राजनीति में नए समीकरण, स्वास्थ्य सेवाओं पर संकट, किसानों को राहत और कड़ाके की ठंड का कहर
नई दिल्ली/भोपाल। साल 2025 के अंतिम सप्ताह में देश और दुनिया एक साथ कई मोर्चों पर बदलाव और तनाव के दौर से गुजरती नजर आई। 28 दिसंबर को राजनीति से लेकर खेती, स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर मौसम और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति तक, हर क्षेत्र में बड़ी घटनाएं सामने आईं। यह दिन यह संकेत दे गया कि आने वाला नया साल भी चुनौतियों और बड़े फैसलों से भरा रहने वाला है।
बीएमसी चुनाव: महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा दांव
देश की सबसे ताकतवर नगर निगम बीएमसी चुनाव को लेकर बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच सीटों के बंटवारे पर सहमति बनती दिख रही है। यह गठबंधन न केवल मुंबई की सत्ता पर असर डालेगा, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा भी तय कर सकता है। विपक्षी दलों के लिए यह चुनौती का संकेत माना जा रहा है।
स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल: एंबुलेंस हड़ताल से हड़कंप
राजस्थान में 108 और 104 एंबुलेंस सेवाओं की हड़ताल ने आपात स्वास्थ्य सेवाओं को ठप कर दिया। आमजन के जीवन से जुड़ी सेवाओं के ठहराव ने सरकार और सिस्टम दोनों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। समय रहते समाधान नहीं हुआ तो इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।
किसानों के खातों में पहुँची राहत
मध्य प्रदेश में सरकार ने 3.77 लाख सोयाबीन किसानों के खातों में 810 करोड़ रुपये की राशि सीधे ट्रांसफर कर दी। भावांतर योजना के तहत मिली यह मदद किसानों के लिए संबल बनी है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने वाला कदम माना जा रहा है।
वैश्विक मंच पर शांति की कोशिश
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच प्रस्तावित बातचीत ने दुनिया की नजरें एक बार फिर शांति प्रयासों पर टिका दी हैं। यह वार्ता वैश्विक राजनीति में नया मोड़ ला सकती है।
शीतलहर का प्रकोप: उत्तर भारत ठिठुरा
दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश में कड़ाके की ठंड और शीतलहर ने जनजीवन प्रभावित कर दिया है। तापमान में लगातार गिरावट से आमजन की दिनचर्या बदली है, जबकि प्रशासन ने सतर्कता बरतने की अपील की है।
राजनीति में सत्ता की चालें, सड़कों पर आमजन की पीड़ा, खेतों में राहत की उम्मीद और सीमाओं के पार शांति की तलाश—28 दिसंबर 2025 देश-दुनिया के लिए बदलाव और चेतावनी दोनों का दिन बनकर दर्ज हुआ।
