मुरैना, 22 नवम्बर 2025। कलेक्टर श्री लोकेश कुमार जांगिड़ की अध्यक्षता में स्व-सहायता समूहों की बैठक गत दिवस कलेक्ट्रेट सभाकक्ष मुरैना में सम्पन्न हुई। बैठक में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री कमलेश कुमार भार्गव, कृषि विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा जिला पंचायत कार्यालय के अन्य एपीओ सहित जिले के विभिन्न स्व-सहायता समूहों की महिलाएं उपस्थित थीं।
बैठक के दौरान कलेक्टर ने समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों के बाजार विस्तार एवं विपणन रणनीति पर विशेष जोर देते हुए कहा कि उत्पादों की गुणवत्ता, पैकिंग एवं ब्रांडिंग को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से विपणन को बढ़ावा देने पर भी बल दिया। कलेक्टर ने मधुमक्खी पालन में आदिवासी समुदाय की कम भागीदारी पर चिंता व्यक्त करते हुए आगामी सीजन में इस समुदाय को इस गतिविधि में अधिक संख्या में शामिल करने के निर्देश दिए। उन्होंने लखपति दीदी पहल के अंतर्गत आजीविका संवर्धन हेतु क्लस्टर आधारित गतिविधियों को और सुदृढ़ करने तथा जौरा विकास क्षेत्र में संचालित अस्थायी क्लस्टर को विशेष रूप से प्रोत्साहित करने की आवश्यकता बताई। बैठक में कलेक्टर ने संकुल स्तरीय संगठनों के पदाधिकारियों से आजीविका गतिविधियों के संबंध में विस्तृत चर्चा की। समूह सदस्यों द्वारा किए जा रहे कार्यों एवं प्रगति की जानकारी प्रस्तुत की गई। बैठक में विकास खंड प्रबंधक एवं सहायक विकास खंड प्रबंधक द्वारा संचालित उत्कृष्ट आजीविका गतिविधियों की रूपरेखा भी साझा की गई।
कलेक्टर द्वारा आजीविका संवर्धन के लिए दिए गए सुझाव कलेक्टर ने कहा कि मोटे अनाजों, विशेषकर बाजरे की बाजार में मांग उनके स्वास्थ्यवर्धक गुणों के कारण निरंतर बढ़ रही है। मुरैना जिले में बाजरे का बड़े पैमाने पर उत्पादन होने के कारण जैविक बाजरा उत्पादन, जैविक प्रमाणीकरण, विभिन्न बाजरा आधारित उत्पादों का निर्माण और स्वास्थ्य वर्धक शुगर-फ्री खाद्य उत्पाद तैयार करने जैसी गतिविधियों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
श्री जांगिड़ ने जौरा एवं मुरैना विकास क्षेत्रों में किए जा रहे पारंपरिक निर्माण कार्यों को ग्राम संगठन एवं संकुल स्तरीय संगठन के माध्यम से ओएफपीओ बनाकर तथा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से उसकी ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग करने पर जोर दिया, जिससे समूह सदस्यों की आय में वृद्धि सुनिश्चित हो सके। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रसिद्ध श्री शनिचरा मंदिर परिसर में प्रसाद बनाने एवं विक्रय का कार्य स्व-सहायता समूहों द्वारा किया जाए। इसी प्रकार, सरसों उत्पादन एवं प्रसंस्करण कर ने तेल उत्पादक समूहों को मंदिर परिसर में भगवान श्री शनिदेव को चढ़ाए जाने वाले तेल के विक्रय की अनुमति प्रदान करने के लिए पहल करने की आवश्यकता बताई। कलेक्टर ने कहा कि ऐसे प्रयासों से समूह सदस्यों को आजीविका गतिविधियों से जोड़कर उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
