भोपाल में पदस्थ रहते हुए ग्वालियर में एक कमरे के विश्वविद्यालय से की रेगुलर बी-टैक की डिग्री..
ग्वालियर 28 मई 2024। लगातार सुर्खियों में रहने वाले मध्य प्रदेश पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड में एक और बड़ा मामला सामने आया है जिसमें तथाकथित महाविद्यालय/ विश्वविद्यालय से फर्जी B.Tech के आधार पर एक उप यंत्री अवैधानिक रूप से ग्वालियर में परियोजना यंत्री के पद पर काबिज है।
ये मामला है पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन ग्वालियर में पदस्थ प्रभारी परियोजना यंत्री नरेश शर्मा का है, जिन पर पांच जिलों ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, दतिया एवं श्योपुर की तमाम बड़ी-बड़ी परियोजनाओं का जिम्मा है। पॉलिटेक्निकल कॉलेज से सिविल इंजीनियर का डिप्लोमा लेकर नरेश शर्मा पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन में उप यंत्री बने। तभी इनके मन में बड़े अधिकारी बनने की तमन्ना जागृत हुई और सन् 2005-06 में अपने एक और साथी के साथ मिलकर एक कॉलेज की तलाश की जो बुला बुला घर बैठे डिग्रियां दिया करता था। विश्वास सूत्रों के अनुसार भोपाल में उप यंत्री रूप में कार्यरत रहते हुए इन्होंने J.R.N Rajasthan Vidyapeeth University, udaipur की गांधी रोड ग्वालियर की बलवंत नगर कॉलोनी के दो कमरों में संचालित तथाकथित एक शाखा में दाखिला लिया और जून 2010 में सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक के आठवें सेमेस्टर को उत्तीर्ण किया। रोल नंबर: 29968 एवं एनरोलमेंट नंबर:D-।।/07/85168 के परीक्षार्थी नरेश शर्मा ने 348/500 अंकों के साथ अंतिम सेमेस्टर को उत्तीर्ण करते हुए कुल 2654/ 4000 अंकों के साथ सिविल इंजीनियरिंग से बीटेक की डिग्री प्राप्त की।”ना भूतो न भविष्यते“की सार्थकता में इस डिग्री के उपरांत इस कॉलेज/विश्वविद्यालय का कोई अता-पता नहीं है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस विश्वविद्यालय से बीटेक को खत्म करने की पुष्टि विश्वविद्यालय के संबंधित अधिकारी भगवती लाल दबे ने की।
यहां बड़े सवाल ये है कि ग्वालियर से 400 किलोमीटर दूर भोपाल में उप यंत्री के पद पर कार्यरत रहते हुए नरेश शर्मा एवं उनके सहपाठी ने रेगुलर 4 साल की डिग्री कैसे पूर्ण की और अपात्र एवं अस्तित्व विहीन विश्वविद्यालय/ महाविद्यालय की ये डिग्री कितनी पात्र है तथा इन्हीं अवैधानिक एवं अपात्र आधार पर उप यंत्री को परियोजना यंत्री बनाना कहां तक वैध है ? ये अपने आप में जांच के विषय हैं। हालांकि पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन में जांच के नाम पर महज ए-लीपा- पोती का शिष्टाचार है, हां मगर जांच अधिकारी की काली कमाई में बढ़ोतरी जरूर हो जाती है फिर भी म.प्र. पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन के अध्यक्ष कैलाश मकवाना जैसे जीवंत आत्मा के अधिकारियों से अभी भी जांच में निष्पक्षता की उम्मीद लगाई जा सकती है।
*पड़ताल पूरी होने के उपरांत जल्द होगा खुलासा समान पद पर काबिज इनके सहपाठी का..!