ग्वालियर स्टेशन पर घोटाले की परतों में फिर खुलीं-हर दावे की पोल..
ग्वालियर, 28 नवंबर 2025। युग क्रांति की लगातार पड़ताल और खुलासों के बाद भी भारत सरकार के रेल मंत्रालय की बहुप्रचारित जनहितैषी योजना “जनता भोजन” का ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर हाल बेहाल है। स्टेशन पर महज तीन-चार स्थानों पर औपचारिकता के नाम पर दिखावा तो मिला, मगर वास्तविकता फिर वही—जनता भोजन नदारद!
वरिष्ठ अधिकारियों के ट्विटर वाले आश्वासन और बयानबाजी की सच्चाई अब साफ दिखने लगी है—सब कुछ कागजों पर चमकदार, जमीन पर पूरी तरह फेल।
गौरतलब है कि युगक्रांति ने 6 नवंबर 2025 को “ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर जनता भोजन नदारद – जिम्मेदारी किसकी!” शीर्षक से खुलासा किया था। इसके बाद ट्विटर और फोन पर घुमावदार आश्वासन दिए गए, लेकिन जब दो दिन बाद वास्तविक जांच हुई तो सारा खेल खुल गया—हर दावा, हर वादा 100% खोखला साबित हआ और तभी 8 नवंबर 2025 को युग क्रांति ने “ग्वालियर स्टेशन पर जनता भोजन एक बड़ा घोटाला” शीर्षक से फिर सच्चाई उघाड़ी। घोटाला इतना गहरा था कि उसी दिन डीआरएम अनिरुद्ध कुमार को भी निरीक्षण दौरा करना पड़ा। लेकिन नतीजा? महज़ दिखावटी व्यवस्था। निरीक्षण के समय दिखावे की जनता थाली दिख गई, लेकिन हकीकत आज भी वही है—धोखा, सिर्फ धोखा!
27 नवंबर की नई पड़ताल ने फिर खोली पोल
युग क्रांति टीम ने जब 27 नवंबर 2025 को स्टेशन का पुनः निरीक्षण किया तो यह स्थिति सामने आई:
✔ प्लेटफॉर्म 1 – भोजनालय और आरडी शर्मा की स्टॉल नंबर 2 पर ₹15 की जनता थाली मौजूद
✔ प्लेटफॉर्म 4 – आरडी शर्मा की एक ट्रॉली पर भी ₹15 की थाली
✔ प्लेटफॉर्म 2–3 – आरडी शर्मा की ट्रॉली नंबर 3 पर ₹30 की जनता थाली
लेकिन यह ‘उपलब्धता’ महज़ नाममात्र की। बाकी सभी स्टॉल और ट्रॉलियों पर जनता भोजन गायब मिला और बहानेबाजी चालू।
स्टेशन के कुल चार प्लेटफार्म पर वास्तविकता यह मिली
आरडी शर्मा एंड संस के तकरीबन 9 स्टॉल और 5 ट्रॉलियों सहित,प्लेटफॉर्म 1 पर एएच म्हीलर एंड कंपनी, प्लेटफॉर्म 2–3 पर आरसी कैटर्स, प्लेटफॉर्म 4 पर केडी फूड्स, प्लेटफॉर्म 4 पर कामाख्या इंटरप्राइजेज इत्यादि सभी पर जनता भोजन नहीं, बल्कि ₹50 की बिरयानी और ₹40 की पूड़ी-सब्जी बेची जा रही थी।
ऊपर से डीआरएम, जीएम एवं अन्य वरिष्ठ की आंखों में धूल झोंकने के इंतजाम के रूप में दिखावटी बोर्ड—“जनता भोजन उपलब्ध है” लगा रखे है।
निरीक्षण में अधिकारी भी कटघरे में..
मौके पर से जब CCI और DCI से बात की गई तो कैटरिंग इंस्पेक्टर/CCI अग्रवाल ने केवल औपचारिकता निभाते हुए “उपलब्धता सुनिश्चित कराने” की बात कही तो वहीं DCI योगेंद्र मीणा ने तो जानकारी सुनना भी जरूरी नहीं समझा, मामला संबंधी बात सुनने में जैसे उन्हें तकलीफ हो रही हो। कार्रवाई की बात तो दूर रही। विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि ग्वालियर स्टेशन पर जनता भोजन योजना में चल रहे इस पूरे खेल का मुख्य सरगना यही DCI मीणा है।
इस पूरे मामले की जानकारी युग क्रांति संपादक बृजराज सिंह तोमर ने आज स्टेशन उप प्रबंधक और स्टेशन निदेशक को दी, जिन्होंने इस मामले को गंभीरता से लिया। फिलहालअब गेंद स्टेशन प्रबंधन के पाले में है।
अब देखना यह होगा कि भ्रष्टाचार के भेड़ियों के मुख से जनता भोजन को छीनकर पूरी तरह जनता को कब और कौन उपलब्ध कराएगा अथवा हमेशा की तरह कुछ खाना पूर्ति के साथ काले बस्ते में डाल दिया जाएगा।
