेकिन इसके विपरीत कल दिनांक 07 सितंबर 2025 को गाड़ी संख्या 20826 में C7 कोच में सीट क्रमांक 35,36 पर नागपुर से रायपुर की यात्रा कर रहे यात्रियों ने शिकायत करते हुए कहा कि उन्हें परोसे गए भोजन में पनीर की सब्ज़ी में डाला गया पनीर ख़राब है जिसमें दुर्गंध आ रही है । यात्रियों ने C7 कोच में चल रहे टिकिट निरीक्षक से शिकायत पुस्तिका माँगी तो टिकिट निरीक्षक महोदय ही ग़ायब हो गए। जब यात्री ने कैटरिंग सर्विस से इस बात की शिकायत की तो कैटरिंग सर्विस ने पूरे सफ़र में यात्री से मिन्नतें की कि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत वापस ले लें और कोई कार्रवाई न करें लेकिन उनमें से किसी ने ज़िम्मेदारी लेने या यात्री को हुयी असुविधा की बात नहीं की।

भ्रष्टता में डूबता हुआ रेलवे का पूरा तंत्र इस बात से पूरी तरह से अभ्यस्त हो चुका है कि शिकायतों को किस प्रकार नज़र अंदाज़ करना है और कैसे शिकायतकर्ता से पीछा छुड़ाना है । शिकायतकर्ता की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं करने का दस्तूर अब भारतीय रेल का बनता जा रहा है जिसके चलते यात्रियों द्वारा सुविधा शुल्क भुगतान के बावजूद भी वे सुविधाएँ नहीं मिल पा रहीं है और रेलवे के बड़े बड़े वादे एवं दावे बेमानी साबित हो रहे है।