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काले कारनामों के उस्ताद डीईओ अजय कटियार

तमाम अनियमितताओं के बावजूद कैसे मिल सकता है उच्च पद का प्रभार..
जिला शिक्षा अधिकारी से लेकर शिक्षा मंत्री तक सभी पदों के प्रभारी हैं कटियार ?

ग्वालियर 14 जून 2024। मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग में एक ऐसा करिंदा पदस्थ है जो श्योपुर से लेकर शिवपुरी और ग्वालियर तक काले कारनामों की सुर्खियां बटोरने के लिए कुख्यात है। ऐसे उस्ताद हैं ग्वालियर के जिला शिक्षा अधिकारी अजय कटियार जिनके बारे में हमने अपने पिछले एपिसोड (जिला शिक्षा अधिकारी के रूप में ग्वालियर में पदस्थ है कुख्यात सरगना…) में श्योपुर एवं शिवपुरी जिला शिक्षा अधिकारी के तौर पर की गई करतूतों का भंडाफोड़ किया था और अब बात करते हैं ग्वालियर में इनके उस्तादी पैतरों की..।

जेल, सस्पेंशन के बावजूद जुलाई 2022 में इनकी पदस्थापना ग्वालियर जिला शिक्षा अधिकारी के रूप में हुई। सूत्रों की माने तो शासन- प्रशासन उनकी जेब में होता है तभी ये निर्भीक और निरंकुश होकर वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों/निर्देशों की नाफरमानी करते हुए काले धन की अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के नए-नए पैतरे ढूंढते और आजमाते रहते हैं। संभागीय आयुक्त का निंदा प्रस्ताव: संभागीय आयुक्त की महत्वपूर्ण बैठक जानबूझकर अनुपस्थित रहने पर तत्कालीन आयुक्त दीपक सिंह द्वारा अजय कटियार के विरुद्ध दिनांक 6- 10- 2023 को निंदा प्रस्ताव ( क्यूं/विकास/स्थान/23-4/43/23) पारित किया जिसके अंतर्गत म.प्र. सिविल सेवा नियम 1966 के नियम 16 (क) सहपाठित नियम 10(4) के तहत 2 वर्षीय वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकना प्रस्तावित करते हुए परिनिंदा की लघुशास्ति आरोपित की गई थी साथ ही संयुक्त संचालक दीपक पांडे को इस परिनिंदा प्रस्ताव की प्रति के साथ निर्देशित किया गया कि दंडादेश की प्रविष्टि संबंधित की सेवा पुस्तिका में की जाकर तीन दिवस में इसकी प्रमाणित प्रति भिजवाना सुनिश्चित करें। संयुक्त संचालक के अनुसार संभाग आयुक्त के निर्देशों का पूर्णतया पालन किया गया है।

बीआरएस मामला: जिला कलेक्टर के अधिकार क्षेत्र में आने वाली स्वच्छिक सेवानिवृत्ति भी अजय कटियार के द्वारा दी जाती रही है इसी का एक मामला कुछ माह पूर्व सामने आया था जिसमें शा.मा.वि. जनकगंज-3 की उच्च श्रेणी शिक्षिका उज्ज्वला मिटकर को नियम विरुद्ध BRS दिया। जिस पर ग्वालियर संयुक्त संचालक दीपक पांडे ने पुष्टि करते हुए कहा कि यह अधिकार कलेक्टर का है, मामले को गंभीर बताते हुए उन्होंने अजय कटियार को कारण बताओं नोटिस जारी किया था। इसमें अभी तक क्या हुआ.. इसके उत्तर में श्री पांडे ने बताया कि इसकी फाइल अभी चल रही है अभी निर्णय होना बाकी है।

निलंबन उपरांत बहाली कर पदस्थापना करना और सुविधा अनुसार शिक्षकों को अटैच करना: अजय कटिहार ने अपने फायदे के चलते ट्रांसफर के नये विकल्पों को इजात किया है। जबकि स्थानांतरण का अधिकार जिले से बाहर राज्य शासन को एवं जिला के अंदर प्रभारी मंत्री की अनुशंसा पर जिला कलेक्टर को है  मगर कटियार के इन तरीकों ने यह साबित कर दिया कि यही कलेक्टर है यही प्रभारी मंत्री और यही मध्य प्रदेश शासन। उनके नए पैतरे के अंतर्गत संबंधित को मनगढ़ंत मामले में निलंबित कर दिया जाता है और तथाकथित दंडशास्ति एवं अन्य सुविधा शुल्क के आधार पर उसे बहाल कर मन माफिक विद्यालय में पदस्थ कर दिया जाता है। उल्लेखनीय के पिछले सत्र में शिक्षिका वंदना चौहान को शा.मा.वि. बिल्हटी से निलंबित कर शहरी विद्यालय शा.मा.वि रामनगर में बहाल उपरांत पदस्थ किया गया और इसी तरह वीरेंद्र सिंह को। इस मामले को संज्ञान में लेते हुए आयुक्त- लोक शिक्षण श्रीमती शिल्पा गुप्ता ने अजय कटियार की दो वेतन वृद्धि पर रोक लगाई। इसी तरह सुविधा अनुसार सुविधा शुल्क के आधार पर शिक्षकों को अटैचमेंट की सुविधा इनके द्वारा उपलब्ध है, जबकि छात्रों के हितों में विशेष परिस्थिति में अटैचमेंट किया जाना वांछनीय है। इसक्रम में शा.उ.मा.वि करहिया की गणित विषय की शिक्षिका उ.मा.वि. शंकरपुर में अटैक की गई जबकि यहां पहले से ही गणित के तीन शिक्षक थे और करैया में कोई भी अन्य गणित का शिक्षक नहीं है। सूत्रों की माने तो अभी तक के कार्यकाल तकरीबन 2 साल में इन्होंने ऐसे 100 से अधिक प्रकरण निपटाए है। शिक्षकों की क्रमोउन्नति मामला,सीसीएल (चाइल्ड केयर लीव), सत्र 2022-23 में स्कूल मरम्मत मामला जिसकी जांच ईओडब्ल्यू द्वारा की जा रही है। इस तरह के तमाम कारनामों की इनकी अनवरत श्रृंखला है।

संयुक्त संचालक के लिए उच्च पद प्रभार: जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर लटकती तलवार की आशंका अथवा पूरे संभाग का शिकार करने की उद्देश्यक संभावना के चलते अजय कटियार ने एक नया दाव चला है। चूंकि अभी पदोन्नति पर बैन है इसलिए उच्च पद अर्थात संयुक्त संचालक प्रभार हासिल करने के लिए उन्होंने अपना प्रस्ताव डीपीआई को भेज दिया है यदि यहां से अनुशंसा हो जाती है तो आयुक्त जन शिक्षण संचालनालय द्वारा यह आदेश पारित हो जाएगा।
परतदार परत उजागर हुए इनकी काली करतूतों के कुख्यात कारनामों को स्वच्छ एवं स्वतंत्र नजरिए से देखा जाए तो उच्च पद प्रभार तो दूर बल्कि इनका जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर रहना भी शासन- प्रशासन एवं समाज के लिए बहुत बड़ा अभिशाप है। देखना यह है कि स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह चुनाव के दौरान कही हुई (कटियार को हटाने की) अपनी बात पर कायम रहते हैं अथवा मैनेज होते हैं और अंत में वही बात फिर से दोहराऊंगा कि क्या मध्यप्रदेश का संपूर्ण शिक्षा जगत सुयोग्य एवं सुपात्र शिक्षाविद से विहीन है या भ्रष्टाचार के चलते ये शासन- प्रशासन एवं सरकार पर भी भारी है।

इनका क्या कहना है..

किसी बैठक में अनुपस्थित रहने की वजह से कमिश्नर ने निंदा प्रस्ताव दिया था जिसका पूर्णतया पालन किया गया है , निलंबन कर बहाली मामले में मेरे द्वारा कारण बताओं नोटिस जारी किया गया था जिसकी फाइल अभी चल रही है निष्कर्ष होना शेष है। उच्च पद प्रभार के लिए प्रस्ताव शासन की तरफ से जाता है जिसमें मेरा कोई रोल नहीं है।...* दीपक पांडे, संयुक्त संचालक जन शिक्षण ग्वालियर
अभी तक चुनाव को लेकर अधिक व्यस्तता रही अब इस मामले को गंभीरता से देखती हूं और जो भी होगा किया जाएगा… श्रीमती रुचिका चौहान, कलेक्टर ग्वालियर

पिछला एपिसोड..

जिला शिक्षा अधिकारी के रूप में ग्वालियर में पदस्थ है कुख्यात सरगना ?.